संगठन ने शहनाई के लिए जीआई टैग मांगा

Varanasi organization asks for GI tag for Shehnai
संगठन ने शहनाई के लिए जीआई टैग मांगा
वाराणसी संगठन ने शहनाई के लिए जीआई टैग मांगा

डिजिटल डेस्क, वाराणसी। एक आवेदन दायर कर शहनाई के लिए भौगोलिक संकेत (जीआई) प्रमाणन टैग की मांग की गई है।

जीआई आवेदन मंगलवार को वाराणसी स्थित एक सांस्कृतिक संगठन, भारतरत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान फाउंडेशन द्वारा पद्मश्री पुरस्कार विजेता ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन के डॉ. रजनी कांत के समर्थन से दायर किया गया था, जिन्हें भारत के जीआई मैन के रूप में भी जाना जाता है। देशभर में 125 से अधिक जीआई आवेदन दाखिल करने में उनकी सक्रिय भूमिका रही है।

भारतरत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान फाउंडेशन, जो 2009 में स्थापित एक सांस्कृतिक समाज है, की देखरेख इसके प्रबंध ट्रस्टी सैयद अब्बास मुर्तजा शम्सी करते हैं।

डॉ. रजनी कांत ने कहा, शहनाई और वाराणसी शहर के पर्यायवाची हैं। यह उस्ताद ही थे जिन्होंने शहनाई को शास्त्रीय संगीत के आदर्श माध्यम के रूप में शादियों में बजाए जाने वाले एक अस्पष्ट पवन वाद्य यंत्र होने की बदनामी से हटा दिया। यह उपकरण वर्षो से है और अभी भी वाद्ययंत्र के कुछ बेहतरीन खिलाड़ियों का उत्पादन जारी है।

उनके अनुसार, आवेदन चेन्नई में जीआई रजिस्ट्री में दायर किया गया था।

उन्होंने कहा, किसी और से ज्यादा उस्ताद बिस्मिल्लाह खान शहनाई को एक संगीत वाद्ययंत्र के रूप में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय बनाने के लिए पूरी तरह जिम्मेदार थे।

शहनाई लकड़ी से बनी होती है, जिसकी ध्वनि शुभता और पवित्रता की भावना पैदा करती है और बनाए रखती है। इसका विवाह और मंदिरों में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।

कांत ने कहा, शहनाई बनाना हस्तशिल्प की श्रेणी में आता है और वाराणसी में इस शिल्प में लगभग 60-70 कारीगर लगे हुए हैं।

रिकॉर्ड के अनुसार, पूर्वी यूपी के वाराणसी क्षेत्र में बनारस ब्रोकेड और साड़ी, भदोही के हस्तनिर्मित कालीन, बनारस गुलाबी मीनाकारी शिल्प, वाराणसी लकड़ी के लाह के बर्तन और खिलौने, निजामाबाद ब्लैक पॉटरी, बनारस मेटल रेपोस क्राफ्ट, वाराणसी ग्लास सहित 16 जीआई-टैग उत्पाद हैं। बीड्स, गाजीपुर वॉल हैंगिंग, वाराणसी सॉफ्ट स्टोन जाली वर्क, चुनार बलुआ पत्थर, चुनार ग्लेज्ड पॉटरी, बनारस जरदोजी, मिर्जापुर पितल बार्टन, बनारस वुड कार्विग, बनारस हैंड ब्लॉक प्रिंट और मऊ साड़ी।

कांत ने कहा, जीआई टैग गुणवत्ता और विशिष्टता का आश्वासन देता है जो अनिवार्य रूप से उस परिभाषित भौगोलिक इलाके, क्षेत्र या देश में इसकी उत्पत्ति के तथ्य के कारण होता है।

 सॉर्स-(आईएएनएस)

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Created On :   6 July 2022 12:00 PM IST

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