केजरीवाल पर अरुण जेटली के लगाए मानहानि केस में HC आज करेगा सुनवाई

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट में गुरुवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर केंद्रीय मंत्री अरुण जटेली के लगाए मानहानि मामले में सुनवाई होनी है। इसे पहले 23 नवंबर को हुई सुनवाई में अरूण जटेली ने कोर्ट में कहा था कि अरविंद केजरीवाल केस को सिर्फ खींच रहे हैं।
जेटली ने कहा कि केजरीवाल के वकील ने उनका आठ बार क्रॉस एग्जामिनेशन किया है, लेकिन उस दौरान उन्होंने एक बार भी मानहानि वाली बात के बारे में कोई सवाल नहीं पूछा। इसके अलावा दुनिया के सभी सवाल उनसे पूछे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सुनवाई में देरी करने के लिए ही केजरीवाल ऐसी अर्जियां दाखिल कर रहे हैं।
उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट के संयुक्त रजिस्ट्रार राकेश पंडित को बताया कि मानहानि के दो मामले दर्ज किये गये और आठ सुनवाई पहले ही हो चुकी हैं और इस पर एक भी सवाल नहीं पूछा गया और आप दुनियाभर की बात कर रहे हैं। ऐसे में प्रासंगिकता का सवाल आता है। बता दें कि जेटली ने केजरीवाल और 5 आप नेताओं के खिलाफ उनके द्वारा दाखिल 10 करोड़ रुपये के मानहानि के मुकदमे में डेढ़ घंटे से अधिक लंबी सुनवाई के बाद यह बात कही।
वहीं केजरीवाल की तरफ से वरिष्ठ वकील अनूप जॉर्ज चौधरी ने रजिस्ट्रार राकेश पंडित से कहा कि उन्हें जेटली को क्रॉस एग्जामिनेशन के लिए और समय चाहिए।
गौरतलब है कि इन आप नेताओं ने अरुण जेटली पर 2000 से 2013 के बीच डीडीसीए में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। जिसके बाद जेटली ने दस करोड़ रुपये का मानहानि का दावा किया है।
पूरा मामला
डीडीसीए में अनियमितता पर दिल्ली सरकार के विजिलेंस विभाग ने चेतन सांघी को जांच की जिम्मेदारी सौंपी थी। चेतन सांघी ने दिल्ली सरकार को अपनी रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में उन्होंने डीडीसीए में घोटालों का खुलासा किया है, रिपोर्ट में 2002 से अब तक की जांच की गई है रिपोर्ट के मुताबिक, डीडीसीए ने फिरोजशाह कोटला के दोबारा निर्माण का फैसला लिया था जो 2002 से 2007 तक चला। इस पर 24 करोड़ खर्च होने थे पर खर्च 114 करोड़ रुपये हुए।
रिपोर्ट में कहा गया है कि स्टेडियम के अधिकतर कामों के लिए टेंडर निकालने का कोई रिकॉर्ड नहीं है। इसके इलावा डीडीसीए ने स्टेडियम में 12 कॉर्पोरेट बॉक्स बनाए जो उचित प्रक्रिया के बिना कंपनियों को लीज कर दिए गए। रिपोर्ट के अनुसार स्टेडियम के निर्माण में शामिल अधिकतर कंपनियां डीडीसीए के अधिकारियों की "फ्रंट" कंपनियां हैं इसीलिए बजट जान-बूझकर कई गुना बढ़ाया गया डीडीसीए फिरोजशाह स्टेडियम को शहरी विकास मंत्रालय से लीज पर लेकर चलाता है। इसके बदले डीडीसीए मंत्रालय को हर साल लगभग 25 लाख रुपए देता है।
मंत्रालय को आज की दर से 16 करोड़ रुपये सालाना मिलने चाहिए। रिपोर्ट के अनुसार इस विवाद के कारण डीडीसीए के पास स्टेडियम चलाने के लिए फिलहाल कोई लीज नहीं है।
Created On :   30 Nov 2017 8:09 AM IST