राम जन्‍मभूमि विवाद मामले में आज से रोजाना होगी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

Supreme Court will be heard daily in Ram Janmabhoomi dispute case
राम जन्‍मभूमि विवाद मामले में आज से रोजाना होगी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
राम जन्‍मभूमि विवाद मामले में आज से रोजाना होगी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले पर आज से रोजाना सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट की पीठ इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 13 अपीलों पर सुनवाई करेगी। बता दें कि हाईकोर्ट ने अपने फैसले में अयोध्या में 2.77 एकड़ के इस विवादित स्थल को इस विवाद के तीनों पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और भगवान राम लला के बीच बांटने का आदेश दिया था। इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट साफ कर चुका है कि वह इसे आस्था की तरह नहीं बल्कि जमीनी विवाद के तौर पर ही देखेगा।

 

 
 

जानिए इस केस से जुड़ी कुछ खास बातें

 

  • इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सबसे पहले यह तय किया जाएगा कि सभी पक्षकारों को किन-किन बिंदुओं पर बहस करनी है। उस बहस की रूपरेखा कैसी होगी।
  • जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी। 
  • सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल के अलावा अन्य याचिकाकर्ताओं ने मांग की थी कि कम से कम 7 जजों की बेंच इस पूरे मामले पर सुनवाई करे। 
  • उत्तर प्रदेश के सेन्ट्रल शिया वक्फ बोर्ड ने इस विवाद को लेकर समाधान के तौर पर अपनी राय दी थी कि अयोध्या में विवादित स्थल से कुछ दूरी पर मुस्लिम बाहुल्य इलाके में मस्जिद का निर्माण किया जा सकता है।

 

 

  • 8 मार्च को सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार के सामने हुई मीटिंग में सभी पक्षों ने कहा कि कागजी कार्रवाई और अनुवाद का काम लगभग पूरा हो गया है। बता दें कि पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कागजी कार्रवाई और अनुवाद का काम पूरा करने के आदेश दिए थे। 
  • कोर्ट के आदेश पर अनुवाद का यह काम उत्तर प्रदेश सरकार ने किया है। 9 हजार से ज्यादा पन्नों के हिन्दी, पाली, उर्दू, अरबी, पारसी, संस्कृत आदि सात भाषाओं के अदालती दस्तावेजों का अंग्रेजी में अनुवाद पूरा हो चुका है। 
  • रामायण, रामचरितमानस व गीता आदि के जो दस्तावेज हाईकोर्ट में सुनवाई में थे उनका भी अंग्रेज़ी में अनुवाद का काम हो चुका है। 

 

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया था ये फैसला

राम मंदिर के लिए होने वाले आंदोलन के दौरान 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया था। इस मामले में आपराधिक केस के साथ-साथ दीवानी कचहरी में भी मुकदमा चला। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 30 सितंबर 2010 को अयोध्या टाइटल विवाद में फैसला दिया था। इस फैसले में कहा गया था कि विवादित जमीन को 3 बराबर हिस्सों में बांटा जाए। जिस जगह रामलला की मूर्ति है उसे रामलला विराजमान को दिया जाए। सीता रसोई और राम चबूतरा निर्मोही अखाड़े को दिया जाए, जबकि बाकी का एक तिहाई जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को दी जाए।

 

 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा यथास्थिति बनाए रखें 

सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई 2011 को इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए मामले की सुनवाई करने की बात कही थी। उच्च न्यायालय ने भी अपने आदेश में कहा है। काफी समय से भगवान राम टाटपट्टी में हैं, इसलिए अब वहां मंदिर बनना आवश्यक हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट में इसके बाद से यह मामला लंबित है। महंत कौशल किशोर शरण दास ने कहा कि रामजन्मभूमि विवाद की निपटारा शीघ्र हो जाए जिससे देश में अमन-चैन बना रहे। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि इस विवाद का निपटारा बातचीत से न होकर सुप्रीम कोर्ट से ही होगा। गौरतलब है कि यह विवाद लगभग 68 वर्षों से कोर्ट में है। 

Created On :   14 March 2018 7:53 AM IST

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story