उप्र : स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट नेताओं के प्रति कठोर

UP: Special MP-MLA court harsh against politicians
उप्र : स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट नेताओं के प्रति कठोर
उप्र : स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट नेताओं के प्रति कठोर
हाईलाइट
  • अदालत ने बुधवार को बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी का आत्मसमर्पण कराया और उन्हें लगभग दो घंटों तक हिरासत में रखा
  • इलाहाबाद स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट विभिन्न मामलों में आरोपी नेताओं के खिलाफ कोई रियायत नहीं दिखा रही है
प्रयागराज, 1 अगस्त (आईएएनएस)। इलाहाबाद स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट विभिन्न मामलों में आरोपी नेताओं के खिलाफ कोई रियायत नहीं दिखा रही है।

अदालत ने बुधवार को बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी का आत्मसमर्पण कराया और उन्हें लगभग दो घंटों तक हिरासत में रखा। इसके बाद निजी बॉन्ड भरने के बाद उन्हें रिहा किया गया।

सिद्दीकी जुलाई 2016 के एक मामले में आरोपी थे, जब उन्होंने लखनऊ में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता दया शंकर सिंह के खिलाफ बिना पूर्व अनुमति के विरोध प्रदर्शन किया था। दयाशंकर सिंह ने बसपा प्रमुख मायावती के खिलाफ आपत्तिजनक बयान दिया था।

विशेष अदालत ने उसके निर्देशों का पालन नहीं करने पर कई नेताओं के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है।

अदालत ने इससे पहले उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या के खिलाफ दर्ज धोखाधड़ी के एक मामले में उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया था।

कौशांबी जिला के मोहब्बतपुर पैंसा पुलिस स्टेशन में 22 सितंबर, 2008 को दर्ज मामले में मौर्या और अन्य पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने एक मां दुर्गा समिति बनाकर उसके नाम पर एक लेटर हैड बनाया था और चंदा के नाम पर जनता से रुपये इकट्ठे किए थे।

अदालत ने सरकारी जांच एजेंसियों को तत्कालीन पर्यटन मंत्री रीता बहुगुणा जोशी को गिरफ्तार करने का भी निर्देश दे दिया था।

जोशी के खिलाफ 2010 में आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का मामला दर्ज था और वे अदालत के आदेश के बावजूद अदालत में पेश नहीं हुईं थीं।

उस समय बसपा के शासन में कांग्रेस की वरिष्ठ नेता जोशी धारा 144 का उल्लंघन करते हुए जबरन विधानसभा में घुस गई थीं। उनके ऊपर पुलिस बल के साथ दुर्व्यवहार करने का भी आरोप था।

अदालत ने आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप में योगी सरकार के एक और मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था।

विशेष सांसद-विधायक कोर्ट जिस रफ्तार से कार्रवाई कर रही है, इसने नेताओं को चिंता में डाल दिया है।

एक मंत्री ने कहा, आदर्श आचार संहिता जैसे मामलों में गैर-जमानती वारंट जारी करना कहीं ना कहीं अन्याय है। ज्यादातर शिकायतें राजनीतिक दुश्मनी के कारण दर्ज कराई जाती हैं।

--आईएएनएस

Created On :   1 Aug 2019 7:32 PM IST

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