निदा फाजली: देसी जुबां में दिल की बात कहने वाला शायर- 10 शेर

Nida Fazli top Collection of Nida Fazli Shayari and Ghazal
निदा फाजली: देसी जुबां में दिल की बात कहने वाला शायर- 10 शेर
निदा फाजली: देसी जुबां में दिल की बात कहने वाला शायर- 10 शेर

डिजिटल डेस्क, भोपाल। 12 अक्टूबर को निदा फाजली का जन्मदिन है। आज अगर निदा फाजली जिन्दा होते तो 78 बरस के होते। निदा फाजली के बारे में कहा जाता है कि वो एक ऐसे शायर थे जिसने अपने अपने युग की ज़बान में, अपनी दुनिया से बात की। निदा फाजली उर्दू और हिंदी दुनिया के अजीम शायरों और गीतकारों में शुमार होते थे। उनके गीत काफी सरल माने जाते हैं, जो हर एक की जुबान पर चढ़े रहते थे। उनके गीत "होश वालों को खबर क्‍या" सबकी जुबां पर चढ़े रहते हैं। इसके अलावा भी उन्होंने कई मशहूर गीत लिखे। 

ग्वालियर से की पढाई

निदा ने दिल्ली में पिता मुर्तुज़ा हसन और मां जमील फ़ातिमा के घर तीसरी संतान के रूप में जन्म लिया जिसका नाम बड़े भाई के नाम के क़ाफ़िये से मिला कर मुक़्तदा हसन रखा गया। निदा के पिता स्वयं भी शायर थे। इन्होंने अपना बाल्यकाल ग्वालियर में गुजारा जहां पर उनकी शिक्षा हुई। उन्होंने ग्वालियर कॉलेज (विक्टोरिया कॉलेज या लक्ष्मीबाई कॉलेज) से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की।

निदा फाजली का अर्थ

निदा फाजली छोटी उम्र से ही लिखने लगे थे। निदा का अर्थ है स्वर/ आवाज़/ Voice। फ़ाज़िला क़श्मीर के एक इलाके का नाम है जहां से निदा के पुरखे आकर दिल्ली में बस गए थे, इसलिए उन्होंने अपने उपनाम में फ़ाज़ली जोड़ा।

क्लास रूम में सामने लड़की बैठा करती थी

निदा के बारे में कहा जाता है कि जब वह पढ़ते थे तो उनके सामने की पंक्ति में एक लड़की बैठा करती थी जिससे वो एक अनजाना, अनबोला सा रिश्ता अनुभव करने लगे थे। लेकिन एक दिन कॉलेज के बोर्ड पर एक नोटिस दिखा "Miss Tondon met with an accident and has expired" (कुमारी टंडन का एक्सीडेण्ट हुआ और उनका देहांत हो गया है)। निदा बहुत दु:खी हुए और उन्होंने पाया कि उनका अभी तक का लिखा कुछ भी उनके इस दुख को व्यक्त नहीं कर पा रहा है, ना ही उनको लिखने का जो तरीका आता था उसमें वो कुछ ऐसा लिख पा रहे थे जिससे उनके अंदर का दुख की गिरहें खुलें। 

निदा फाजली मुंबई का सफर

फाजली ने कई बेहतरीन शायरी और गजल लिखी हैं। प्रतिगतिशील वामपंथी आंदोलन से जुड़े रहे निदा फाजली को हर तबके से प्यार मिला और उनके गीतों को काफी पसंद भी किया गया। साल 1964 में नौकरी की तलाश में निदा फाजली मुंबई गए और फिर वहीं के होकर रह गए। उन्होंने अपने शुरुआती करियर के दौरान धर्मयुग और बिलिट मैगजीन के लिए लिखा। तभी उनके लिखने के अंदाज ने फिल्मी दुनिया के दिग्गजों को कायल किया और फिर बॉलीवुड से जो रिश्ता बना हमेशा कायम रहा। 8 फ़रवरी को निदा ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। आपके लिए फाजली के कुछ नज्‍में।

 

Created On :   13 Oct 2017 12:16 AM IST

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