कल लोकसभा में पेश किया जाएगा ट्रिपल तलाक बिल

Triple talaq bill to be introduced in Lok Sabha on Thursday
कल लोकसभा में पेश किया जाएगा ट्रिपल तलाक बिल
कल लोकसभा में पेश किया जाएगा ट्रिपल तलाक बिल

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिन्दुस्तान में तीन तलाक को खत्म करना केंद्र की मोदी सरकार के मुख्य एजेंडे में से एक है। इससे संबंधित बिल को कल लोकसभा में पटल पर रखा जाएगा। बिल को आसानी से पास कराने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने अपने सभी सांसदों को 28, 29 दिसंबर के लिए व्हिप जारी कर दिया है। सांसदों को व्हिप जारी किया है और कहा है कि सभी इस मौके पर सदन में मौजूद रहें। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस बिल का तीखा विरोध कर रहा है, वहीं लेफ्ट, कांग्रेस, टीएमसी और एनसीपी समेत विपक्ष का एक बड़ा तबका भी इसके विरोध में है।

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सरकार इस बिल को संसद में पेश करने को लेकर अडिग है हालांकि बहुत मुमकिन है कि इस बिल को संसदीय समिति को सौंप दिया जाएगा। बिल को लोकसभा में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद गुरुवार को पेश करेंगे। इस बिल को गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अगुआई में एक अंतरमंत्रालयी समूह ने तैयार किया है। अगर सर्वसम्मति से ये विधेयक लोकसभा में पास हो गया तो फिर तीन तलाक देना गैर-जमानती अपराध की श्रेणी में आ जाएगा और ऐसा करने वाले को तीन साल तक की जेल भी हो सकती है। वहीं इस बिल में जुर्माने का भी प्रावधन किया गया है।

 

प्रस्तावित बिल महिला विरोधी

बीते रविवार को लखनऊ में इस संबंध में पर्सनल लॉ बोर्ड की वर्किंग कमेटी की बैठक हुई थी। इस बैठक में तीन तलाक पर प्रस्तावित बिल को लेकर चर्चा की गई। कई घंटों चली बैठक के बाद बोर्ड ने इस बिल को खारिज करने का निर्णय लिया। इतना ही नहीं ट्रिपल तलाक पर लाए जा रहे इस बिल को बोर्ड ने महिला विरोधी बताया है।

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बिना मुस्लिम संगठन की राय के बना बिल

इस बिल को लेकर सरकार की ओर से केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद का बयान सामने आया है। रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को कहा कि ट्रिपल तलाक बिल को तैयार करने के लिए मुस्लिम संगठनों से विचार-विमर्श नहीं किया गया। दरअसल संसद में इसे लेकर प्रश्न पूछा गया था। जिसके लिखित जवाब में रविशंकर प्रसाद ने कहा कि "सरकार का मानना है कि यह मुद्दा लैंगिक न्याय, लैंगिक समानता और महिलाओं की गरिमा की मानवीय अवधारणा से जुड़ा हुआ है और इसका आस्था और धर्म से कोई संबंध नहीं है।" इसीलिए मुस्लिम संगठनों से राय नहीं ली गई। 

 

बिल की प्रमुख बाते

- गैर-जमानती अपराध की श्रेणी में आएगा ट्रिपल तलाक
- बिल में है तीन साल तक की जेल का प्रावधान
- जम्मू कश्मीर में ये कानून लागू नहीं होगा
- ट्रिपल तलाक की पीड़ित महिला को गुजारा भत्ता का अधिकार
- मजिस्ट्रेट तय करेंगे गुजारा भत्ता

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कैबिनेट से मिली थी हरी झंडी

इससे पहले शुक्रवार को आयोजित हुई केंद्रीय कैबिनेट मीटिंग में तीन तलाक से जुड़े बिल को हरी झंडी दिखा दी गई थी। मोदी सरकार "द मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज एक्ट" नाम से इस बिल को लेकर आ रही है। कानून बनने के बाद यह सिर्फ तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) पर लागू होगा। बिल में कहा गया है कि अगर कोई पति तीन बार तलाक-तलाक-तलाक कहकर डिवोर्स लेता है तो फिर इसे गैर जमानती अपराध माना जाएगा और आरोपी को तीन साल की जेल की सजा होगी। इसमे जुर्माने का प्रावधान भी है। मेजिस्ट्रेट इस बात को तय करेंगे की आरोपी पर कितना जुर्माना लगाना है।

 

गठित हुआ था मंत्री समूह

पीएम नरेंद्र मोदी ने तीन तलाक पर कानून बनाने के लिए एक मंत्री समूह बनाया था, जिसमें राजनाथ सिंह, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, रविशंकर प्रसाद, पीपी चौधरी और जितेंद्र सिंह शामिल थे। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पिछले दिनों कहा था कि नरेंद्र मोदी सरकार मुस्लिमों में तीन तलाक की प्रथा को समाप्त करने के लिए कानून लाने वाले है।

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सुप्रीम कोर्ट का प्रतिबंध

तीन तलाक पर शीर्ष अदालत ने प्रतिबंध लगा दिया था। तलाक-ए-बिद्दत मुस्लिम समाज में लंबे समय से चली आ रही एक प्रथा है जिसमें कोई व्यक्ति अपनी पत्नी को एक बार में तीन तलाक बोलकर रिश्ता खत्म कर सकता है। इसको सायरा बानो नामक महिला ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी और इसी पर शीर्ष अदालत ने 22 अगस्त को फैसला सुनाया था। 

Created On :   27 Dec 2017 10:24 AM IST

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