कंगना के सोशल मीडिया पोस्ट को सेंसर करने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

Supreme Court refuses to entertain plea seeking censorship of Kanganas social media posts
कंगना के सोशल मीडिया पोस्ट को सेंसर करने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार
कंगना को राहत कंगना के सोशल मीडिया पोस्ट को सेंसर करने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार
हाईलाइट
  • कंगना के सोशल मीडिया पोस्ट को सेंसर करने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उस जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत की ओर से भविष्य में किए जाने वाले सभी सोशल मीडिया पोस्ट को सेंसर करने की मांग की गई थी।

याचिका में इस आधार पर उनके सोशल मीडिया पोस्ट सेंसर करने का निर्देश देने की मांग की गई थी कि उन्होंने कृषि कानूनों के विरोध के संबंध में विशेष रूप से सिख समुदाय के खिलाफ कई अपमानजनक और निंदनीय बयान दिए हैं। यह याचिका अधिवक्ता चरणजीत सिंह चंद्रपाल ने दायर की थी, जो व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश हुए। जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ और बेला एम. त्रिवेदी ने चंद्रपाल से कहा कि अदालत उनकी संवेदनशीलता का सम्मान करती है, लेकिन जितना अधिक वह सोशल मीडिया पर उनके बयानों को प्रचारित करेंगे हैं, उतना वह उन्हें ही फायदा पहुंचाएगा।

पीठ ने कहा, जितना अधिक आप इसे प्रचारित करेंगे, उतना ही अधिक आप उनके उद्देश्य की पूर्ति करेंगे। याचिकाकर्ता ने मुंबई पुलिस स्टेशन में सिख समुदाय के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक बयान देने के लिए कई राज्यों में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को क्लब करने (एक ही जगह पर) की मांग की, जिस पर पीठ ने कहा कि किसी तीसरे व्यक्ति के लिए हस्तक्षेप करना संभव नहीं है, क्योंकि मामला उनके और राज्य सरकार के बीच का है।

हालांकि, चंद्रपाल ने जोर देकर कहा कि उन्होंने सिख समुदाय के खिलाफ कई अपवित्र बयान दिए हैं और उनके खिलाफ कुछ कार्रवाई की जानी चाहिए। इस पर, पीठ ने दोहराया कि उन्हें प्रचार देकर, याचिकाकर्ता खुद से ही उन्हें (कंगना) फायदा पहुंचा रहे हैं। पीठ ने कहा, दो तरीके हैं.., इसे अनदेखा करें.. कानून के तहत उपाय भी है। पीठ ने कहा कि हर गलत के लिए एक उपाय है और याचिकाकर्ता आपराधिक कानून के तहत उपलब्ध उपाय का लाभ उठा सकता है।

याचिका में सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को निर्देश देने की मांग की गई है कि अगर भारत में कानून-व्यवस्था की समस्या होती है तो कंगना के पोस्ट को रिलीज करने से पहले सेंसर, संशोधित या डिलीट कर दिया जाए। याचिका में कहा गया है कि कंगना ने इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया के एक सार्वजनिक मंच पर ये बातें कही हैं।

याचिका में कहा गया है कि कंगना रनौत के इंस्टाग्राम पोस्ट बहुत आहत करने वाली है, जिसमें सिख किसानों को खालिस्तानी आतंकवादी बताया गया है। इसमें कहा गया है कि रनौत के बयानों का मकसद दंगा भड़काना, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना है और ये सिखों को पूरी तरह से राष्ट्र विरोधी तरीके से चित्रित करते हैं। याचिका में आगे कहा गया है कि रनौत की टिप्पणी पूरी तरह से देश की एकता के खिलाफ है और उन्हें न तो नजरअंदाज किया जा सकता है और न ही माफ किया जा सकता है।

दलील में कहा गया है कि इस तरह के बयानों से नस्लीय भेदभाव, विभिन्न धर्मों के आधार पर नफरत की भावना विकसित होती है और इससे सोशल मीडिया पर बहुत गरमागरम बहस हो सकती है और यहां तक कि दंगे भी हो सकते हैं। अधिवक्ता अनिल कुमार के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है, टिप्पणी न केवल अपमानजनक और ईशनिंदा है, बल्कि दंगा भड़काने, धार्मिक भावनाओं को आहत करने का भी इरादा है। याचिका में कंगना द्वारा कथित तौर पर सिखों पर दिए गए अपमानजनक बयानों पर सभी प्राथमिकी को मुंबई के खार पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है।

 

आईएएनएस

Created On :   21 Jan 2022 5:30 PM GMT

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