बतौर प्रेसीडेंट आज आखिरी दिन, PM मोदी देंगे GRAND फेयरवेल

डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा कर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी आज राष्ट्रपति भवन से विदा लेंगे, बतौर राष्ट्रपति आज उनका आखिरी दिन होगा। आज संसद के सेंट्रल हॉल में उनके ग्रेंड विदाई समारोह का आयोजन है। जिसमें प्रधानमंत्री मोदी और सरकार के मंत्री और दोनों सदनों के सांसद मौजूद रहेंगे। इससे पहले कल प्रधानमंत्री मोदी ने प्रणब मुखर्जी के सम्मान में रात्रिभोज का आयोजन किया था।
अपने 5 साल के कार्यकाल में प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति पद की गरिमा को नई ऊंचाईयों पर ले गए। एक शिक्षक से नेता और उसके बाद राष्ट्रपति तक का सफर तय करने वाले प्रणब मुखर्जी अपने शालीन व्यक्तिव और विद्वता के लिए जाने जाते हैं।
विवादों से दूर रहा प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल
राष्ट्रपति के रूप में प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल कभी विवादों में नहीं रहा। उन्होंने अपने कार्यकाल के तीन साल बीजेपी सरकार के साथ गुजारे हैं। लेकिन कभी राष्ट्रपति और सरकार के बीच टकराव की स्थिति नहीं आई। प्रधानमंत्री भी कई मौकों पर प्रणब मुखर्जी की तारीफ करते दिखे। यहां तक की एक मौके पर नरेंद्र मोदी प्रणब मुखर्जी को पिता समान कहते-कहते भावुक हो गए थे।
पश्चिम बंगाल से राष्टपति भवन तक का सफर
प्रणब मुखर्जी का जन्म 11 दिसंबर 1935 में पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में हुआ। 1969 से वो लगातार पांच बार राज्यसभा के सांसद चुने गए। 1997 में वो सबसे उत्कृष्ट सांसद चुने गए। साल 2004 में उन्होंने पहली बार चुनावी राजनीति में कदम रखा और लोकसभा में चुनकर पहुंचे इसके बाद 2009 में भी लोकसभा सांसद चुने गए।
कांग्रेस सरकार में प्रणब दा का कद काफी बड़ा था और वो गाँधी परिवार के बेहद करीबी रहे। राष्ट्रपति बनने से पहले तक प्रणब मुखर्जी केंद्र सरकार में वित्त मंत्री रहे। वित्त मंत्री के अलावा प्रणब दा विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री जैसे अहम मंत्रालयों को भी संभाल चुके हैं। राष्ट्रपति बनने से पहले तक प्रणब मुखर्जी यूपीए सरकार के संकट मोचक कहे जाते थे। यूपीए 1 और यूपीए 2 सरकार में ऐसे कई मौके आए जब उन्होंने बातचीत के जरिए सरकार को संकट से उबारा।
इन कामों की वजह से याद किए जाएंगे प्रणब दा
राष्ट्रपति पद पर रहने के दौरान उन्होंने ऐसे कई काम किए जो अपनी छाप छोड़ जाएंगे प्रणब मुखर्जी ने ही राष्ट्रपति और राज्यपाल के संबोधन से पहले महामहिम लगाने की परंपरा को खत्म किया। प्रधानमंत्री के अनुरोध पर उन्होंने शिक्षक दिवस पर राष्ट्रपति भवन परिसर में बने स्कूल में छात्रों को पढ़ाया भी साथ ही राष्ट्रपति भवन मे एक संग्रहालय का भी निर्माण करवाया, जहां आम लोग अपनी इस विरासत को देख सकते हैं।
Created On :   23 July 2017 8:41 AM IST