J-K: पुलिस प्रमुख बोले- अब घाटी में सिर्फ 90 दिन ही जीवित रह पाते हैं नए आतंकी, पाक की ओर से सीजफायर की घटनाएं 75% बढ़ी  

Police chief said - now new terrorists can survive in the valley for only 90 days
J-K: पुलिस प्रमुख बोले- अब घाटी में सिर्फ 90 दिन ही जीवित रह पाते हैं नए आतंकी, पाक की ओर से सीजफायर की घटनाएं 75% बढ़ी  
J-K: पुलिस प्रमुख बोले- अब घाटी में सिर्फ 90 दिन ही जीवित रह पाते हैं नए आतंकी, पाक की ओर से सीजफायर की घटनाएं 75% बढ़ी  

डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। जम्मू एवं कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दिलबाग सिंह ने कहा कि राज्य के मौजूदा सुरक्षा परिदृश्य में आतंकवाद से जुड़ने वाले नए आतंकियों का जीवन काल अब एक से 90 दिन तक रह गया है। जम्मू-कश्मीर में पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 हटाने के एक वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में सिंह ने आईएएनएस के साथ बातचीत में कहा कि पहले आतंकवादी समूहों में शामिल होने के बाद नए रिक्रूट कई वर्षो तक आतंकवाद में संलिप्त रहते थे। 

वहीं उन्होंने बताया कि इस वर्ष संघर्ष विराम उल्लंघन की घटनाएं बढ़कर 487 हो गईं। उन्होंने कहा कि गत वर्ष संघर्ष विराम उल्लंघन की 267 घटनाएं हुई थीं, जोकि इस वर्ष बढ़कर 487 हो गईं। पाकिस्तान की तरफ से संघर्ष विराम उल्लंघन की घटनाओं में गत वर्ष के मुकाबले 75 फीसदी का उछाल आया है।

इस साल अब तक 38 आतंकियों को 90 दिन के अंदर ढेर किया
डीजीपी के अनुसार, इस वर्ष अब तक आतंकवादी समूहों में कुल 80 लड़के शामिल हुए हैं और इनमें से 38 को आतंकवादी समूह में शामिल होने के पहले दिन से लेकर तीन महीने के अंदर मार डाला गया है। सिंह ने कहा कि इनमें से 22 को पकड़ लिया गया है, क्योंकि ये कुछ मामलों में संलिप्त थे और 20 आतंकवादी अभी भी सक्रिय हैं, जो सुरक्षा बलों की रडार पर हैं।

कई आतंकियों को सरेंडर कराने 20 किमी दूर से परिजनों को भी लाए
सिंह के अनुसार, पुलिस ने लगभग आधा दर्जन एनकाउंटर में अभियान इसलिए रोक दिए, क्योंकि यह पता चला कि जहां आतंकी छिपे हुए हैं, उन परिसरों में अंदर बच्चे मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि कुछ मामलों में हम आतंकियों के परिजनों को 20 किलोमीटर दूर से लेकर आए, ताकि वे उनकी अपील पर सरेंडर कर दें। पुलिस ने उनके खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं करने का आश्वासन भी दिया, लेकिन उन्होंने सरेंडर नहीं किया, क्योंकि उन्हें उनके सहयोगियों द्वारा धमकाया गया है, जो कुख्यात आतंकवादी हैं।

इस साल अब तक घुस्पैठ की कुल 26 घटनाओं की पुष्टि
1987 बैच के आईएएस अधिकारी ने कहा कि हम इन मामलों से इस बिनाह पर पहुंचे कि लड़के यह सोचते हैं कि उनके सहयोगी न केवल उन्हें मार देंगे, बल्कि उनके परिजनों को भी मार देंगे। यह संभवत: उनके वापस नहीं आने का एक कारण हो सकता है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष अब तक केवल घुसपैठ की 26 घटनाओं की पुष्टि हुई है। वहीं गत वर्ष जनवरी से जुलाई के बीच ऐसे मामलों की संख्या इससे दोगुनी थी। 

Created On :   7 Aug 2020 2:37 AM IST

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