पूर्वोत्तर में युवाओं को उग्रवाद की ओर धकेल रही बेरोजगारी (आईएएनएस विशेष)

Unemployment pushing youth towards militancy in North-East (IANS Special)
पूर्वोत्तर में युवाओं को उग्रवाद की ओर धकेल रही बेरोजगारी (आईएएनएस विशेष)
पूर्वोत्तर में युवाओं को उग्रवाद की ओर धकेल रही बेरोजगारी (आईएएनएस विशेष)
हाईलाइट
  • पूर्वोत्तर में युवाओं को उग्रवाद की ओर धकेल रही बेरोजगारी (आईएएनएस विशेष)

नई दिल्ली, 20 सितंबर (आईएएनएस)। भारत में कोविड-19 महामारी के कारण हुआ लॉकडाउन अब राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए सिरदर्द बन रहा है। महामारी के दौरान नौकरी गवां चुके युवाओं के प्रतिबंधित उग्रवादी समूहों जैसे युनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) में बड़ी तादाद में शामिल होने की सूचना मिली है।

इसके साथ ही रिपोर्ट के अनुसार, चीन द्वारा निर्मित हथियारों की एक बड़ी खेप म्यांमार के अलगाववादी कट्टरपंथी समूहों के हाथों में पहुंच रही है, जिनका भारत के पूर्वोत्तर में आतंकवादी समूहों के साथ घनिष्ठ संबंध है।

राष्ट्रीय सुरक्षा प्रतिष्ठान के वरिष्ठ अधिकारियों ने सरकारी सुरक्षा नियमों का हवाला देते हुए, नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा कि उभरता परिदृश्य भारतीय सुरक्षा और खुफिया अधिकारियों द्वारा सालों की कड़ी मेहनत के दौरान बनाए गए संतुलन के लिए खतरा उत्पन्न कर रहा है।

म्यांमार के राखाइन राज्य में सक्रिय अराकन आर्मी (एए) को चीनी हथियारों का ताजा खेप मिल चुका है और यह पूर्वोत्तर भारत में विद्रोही समूहों को हथियारों और गोला-बारूद के प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं में से एक माना जाता है।

अधिकारियों ने कहा कि एए भारत के कलादान मल्टी मोडल प्रोजेक्ट का विरोध करता है, जो मिजोरम जैसे राज्यों को म्यांमार में सिट्टवे बंदरगाह के माध्यम से समुद्र के लिए एक आउटलेट प्रदान करता है। दिलचस्प बात यह है कि एए ने चीन-म्यांमार इकॉनोमिक कॉरिडोर का विरोध नहीं किया है।

सुरक्षा एजेंसियों ने सरकार से कहा है कि भारत-म्यांमार सीमा पर सक्रिय उग्रवादी समूह कोविड-19 महामारी लॉकडाउन के कारण बेरोजगार हुए युवाओं को आसानी से समूह में भर्ती कर सकता है।

अधिकारी ने कहा, एए द्वारा चीन निर्मित हथियारों को पा लेने से भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में सुरक्षा स्थिति पर असर पड़ेगा, क्योंकि इनमें से अधिकांश हथियार पूर्वोत्तर के कुछ उग्रवादी समूहों तक पहुंचने के लिए अपना रास्ता तलाश रहे हैं।

उन्होंने आगे कहा, नए हथियार पूर्वोत्तर समूहों को हमले की क्षमता प्रदान करते हैं, जिनकी संख्या महामारी के कारण बेरोजगार हुए युवाओं को भर्ती करने से बढ़ती जा रही है।

म्यांमार से बाहर स्थित पूर्वोत्तर का प्रतिबंधित उग्रवादी समूह खापलांग गुट नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (एनएससीएन-के) नई भर्तियों से मजबूत और पुनर्जीवित हो रहा है और भारत-म्यांमार बॉर्डर पर भारतीय सेना के खिलाफ हमलों की योजना बना रहा है।

गौरतलब है कि साल 2016 में एनएससीएन (के) ने भारतीय सेना के 18 सैनिकों को मार डाला था और भारत को म्यांमार में शरण लेने वाले आतंकवादी ठिकानों पर हमला करने के लिए मजबूर किया।

भारत के लिए चिंता की बात यह है कि नरेंद्र मोदी सरकार के प्रयासों के बावजूद नागा उग्रवादी समूहों के साथ शांति वार्ता विफल रही है।

एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि पीपल्स डेमोक्रेटिक काउंसिल ऑफ कार्बी लोंगरी (पीडीसीके) जैसे समूहों ने असम में 15 नए कैडर नियुक्त किए हैं। सूत्र ने कहा, आउटफिट में कार्बी पीपुल्स लिबरेशन टाइगर द्वारा 10-15 कैडर की भर्ती की गई है।

इसके अलावा यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) ने मेघालय के संगठन में 15-20 युवाओं की भर्ती की है।

वहीं खुफिया इनपुट ने बताया कि त्रिपुरा में नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (एनएलएफटी) के चरमपंथी परिमल देबब्रमा अपने समूह को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहे हैं और संगठन में शामिल हुए कुछ नए सदस्यों ने बांग्लादेश के खगरात्रि जिले के एक ठिकाने में अपना बुनियादी प्रशिक्षण पूरा कर लिया है।

सूत्र ने आगे कहा, ये कैडर ऑपरेशन के लिए भारत में घुसपैठ करने की योजना बना रहे हैं।

खुफिया एजेंसियों ने यह भी कहा कि उग्रवादी समूहों की उपस्थिति के कारण भारत-म्यांमार सीमा खतरे के मद्देनजर अतिसंवेदनशील है।

सूत्र ने कहा, कई उग्रवादी समूह म्यांमार में डेरा डाले हुए हैं और अरुणाचल प्रदेश के तिरप, लोंगडिंग और चांगलांग जिलों और नगालैंड के मोन जिले और असम के चराइदेव जिले के माध्यम से घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे हैं।

एमएनएस/एसजीके

Created On :   20 Sep 2020 12:00 PM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story