नोटबंदी 'टैक्स टेररिज्म', सवाल पूछने से कोई टैक्स चोर हो जाता है?

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का सरकार पर हमला मंगलवार को अहमदाबाद में भी जारी रहा। कार्यक्रम "द करंट इकोनॉमिक क्लाइमेट" में मनमोहन ने मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा। सिंह ने कहा है कि 8 नवंबर 2016 एक ऐसा दिन है जिसे भारत के इतिहास में काले दिन के रूप में देखा जाएगा। दुनिया के किसी भी देश ने ऐसा फैसला नहीं लिया होगा जिसमें देश की 86% करेंसी को एक साथ वापस ले लिया गया। उन्होंने आगे कहा कि कैशलेस इकोनॉमी को सपोर्ट देने के लिए नोटबंदी का फैसला बिल्कुल भी ठीक नहीं था।
नोटबंदी को करार दिया टैक्स टेररिज्म
सिंह ने कहा कि जो मैंने पहले संसद में कहा था वो ही आज कह रहा हूं कि नोटबंदी होने की वजह से लोगों की मुश्किलें बढ़ी हैं। यह देश की छोटे कारोबारियों पर एक टैक्स टेररिज्म की तरह लागू हुआ है। नोटबंदी अपने आप में देश के लिए एक बहुत बड़ा झटका था। उसके बाद जीएसटी के कारण भारत की अर्थव्यवस्था को दोहरा झटका लगा, जिसकी वजह से छोटे कारोबार पूरी तरह से बर्बाद हो गए हैं। उन्होंने कहा कि आज भारत में युवाओं को नौकरी देने के लिए चीन से सामान आयात करवाना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि 2016-17 के पहले मिड में चीन से 1.96 लाख करोड़ का आयात हुआ था, 2017-18 तक ये 2.14 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया।
"हमने 14 करोड़ लोगों को गरीबी से निकाला"
उन्होंने कहा कि ग्लोबल कंडीशन अच्छी होने के बाद भी टैक्स टेरिरिज्म का डर बढ़ा है। देश की ग्रोथ रेट बहुत धीमी है। मुझे बेहद अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि केंद्र सरकार अपने फर्ज पूरे करने में असफल रही है। उन्होंने आगे कहा कि मैने गरीबी देखी है पंजाब में बंटवारे के समय के हालात देखे हैं। मेरे जीवन में कांग्रेस की नीतियां प्रभावकारी रहीं हैं। हमने 14 करोड़ लोगों को गरीबी से निकाला। किसी सरकार ने ये हासिल नहीं किया था। मुझे गर्व है।
मनमोहन सिंह ने पीएम मोदी पर सीधा वार करते हुए कहा कि नोटबंदी के फैसले को लोगों पर थोपा गया था। जब नोटबंदी का ऐलान हुआ तो ये सुनते ही मुझे झटका लगा था। क्या जीडीपी और नोटबंदी पर सवाल करने वाला एंटी नेशनल हो जाता है। नोटबंदी एक तरह की संगठित लूट थी।
बुलेट ट्रेन पर सवाल पूछना विकास विरोधी होना है?
मनमोहन सिंह ने कहा कि पिछले एक साल में सबसे ज्यादा मौतें रेल हादसे में हुई हैं, क्या पीएम फिर भी अभी के रेल ढांचे को सुधारने के बजाय बुलेट ट्रेन को लाना चाहेंगे। बुलेट ट्रेन का विरोध करने से आप विकास के खिलाफ नहीं हो जाते हैं। क्या नोटबंदी और GST पर सवाल पूछने से कोई टैक्स चोर हो जाता है? बुलेट ट्रेन पर सवाल पूछना विकास विरोधी होना है? गुजरात सरकार पिछले कुछ समय में आदिवासियों की मदद करने में फेल रही है। नोटबंदी और जीएसटी सरकार के दो ऐसे हमले थे जो लाखों लोगों को गरीबी की दलदल में धकेल गए।
सोमवार को दी थी पीएम को नसीहत
मनमोहन सिंह ने एक बार फिर मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने नोटबंदी को विनाशकारी आर्थिक नीति बताया और कहा है कि भारत जैसे देश में इस फैसले के बाद समाज में असमानता का खतरा पैदा हो गया है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का यह फैसला कभी ठीक था ही नहीं। इससे देश के हालात और बिगड़ेंगे। साथ ही उन्होंने पीएम मोदी से कहा कि वो सबके सामने अपनी गलती स्वीकार करें और राजनीति करने की बजाए सभी को साथ लेके कुछ ठोस कदम उठाएं।
I worry deeply about creeping culture of erosion of institutions their credibility: Dr Manmohan Singh #DeMoDisasterhttps://t.co/cbVYLN6IoU
— Congress (@INCIndia) November 7, 2017
गुजरात दौरे से पहले बोले मनमोहन
गौरतलब है कि गुजरात दौरे से पहले सोमवार को एक वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में मनमोहन सिंह ने नोटबंदी को विनाशकारी आर्थिक नीति बताया और कहा कि इससे देश में असमानता बढ़ सकती है और भारत जैसे देश में यह सबसे बड़ी सामाजिक विपत्ति साबित होगी। उन्होंने कहा कि देश की जीडीपी का गिरना तो महज एक इशारा है। देश की आर्थिक स्थिति यह दिखाती है कि यह फैसला कितना विनाशकारी साबित हो रहा है। इसके चलते बहुत सी हानियां हुई हैं। इसका असर सीधा नौकरियों पर और छोटे-मझोले उद्योगों पर हुआ है। स्थिति साफ है देश में नोटबंदी का तुरंत असर नौकरियों पर पड़ा है। हमारे देश की तीन चौथाई गैर-कृषि रोजगार छोटे और मझोले उद्यमों के क्षेत्र में हैं। नोटबंदी से इस क्षेत्र को सबसे अधिक नुकसान हुआ है। जिस वजह से नौकरियां चली गईं और नई नौकरियां पैदा नहीं हो रही हैं।"
सिंह ने आगे कहा कि मैं नोटबंदी के दीर्घकालिक प्रभाव को लेकर चिंतित हूं। भले ही जीडीपी में गिरावट के बाद सुधार दिख रहा हो लेकिन आर्थिक विकास के लिए यह बढ़ती असामनता एक खतरा है। साथ ही सिंह ने यह भी कहा कि नोटबंदी का जो लक्ष्य है वो प्रशंसनीय है, लेकिन सरकार को आर्थिक प्राथमिकताओं को दुरुस्त करने की जरूरत है।
Created On :   7 Nov 2017 11:03 AM IST