हाथरस सामूहिक दुष्कर्म और हत्या की सीबीआई जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल

Public interest litigation filed in Supreme Court for CBI investigation of Hathras gang rape and murder
हाथरस सामूहिक दुष्कर्म और हत्या की सीबीआई जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल
हाथरस सामूहिक दुष्कर्म और हत्या की सीबीआई जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल
हाईलाइट
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नई दिल्ली, 30 सितम्बर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के हाथरस में 19 वर्षीय दलित युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म और हत्या पर देशभर में गुस्से का माहौल है। जिस तरह से पुलिस ने पीड़िता के परिवार की इच्छाओं के खिलाफ मंगलवार-बुधवार की रात उसका अंतिम संस्कार किया गया, उससे खासकर लोगों में गुस्सा बना हुआ है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है।

जनहित याचिका में मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) या एसआईटी से कराने की मांग की गई है। याचिका में जांच की निगरानी सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के वर्तमान या रिटायर्ड न्यायाधीश से कराने की मांग भी की गई है।

जनहित याचिका सामाजिक कार्यकर्ता सत्यम दुबे, अधिवक्ता विशाल ठाकरे और रुद्र प्रताप यादव ने दायर की है।

याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष अदालत से निष्पक्ष जांच के लिए उचित आदेश पारित करने का आग्रह किया है और साथ ही अपील की है कि या तो इस मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए या एसआईटी द्वारा इसकी जांच हो। याचिका में कहा गया है कि जांच की निगरानी सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के वर्तमान या रिटायर्ड न्यायाधीश से कराई जानी चाहिए।

इसके अलावा जनहित याचिका में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश में मामले की जांच और ट्रायल निष्पक्ष नहीं हो पाएगा, इसलिए इस मामले को दिल्ली स्थानांतरित किया जाना चाहिए।

याचिका में कहा गया है कि पीड़िता के साथ पहले दुष्कर्म किया गया और फिर बेरहमी से मारपीट की गई और एक मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार, उसकी जीभ कटी हुई थी और उसकी गर्दन और पीठ की हड्डियां आरोपियों ने तोड़ दीं, जो उच्च जाति के थे। इसके बाद पीड़िता ने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में दम तोड़ दिया।

याचिकाकर्ता ने कहा कि 14 सितंबर को आरोपी व्यक्तियों ने पीड़िता के साथ दुष्कर्म और क्रूरता से उस समय हमला किया, जब वह अपने मवेशियों के लिए चारा इकट्ठा करने के लिए खेतों में थी।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, जनहित याचिका में यह भी कहा गया है कि पुलिस ने कहा है कि पीड़िता का दाह संस्कार परिवार की इच्छा के अनुसार किया गया, जो कि सच नहीं है। इसके अलावा कहा गया है कि पुलिस कर्मियों ने मृतक के शरीर में आग लगा दी और यहां तक कि मीडियाकर्मियों पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया।

याचिका में दावा किया गया कि पुलिस ने पीड़िता के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन नहीं किया और वह आरोपी व्यक्तियों को बचाने की कोशिश करती रही। याचिका में कहा गया है, क्योंकि इस मामले में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई, आरोपी व्यक्ति स्वतंत्र रूप से घूम रहे हैं और उन्हें कोई डर नहीं है। पीड़ित परिवार को उच्च जाति के लोगों द्वारा पीड़ित किया गया है और अधिकारियों/पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

याचिका में पीड़िता के बड़े भाई के बयान का भी हवाला दिया गया है, जिसमें कहा गया है, मुझे अपनी बहन के बारे में इन पुरुषों द्वारा टारगेट किए जाने के बारे में तब पता चला, जब उसने अपना बयान दर्ज किया। उन्होंने उससे कहा कि अगर उसने उनकी बात नहीं मानी तो वे उसके भाई को गोली मार देंगे।

भाई ने यह भी कहा कि जब पीड़िता अस्पताल में थी तो परिवार को धमकी दी गई थी।

एकेके/एएनएम

Created On :   30 Sep 2020 3:31 PM GMT

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