कृपया हंगामा न करें, शोरशराबे में बिल पास करना मुश्किल : नायडू

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत के 13वें उपराष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेने के साथ ही एम वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को राज्यसभा के सभापति के रूप में पदभार ग्रहण करने के बाद कहा कि सदन अपने मुद्दों को रखने, बहस करने और चर्चा करने के लिए है, न कि गतिरोध उत्पन्न करने के लिए। नायडू ने कहा कि सदन में होने वाले हो-हल्ला, शोर-शराबा और हंगामे के बीच कोई भी बिल पास करना मेरे लिए मुश्किल होगा और मैं इसे पास नहीं कर पाउंगा।
केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने भी इसे सही ठहराते हुए कहा कि 2014 से शोर और हंगामे के कारण बिलों को पारित नहीं किया जा सका है। उन्होंने सरकार के विधायी व्यवसाय को आसानी के साथ सुचारू रूप से लागू करने की इजाजत दी है। इसके बाद उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा कि विभिन्न दलों के सदस्य राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी तो थे परंतु शत्रु नहीं। हमें इसे ध्यान में रखना होगा और साथ में काम करना होगा। नायडू ने कहा, "आखिरकार, भारत की संस्कृति कृषि प्रधान है।" अपने इतिहास को याद करते हुए उन्होंने कहा कि वह भी एक साधारण परिवार से ही आते हैं। उनके पास किसी भी "राजवंश" का समर्थन नहीं रहा है।
"...उधर से तुम्हें सलाम आए"
राज्यसभा में पीएम नरेंद्र मोदी ने भी वेंकैया नायडू की तारीफ करते हुए कहा कि एक किसान के रूप में वे खेत-खलिहान की समस्या को अच्छी तरह समझते हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का तोहफा अगर किसी ने दिया है तो वो वेंकैया नायडू हैं। मोदी ने शायराना अंदाज में कहा कि कहा कि "अमल करो ऐसा सदन में, जहां से गुजरे तुम्हारी नजरें, उधर से तुम्हें सलाम आए"।
यह "क्लास" ज्यादा मुश्किल
राज्यसभा में नायडू का स्वागत करते हुए शिवसेना सांसद ने कहा कि नायडू ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत छात्र नेता के तौर पर की थी। उसके बाद वह बीजेपी की छात्र इकाई के सभापति बने और अब वह वापस एक क्लास की सभापतित्व कर रहे हैं, जिसमें उनके (राउत) जैसे छात्र हैं। अपना एक अलग ही अनोखा अंदाज रखने वाले RPI-(A) के रामदास अठावले ने कहा कि सदन को चलाना काफी मुश्किल है और बीजेपी और कांग्रेस को एक करना सबसे मुश्किल। उन्होंने कहा, "आप मुझे बोलने दीजिएगा वरना सदन को चलाना मुश्किल हो जाएगा।"
Created On :   11 Aug 2017 8:14 AM IST