...तो क्या इन वजहों के चलते केन्द्र सरकार को बदलनी पड़ी GST दरें?

whtss the Reasons behind change in rates of GST
...तो क्या इन वजहों के चलते केन्द्र सरकार को बदलनी पड़ी GST दरें?
...तो क्या इन वजहों के चलते केन्द्र सरकार को बदलनी पड़ी GST दरें?

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आर्थिक मोर्चे पर चौतरफा आलोचना का शिकार हो रही केंद्र सरकार ने शुक्रवार को आयोजित जीएसटी काउन्सिल की बैठक में अनेक रियायतों की घोषणा की। इन रियायतों से छोटे कारोबारियों, निर्यातकों और सामान्य उपभोक्ताओं को राहत मिलने की उम्मीद है। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार ने यह निर्णय दो वजहों से लिया है। केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों की पार्टी में आलोचना होने लगी थी। दूसरे अगले दिनों में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में होने वाले चुनाव में आर्थिक सुधारों के कारण बीजेपी को दिक्कत न आये, इसलिए भी यह निर्णय लिया गया है। केंद्र सरकार का मानना है कि जीएसटी दरों में कटौती का अर्थव्यवस्था के हालिया निराशाजनक प्रदर्शन से उपजे अविश्वास को खत्म करने में मदद मिलेगी। पेट्रोल-डीजल के दामों में बेतहाशा बढ़ोतरी भी सरकार की एक बड़ी चिंता थी। इसी वजह से केंद्र सरकार ने एक्साइज ड्यूटी में कमी की है। जिसकी वजह से पेट्रोल-डीजल के दामों में गिरावट आई है। 

रिजर्व बैंक ने भी दिया झटका
आर्थिक नीति के मोर्चे पर चौतरफा आलोचना झेल रही केंद्र सरकार को एक और झटका भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) की मौद्रिक नीति समिति ने दिया है। बुधवार को मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक में माना गया कि केंद्र सरकार के कुछ आर्थिक फैसले ठीक नहीं रहे हैं। इनमें जीएसटी (वस्तु एवं सेवाकर) का क्रियान्वयन भी है। समिति ने अगली छमाही यानी अक्तूबर से मार्च के बीच महंगाई बढ़ने की आशंका जताई है। 

कर्जमाफी से बढेगा राजकोषीय घाटा
जीएसटी के नकारात्मक असर की व्याख्या करने के दौरान समिति ने साफ कहा है कि भविष्य में वह राहत पैकेज देने में सावधानी बरते। समिति का इशारा किसानों की कर्जमाफी को लेकर था। कहा गया कि इससे राजकोषीय घाटा बढ़ेगा, जो कि अर्थव्यवस्था के लिए ठीक नहीं होगा। रिजर्व बैंक ने स्पष्ट तौर पर कहा कि वह जीएसटी लागू करने के तौर-तरीके से खुश नहीं है, क्योंकि इससे अर्थव्यवस्था बेपटरी हो गई है, उत्पादन क्षेत्र की परेशानियां बढ़ी हैं। 

अपनों के निशाने पर 
जीएसटी और नोटबंदी की वजह से अर्थव्यवस्था पूरी तरह बेपटरी हो गई। निवेश का क्रम और विनिर्माण क्षेत्र भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। की वजह से केंद्र सरकार अपनों के ही निशाने पर आ गए हैं। सबसे पहले वरिष्ठ भाजपा नेता सुब्रह्मणयम स्वामी ने लगातार गिरती अर्थव्यवस्था की आलोचना की। उन्होंने चेतावनी दी थी अगर जल्द जल्द सुधार नहीं किए गए तो अगले दिनों में स्थिति जटिल हो जाएगी। इसके बाद पूर्व वित्त मंत्री और पूर्व विनिवेश मंत्री अरुण शौरी ने भी भारतीय अर्थनीति की आलोचना की। 

गुजरात चुनाव का दबाव
गुजरात में भाजपा और कांग्रेस के बीच अभी से चुनावी समर शुरू हो गया है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और भाजपा प्रमुख अमित शाह का ध्यान लगातार गुजरात पर ही है। नोटबंदी और जीएसटी लागू होने के बाद अर्थव्यवस्था में आई मंदी ने चार बार से राज्य का शासन संभाल रही भाजपा के लिए कुछ मुश्किलें खड़ी हैं। जिसकी वजह से कांग्रेस को राज्य के कुछ प्रभावशाली वर्गों का समर्थन मिलता दिखाई दे रहा है। ऐसे में भाजपा ने जीएसटी में कुछ राहतों की घोषणा करके लोगों का समर्थन जुटाने का प्रयास किया है। 

राज्य की कुल 182 सीटों वाली विधानसभा में भाजपा की 120 सीटें हैं। कांग्रेस की राज्य विधानसभा में केवल 43 सीटें ही हैं। आंकड़ों के गणित में भाजपा की स्थिति बहुत मजबूत दिखाई देती है, लेकिन हाल के दिनों में राज्य में जिस तरह से सरकार विरोधी स्वर सुनाई पड़े हैं। अनेक जातीय समूह कांग्रेस के समर्थन में उठ खड़े हुए हैं। इसे देख कर भाजपा रणनीतिकार चिंतित हो उठे हैं। यही वजह रही कि भाजपा जीएसटी की दरों में संशोधन के लिए मजबूर हो गई। अनुमान है कि अगले दिनों में भाजपा शासित राज्य सरकारें कुछ और बड़ी घोषणाएं कर सकती है। गुजरात सरकार ने घोषणा की है कि वह पेट्रोल डीजल पर वैट दरों में कटौती करेगी। 

हिमाचल प्रदेश पर नजर
हिमाचल प्रदेश में भाजपा प्रमुख विपक्षी दल है। सत्तारूढ़ कांग्रेस के भीतर चल रही आंतरिक कलह भाजपा को एक बड़े अवसर के रूप में दिखाई दे रही है। यही वजह है कि उसने हाल के दिनों में इस पर्वतीय राज्य पर लगातार नजर बनाए रखी है। हिमाचल प्रदेश की 68 सदस्यीय वि्धानसभा में कांग्रेस के 36 विधायक हैं। 27 सदस्यों के साथ भाजपा राज्य में प्रमुख विपक्षी दल है। ऐसे में भाजपा के सामने कुछ लोकप्रियता मूलक घोषणा करना जरूरी हो गया है। जीएसटी दरों में की गई ताजा कटौती को भी इस नजरिए से देखा जा सकता है। 

Created On :   7 Oct 2017 12:09 AM IST

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