उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने मुख्यमंत्री पर लगा केस वापस लिया

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर चल रहे केस को वापस लेने का फैसला लिया है। जिस केस को यूपी सरकार ने वापस लेने का फैसला लिया है वो करीब 22 साल पुराना है। सीएम योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री शिव प्रताप शुक्ला सहित 10 लोगों के खिलाफ ये केस दर्ज था। सभी पर धारा-144 का उल्लंघन करने का आरोप लगा था।
साल 1995 में गोरखपुर जिले के पीपीगंज कस्बे में योगी आदित्यनाथ और अन्य लोगों ने निषेधाज्ञा लागू होने के बाद भी धरना दिया था। इस मामले में योगी के अलावा राकेश सिंह, नरेंद्र सिंह, समीर सिंह, शिव प्रताप शुक्ला, विश्वकर्मा द्विवेदी, शीतल पांडेय, विभ्राट चंद कौशिक, उपेंद्र शुक्ला (वर्तमान में भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष), शंभूशरण सिंह, भानुप्रताप सिंह, रमापति राम त्रिपाठी और अन्य लोगों के खिलाफ धारा 188 में मुकदमा दर्ज हुआ था।
यह मामला गोरखपुर के पीपीगंज पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था, इस मामले में स्थानीय कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था। आरोपी कोर्ट में पेश नहीं हुए थे जिसकी वजह से इनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था।
20 दिसंबर को सरकार ने गोरखपुर के जिला मजिस्ट्रेट को एक पत्र जारी किया है जिसमे इन तमाम मामलों को कोर्ट से वापस लेने के लिए कहा गया है। मुकदमा वापस लेने की राज्यपाल से अनुमति मिलने के बाद प्रदेश सरकार ने जल्द ही इसकी औपचारिकता पूरी करने का निर्देश दिया है।
इस मामले को लेकर शिव प्रताप शुक्ला ने कहा कि उन्हें यह मामला याद नहीं है क्योंकि ये 22 साल पुराना मामला है। उन्होंने यह भी कहा कि मुझे इस बात की जानकारी नहीं है कि मेरे खिलाफ कोई गैर जमानती वारंट जारी किया गया था।
गौरतलब है कि, योगी आदित्यनाथ के पर नफरत फैलाने वाला भाषण देने का भी 2007 में आरोप लगा था, लेकिन राज्य सरकार ने उन पर मुकदमा चलाने से मना कर दिया था।
Created On :   27 Dec 2017 11:09 AM IST