जज लोया केस: SC में सुनवाई आज, रोहतगी बोले- जांच की जरूरत नहीं
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सीबीआई के जज बृजगोपाल लोया की कथित संदिग्ध मौत की स्वतंत्र जांच कराने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में शनिवार को सुनवाई की जाएगी। इससे पहले सुनवाई में महाराष्ट्र सरकार ने एसआईटी जांच का विरोध किया था। महाराष्ट्र सरकार की तरफ से पेश मुकुल रोहतगी ने कहा था कि "जज लोया की मौत की जांच कराने के लिए जो पिटीशन फाइल की गई, वो ज्यूडिशयरी को "सनसनीखेज" बनाने के लिए की गई है। इसलिए इसकी आगे जांच कराने की कोई जरूरत नहीं है।" बता दें कि जज लोया की मौत 1 दिसंबर 2014 को हार्ट अटैक से संदिग्ध हालात में हो गई थी।
रोहतगी ने क्या कहा था?
जज लोया की मौत पर पिछली सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार की तरफ से पेश हुए मुकुल रोहतगी ने इस मामले की जांच का विरोध किया था। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि "जज लोया की मौत पर जितनी भी पिटीशन फाइल की गई है, वो ज्यूडीशियरी को "सनसनीखेज" बनाने के लिए की गई है। ये राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश है, आरोप लगाए जा रहे हैं, प्रेस कॉन्फ्रेंस की जा रही है।" उन्होंने आगे कहा कि "अमित शाह को इस मामले में जबरन लिंक किया जा रहा है। उनकी मौत के पीछे कोई रहस्य नहीं है। इसलिए इसकी आगे जांच की कोई जरूरत नहीं है।
किन लोगों ने फाइल की है पिटीशन?
जज लोया की मौत के मामले में कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला और महाराष्ट्र के पत्रकार बीएस लोन ने सुप्रीम कोर्ट में पीटीशन फाइल की थी, जो अभी पेंडिंग हैं। इसके बाद नेवी के पूर्व प्रमुख एल रामदास ने पिटीशन फाइल कर सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज और पूर्व पुलिस अधिकारियों की एक कमिटी बनाकर स्वतंत्र जांच कराने की मांग की थी। बता दें कि 12 जनवरी 2018 को 4 जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी, उसमें भी जज लोया की मौत के केस की सुनवाई पर सवाल उठाए गए थे।
जज लोया की मौत पर शक क्यों?
जज लोया की मौत 1 दिसंबर 2014 को हुई थी। बताया गया था उनकी मौत हार्ट अटैक से हुई है, लेकिन उनकी मौत के एक साल बाद उनकी बहन ने मौत के हालात पर शक जाहिर किया था। जज लोया की बहन का ये भी कहना था कि उनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का समय सुबह 6:15 बजे का है, जबकि उनके परिजनों को सुबह 5 बजे जज लोया की मौत की जानकारी दी गई थी। इसके साथ ही उनकी बहन ने ये भी कहा था कि उनकी मौत का कारण हार्ट अटैक को बताया गया है, लेकिन उनके कपड़ों पर खून के धब्बे लगे हुए थे। बता दें कि जज लोया सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस की सुनवाई कर रहे थे और उनकी मौत के तार भी सोहराबुद्दीन एनकाउंटर से जुड़े। हालांकि, हाल ही में जज लोया के बेटे अनुज लोया ने कहा था कि उनके पिता की मौत संदिग्ध नहीं है और वो जांच रिपोर्ट से संतुष्ट हैं।
क्या है सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस?
सीबीआई के मुताबिक, सोहराबुद्दी शेख और उसकी पत्नी कौसर बी को गुजरात के एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (एटीएस) ने उस वक्त अगवा कर लिया था, जब वो हैदराबाद से महाराष्ट्र के सांगली जा रहे थे। इसके बाद 26 नवंबर 2005 को सोहराबुद्दीन शेख का फर्जी एनकाउंटर कर उसकी हत्या कर दी गई। ये दावा किया गया कि सोहराबुद्दीन के पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के साथ संबंध थे। इसके एक साल बाद दिसंबर 2006 को पुलिस ने सोहराबुद्दीन एनकाउंटर के गवाह और उसके साथी तुलसीराम प्रजापति की भी कथित तौर पर हत्या कर दी थी। उस वक्त अमित शाह गुजरात के गृहमंत्री थे और इन दोनों एनकाउंटर में अमित शाह का नाम आया।
अमित शाह को मिल चुकी है क्लीन चिट
सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को क्लीन चिट मिल चुकी है। दरअसल, इस केस को 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र की ट्रायल कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया। इसके बाद 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने सोहराबुद्दीन और तुलसीराम प्रजापति केस को एकसाथ जोड़ दिया। पहले इस केस की सुनवाई जज जेटी उत्पत कर रहे थे, लेकिन 2014 में उनका ट्रांसफर कर दिया गया और फिर केस की सुनवाई बीएच लोया ने की। सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के साथ-साथ राजस्थान के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया, राजस्थान के बिजनेसमैन विमन पाटनी, गुजरात पुलिस के पूर्व चीफ पीसी पांडे, एडीजीपी गीता जौहरी, गुजरात पुलिस के ऑफिसर अभय चुडास्मा और एनके अमीन को बरी किया जा चुका है। जबकि इस केस में अभी भी 23 आरोपियों के खिलाफ जांच चल रही है।
Created On :   17 Feb 2018 8:12 AM IST