नेहरू की पुण्यतिथि आज, प्रणव, मोदी, राहुल, मनमोहन ने दी श्रद्धांजलि

नेहरू की पुण्यतिथि आज, प्रणव, मोदी, राहुल, मनमोहन ने दी श्रद्धांजलि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की आज 54वीं पुण्यतिथि है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी समेत कई बड़े नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। आपको बता दें कि 14 नवंबर 1889 को जन्मे नेहरू का देहांत 27 मई 1964 को हुआ था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार सुबह ट्वीट कर पंडित नेहरू की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सुबह शांति वन पहुंचे और अपने नाना को श्रद्धांजलि दी। 

 

 

 

 

 

 

आजादी में निभाई थी महत्वपूर्ण भूमिका 
14 नवंबर 1889 को इलाहबाद में जन्मे पंडित जवाहरलाल नेहरू ने देश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। नेहरू महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए आजादी आंदोलन के तहत साल 1919 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए। जबकि साल सितंबर 1923 में ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी की बैठक में जवाहरलाल नेहरू को जनरल सेक्रेटरी बनाया गया। वहीं साल 1929 में लाहौर अधिवेशन में नेहरू को पार्टी अध्यक्ष बनाया गया जहां उन्होंने पूर्ण स्वराज का नारा देकर पूर्ण आजादी के लिए लड़ाई लड़ने का प्रस्ताव पारित किया। इसी संघर्ष के चलते भारत का आधिकारिक झंडा लाहौर में फहराया गया। जवाहरलाल नेहरू ने 15 अगस्त, 1947 को देश की आजादी के बाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली थी।  27 मई, 1964 को नेहरू का निधन हो गया था। 

बाल दिवस के रूप में मनाते हैं जन्मदिन 
देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने शुरुआती शिक्षा अपने घर पर निजी शिक्षकों से प्राप्त की। उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू और माता का नाम स्वरूपरानी था। नेहरू बच्चों को बहुत प्रेम करते थे। इसलिए उनके जन्मदिन 14 नवंबर को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। जवाहरलाल नेहरू को दुनिया के बेहतरीन स्कूलों और विश्वविद्यालयों में शिक्षा प्राप्त करने का मौका मिला था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा हैरो और कॉलेज की शिक्षा ट्रिनिटी कॉलेज, लंदन से पूरी की थी। पंद्रह साल की उम्र में वे इंग्लैंड चले गए थे और हैरो में दो साल रहने के बाद उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में दाखिला लिया, जहां उन्होंने प्राकृतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की थी। 

रखी आधुनिक भारत की नींव 
जवाहरलाल नेहरू को आधुनिक भारत का निर्माता कहा जाता है। आज जिस प्रगतिपथ पर भारत दौड़ रहा है, उसकी बुनियाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने रखी थी। विदेश नीति के मोर्चे पर अक्सर उनकी आलोचना की जाती है, लेकिन चीन और सोवियत संघ से झटके खाने के बाद यदि जवाहर लाल नेहरू कुछ और दिन जीवित रहे होते तो संभव था कि भारत की विदेश नीति को पूरी तरह बदल देते। उसका असर घरेलू नीतियों पर भी निश्चित ही पड़ता। चीन के हाथों भारत की शर्मनाक पराजय के दिनों के कुछ दस्तावेजों से यह साफ है कि नेहरू के साथ न सिर्फ चीन ने धोखा किया बल्कि सोवियत संघ ने भी मित्रवत व्यवहार नहीं किया। जवाहरलाल नेहरू व्यक्तिगत जीवन में बेहद ईमानदार आदमी रहे हैं। उन्होंने अपनी गलतियों को सार्वजनिक रूप से स्वीकार करने में कभी हिचक नहीं दिखाई। पार्टी के भीतर भी कई बार वह अपने सहकर्मियों की राय के सामने झुक जाते थे। 1950 में नेहरू ने पहले तो राज गोपालाचारी को राष्ट्रपति बनाने की जिद की, पर जब उन्होंने देखा कि उनके नाम पर पार्टी के भीतर आम सहमति नहीं बन पा रही है, तो नेहरू बेमन से ही सही पर राजेंद्र बाबू के नाम पर राजी हो गए। 

चीन-सोवियत संघ से धोखे के बाद अमेरिका की ओर किया रुख  
पंडित जवाहरलाल नेहरू ने समाजवादी और प्रगतिशील देश होने के कारण पहले तो चीन और सोवियत संघ पर पूरा भरोसा किया, पर जब दोनों ने धोखा दिया तो नेहरू विचारधारा के स्तर पर बुरी तरह टूट गए थे। इसके बाद ही उन्होंने अपनी पुरानी लाइन के विपरीत जाते हुए अमेरिका की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया। इसके बाद अमेरिका ने हथियार और अन्य तरह की सहायता दी। अमेरिकी सहायता के बाद जब भारत मजबूत होता दिखाई दिया तो चीन ने हमला बंद करते हुए एकतरफा युद्धविराम घोषित कर दिया था। 
 

 

Created On :   27 May 2018 10:10 AM IST

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story