नाम उजागर कर शर्मिदा करने का कोई कानून नहीं : सुप्रीम कोर्ट

No law to shame by exposing name: Supreme Court
नाम उजागर कर शर्मिदा करने का कोई कानून नहीं : सुप्रीम कोर्ट
नाम उजागर कर शर्मिदा करने का कोई कानून नहीं : सुप्रीम कोर्ट
हाईलाइट
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नई दिल्ली, 12 मार्च (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश सरकार को कहा कि वर्तमान में ऐसा कोई कानून नहीं है, जिसके माध्यम से नाम उजागर कर शर्मिदा करने वाली राज्य सरकार की कार्रवाई को उचित ठहराया जा सके।

उत्तर प्रदेश सरकार ने लखनऊ में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा करने वाले आरोपियों को शर्मिदा करने को लेकर उनके नाम, पतों के साथ होर्डिग्स लगाकर उजागर किए थे।

शीर्ष अदालत उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 9 मार्च को इलाहाबाद होईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली एक अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें राज्य प्रशासन को होर्डिग्स पर लगे आरोपियों के पोस्टर को हटाने के निर्देश दिए गए हैं।

न्यायाधीश यू.यू. ललित और अनिरुद्ध बोस की एक अवकाश पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि यह मामला बहुत महत्व रखता है और व्यक्तिगत व राज्य के बीच के अंतर को उजागर करता है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, व्यक्ति तब तक कुछ भी कर सकता है जब तक वह कानून द्वारा वर्जित ना हो। राज्य सरकार केवल वहीं कर सकती है, जिसकी इजाजत कानून देता हो।

मेहता ने तर्क दिया कि होर्डिग्स वाली कार्रवाई को कानून की प्रक्रिया का पालन करने के बाद ही लगाया गया। मेहता ने जोर देकर कहा कि कानून तोड़कर हिंसा करने और अपने कथित कृत्यों के लिए उत्तरदायी लोगों की पहचान को लेकर होर्डिग्स लगाकर कार्रवाई की गई।

न्यायमूर्ति ललित ने मेहता को जवाब देते हुए कहा, अदालत मामले पर चिंता को समझती है, लेकिन जब आप कुछ ऐसा करते हैं, जिसकी अपनी सीमाएं होती हैं . तो क्या आपने भुगतान समाप्त करने का समय तय किया? नहीं.. उन्होंने (आरोपियों ने) मुआवजा देने के आदेश को भी चुनौती दी है।

हालांकि, शीर्ष अदालत ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि जिन लोगों ने दंगे किए उनके खिलाफ कार्रवाई होने के साथ ही, उन्हें सजा मिलनी चाहिए।

Created On :   12 March 2020 3:00 PM IST

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