सोनिया गांधी की 'डिनर डिप्लोमेसी' के क्या हैं सियासी मायने?

सोनिया गांधी की 'डिनर डिप्लोमेसी' के क्या हैं सियासी मायने?

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष और UPA चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने मंगलवार को विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने के लिए "डिनर पार्टी" का आयोजन किया है। सोनिया के इस डिनर में 17 विपक्षी पार्टियों के नेताओं के शामिल होने की बात कही जा रही है। हालांकि वेस्ट बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (TMC) की चीफ ममता बनर्जी एक बार फिर से सोनिया के इस डिनर में शामिल नहीं होने की खबर है। उनकी पार्टी की तरफ से डेरेक ओ ब्रायन और सुदीप बनर्जी शामिल होंगे। इस डिनर के जरिए सोनिया गांधी 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए NDA के खिलाफ विपक्षी पार्टियों को लामबंद करना चाहती हैं।

कौन-कौन होगा इस डिनर में शामिल?

बताया जा रहा है कि मंगलवार को होने वाले डिनर के लिए कांग्रेस ने 17 विपक्षी पार्टियों के नेताओं को इनविटेशन भेजा है। इस डिनर में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता और बिहार  के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के साथ-साथ हाल ही में NDA छोड़कर महागठबंधन से जुड़े बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) के चीफ जीतन राम मांझी भी शामिल होंगे। इन सबके अलावा कई पार्टियों के नेता भी इस डिनर में शामिल होंगे।

ममता दूर, अखिलेश-मायावती का भी तय नहीं

सोनिया गांधी के डिनर में कई पार्टियों के नेताओं के शामिल होने की संभावना है, लेकिन समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव, बहुजन समाज पार्टी की चीफ मायावती, TMC चीफ मायावती और NCP प्रमुख शरद पवार ने अब तक शामिल होने पर कोई सहमति नहीं दी है। हालांकि ममता बनर्जी की बजाय TMC की तरफ से डेरेक ओ ब्रायन और सुदीप बनर्जी के शामिल होने की खबर है।

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कांग्रेस की इस "डिनर डिप्लोमेसी" के क्या मायने?

1. तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बीजेपी के खिलाफ "थर्ड फ्रंट" बनाने की बात कही है। इस थर्ड फ्रंट के लिए राव ने ममता बनर्जी से बात की, लेकिन कांग्रेस से कोई बात नहीं की। इससे विपक्षी पार्टियों में कांग्रेस पिछड़ती नजर आ रही थी। अब डिनर के बहाने सोनिया गांधी विपक्ष को अपने साथ लाना चाहती हैं।

2. हाल ही में नॉर्थ-ईस्ट के तीनों राज्यों में हार के बाद कांग्रेस का मनोबल टूटा है और उसके बाद चंद्रशेखर राव की तरफ से थर्ड फ्रंट बनाने की कोशिश ने कांग्रेस को आहत किया है। लिहाजा कांग्रेस को ऐसे हालातों से निपटने के लिए कुछ न कुछ तो कदम उठाने ही थे।

3. इस डिनर के जरिए सोनिया गांधी ये बात साबित करना चाहती हैं कि बीजेपी और NDA के खिलाफ जो महागठबंधन बनेगा, उसकी कमान कांग्रेस के पास ही होगी।

4. ममता बनर्जी और चंद्रशेखर राव थर्ड फ्रंट बनाने की बात कह रहे हैं। अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का कद कम होगा, जो सोनिया को मंजूर नहीं है। क्योंकि इससे कांग्रेस और कमजोर हो जाएगी। इस कारण सोनिया डिनर डिप्लोमेसी के जरिए बाकी विपक्षी पार्टियों को शामिल करने की कोशिश कर रही हैं।

5. सबसे बड़ी बात राजनीति में बदलते वक्त के साथ रणनीति बदलना भी जरूरी है और सोनिया भी वही कर रहीं हैं। इस डिनर में सोनिया ने उन पार्टियों को खासतौर से इनवाइट किया है, जो न ही NDA का हिस्सा हैं और न ही UPA का।

क्या है सोनिया की रणनीति?

सोनिया गांधी को अब इस बात का एहसास हो चुका है कि बगैर विपक्षी ताकत को एकजुट किए बीजेपी को हराना नामुमकिन है। अब कांग्रेस सिर्फ तीन राज्यों में सिमट कर रह गई है, जिसमें से कर्नाटक में तो अगले दो महीनों में चुनाव भी होने हैं। कर्नाटक में कांग्रेस करो या मरो की स्थिति है। इसके साथ ही सारा विपक्ष थर्ड फ्रंट बनाने की कवायद में जुटा है, वो भी कांग्रेस की गैरमौजूदगी में। अब ऐसे में अगर कांग्रेस की गैरमौजूदगी में थर्ड फ्रंट बनता है, तो इसका सियासी नुकसान कांग्रेस को तो होगा ही, साथ ही राहुल गांधी पर भी कई सवाल होंगे। इसके अलावा अब लोकसभा चुनावों में भी ज्यादा समय नहीं बचा है। ऐसे में बीजेपी को रोकने के लिए विपक्ष का एकजुट होना जरूरी है। यही कारण है कि कांग्रेस की कमान राहुल गांधी को सौंपने के बाद भी सोनिया अभी भी अपना पूरा ध्यान पार्टी पर दे रही हैं। इन सबके अलावा ममता बनर्जी और शरद पवार जैसे बड़े नेताओं को राहुल के नीचे काम करना पसंद नहीं है। उनका अपना जनाधार है। ममता और शरद का तालमेल सोनिया गांधी से अच्छा रहा है, लेकिन 47 साल के राहुल से उनका तालमेल अब तक तो ठीक नहीं दिखाई दे रहा। लिहाजा सोनिया अपनी ही लीडरशिप में विपक्षी नेताओं को एकजुट करने की कोशिश कर रही हैं।

Created On :   13 March 2018 7:42 AM IST

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