राम जन्मभूमि आंदोलन: बाबरी मस्जिद में सबसे पहले राम लला की मूर्ति रखने की इस शख्स ने दिखाई थी हिम्मत, इसलिए शामिल हुई इंविटेशन कार्ड में नाम!

बाबरी मस्जिद में सबसे पहले राम लला की मूर्ति रखने की इस शख्स ने दिखाई थी हिम्मत, इसलिए शामिल हुई इंविटेशन कार्ड में नाम!
  • बाबरी मस्जिद के केंद्रीय गुंबद में संत अभिराम दास ने रखा था रामलला की मूर्ति
  • वर्ष 1949 में 22-23 दिसंबर की रात को रामलला की मूर्ति श्रीरामजन्मभूमि स्थल पर प्रकट हुई थी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनकर लगभग तैयार है। 22 जनवरी को राम मंदिर के गर्भ-गृह में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी। इस दिव्य कार्यक्रम में शामिल होने के लिए हजारों लोगों को निमंत्रण भेजा गया है। मंदिर ट्रस्ट ने आंदोलन के दौरान महत्वपूर्ण योगदान देने वाले लोगों के परिवार और कारसेवकों को भी निमंत्रण पत्र भेजा है। प्रत्येक निमंत्रण पत्र के साथ 'संकल्प' नाम का बुकलेट भी भेजा जा रहा है। जिसमें आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले 21 महान व्यक्तित्व की जानकारी साझा की गई है। इन 21 लोगों की सूची में संत-महात्मा से लेकर हिंदू संगठनों के नेता और कई गुमनाम व्यक्तित्व के नाम शामिल है। इस लिस्ट में बाबरी मस्जिद के अंदर रामलला की मूर्ति प्रकट करने के पीछे का चेहरा माने जाने वाले संत अभिराम दास के बारे में बताया गया है। जानकारी के मुताबिक, महान संत अभिराम दास ने रामलला की मूर्ति को बाबरी मस्जिद के केंद्रीय गुंबद में रखा था। रामलला की मूर्ति मस्जिद के अंदर रखने के बाद आंदोलन में काफी तेजी आई थी।

दर्ज हुई थी एफआईआर

वर्ष 1949 में 22-23 दिसंबर की रात को रामलला की मूर्ति श्रीरामजन्मभूमि स्थल पर प्रकट हुई थी। जो उस समय बाबरी मस्जिद के केंद्रीय गुम्बद के अंदर की जगह थी। संत अभिरामदास को इस मूर्ति के प्राकट्य के महानायक के रूप में जाना जाता है। महान संत अभिराम दास जी महाराज अयोध्या के हनुमानगढ़ी में उज्जैनिया पट्टी के नागा साधु थे और रामनंदी संप्रदाय के युवा साधुओं में अग्रणी थे। माना जाता है कि इस संत का शीर्ष पुलिस अधिकारियों के साथ अच्छा संपर्क था और उनकी मदद से ही उन्होंने रामलला को मस्जिद के अंदर रखा था। 'अयोध्या - द डार्क नाइट' नाम की किताब के मुताबिक, 'केंद्रीय गुंबद के अंदर रामलला की मूर्ति को रखना अभिराम दास और दो शीर्ष जिला अधिकारियों का समन्वित कार्य था।' कृष्ण झा और धीरेंद्र झा इस किताब के लेखक हैं। बाद में रामलला की मूर्ति को मस्जिद के केंद्रीय गुंबद के अंदर रखने के संबंध में संत अभिराम दास जी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।

सपने में भगवान राम ने बताया था अपना सटीक स्थान

संत अभिराम दास जी का जन्म बिहार के दरभंगा जिले के एक मैथिल ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनकी गिनती अयोध्या के बलिष्ठ और जिद्दी स्वभाव वाले शीर्ष संतो में होती है। भगवान राम की मूर्ति स्थापित करना हमेशा से उनका सपना था। उनके कुछ शिष्य थे जिन्हें वह अपने सपने के बारे में बताते थे जिसमें भगवान राम ने उन्हें अपने जन्म के सटीक जगह के बारे में बताया था। संत अभिराम दास उस स्थान की पहचान बाबरी मस्जिद के केंद्रीय गुम्बज के भीतर के स्थान के रूप में करते थे।

जानकारी के मुताबिक, रामलला की मूर्ति की स्थापना के संबंध में एकबार उन्होंने फैजाबाद के तत्कालीन सिटी मजिस्ट्रेट गुरूदत्त सिंह से भी मुलाकात की थी। गुरूदत्त सिंह भी राम भक्त थे और उन्होंने संत अभिराम दास से स्वयं भी सपने में भगवान राम को बाबरी मस्जिद के केंद्रीय गुम्बज में देखने की बात कही थी। माना जाता है कि सरकारी अफसरों और शीर्ष अधिकारियों से उनका अच्छा संपर्क था। रामलला की मूर्ति मस्जिद के अंदर रखने की रणनीति में उन्होंने अधिकारियों और अफसरों को भी शामिल किया था।

एक और साधु की ली थी मदद

रामलला की जिस मूर्ति को संत अभिराम दास ने मस्जिद के भीतर स्थापित किया था। उसे लाने का काम एक अन्य साधु ने किया था। इस साधु का नाम वृंदावन दास था। अभिराम दास की तरह वो भी निर्वाणी अखाड़े के साधु थे। हालांकि, जानकारों का मानना है कि आरएसएस के नेतृत्व में रामलला की मूर्ति को श्री राम जन्मभूमि स्थल पर स्थापित किया गया था। आरएसएस के जानकार और पत्रकार राम बहादुर राय के हवाले से गीता प्रेस और द मेकिंग ऑफ हिंदू इंडिया ने कहा कि मस्जिद के केंद्रीय गुम्बद के अंदर रामलला की मूर्ति रखने के पीछे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) का हाथ था।

Created On :   6 Jan 2024 1:17 PM GMT

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