मनपा से हो रही कोलीफॉर्म बैक्टीरियायुक्त जलापूर्ति, 2500 नमूनों में जीवाणु मिले

Bacterial supply of coliform bacteria from MNP, bacteria found in 2500 samples
मनपा से हो रही कोलीफॉर्म बैक्टीरियायुक्त जलापूर्ति, 2500 नमूनों में जीवाणु मिले
मनपा से हो रही कोलीफॉर्म बैक्टीरियायुक्त जलापूर्ति, 2500 नमूनों में जीवाणु मिले

डिजिटल डेस्क, नागपुर। लिमेश कुमार जंगम l मेट्रो सिटी के रूप में अपनी पहचान बनाने जा रही उपराजधानी में यहां की जनता कोलीफार्म बैक्टीरियायुक्त दूषित पानी पी रही है। जिससे जानलेवा बीमारियों का खतरा मंडरा रहा है। बताया जा रहा है कि मनपा  द्वारा वर्षों पहले बिछाई गई जलापूर्ति की पाइप लाइनों को बदलने का काम युद्ध स्तर पर जारी है, किंतु आज भी जलापूर्ति की व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करने में मनपा को सफलता नहीं मिल पाई है। यही वजह है कि शहर के अधिकांश इलाकों में सड़ी-गली, जंग लगी पाइपों में गटर का पानी रिस रहा है, जिसके चलते जानलेवा कोलीफॉर्म बैक्टीरिया पेयजल में घुलकर लाखों नागरिकों के घरों में नलों तक पहुंच जाते हैं।

बीते वर्ष भर में जब प्रादेशिक सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के प्रयोगशाला में प्रतिदिन 70 से 75 की औसत में पेयजल के नमूने विविध इलाकों से इकट्ठा कर भेजे गए, तो इन 27,793 नमूनों में से 2497 नमूने कोलीफॉर्म बैक्टीरिया एवं थर्मो कोलीफॉर्म बैक्टीरिया से युक्त पाए गए। ये जीवाणु डायरिया, कॉलरा, टाइफाइड, पीलिया आदि जानलेवा बीमारियों के लिए जिम्मेदार होते हैं। मनपा की बदहाल व्यवस्था के कारण लोगों को बैक्टीरियायुक्त दूषित पानी बार-बार पिलाया जा रहा है।

कैसे होती है पानी की जांच
जैविक प्रदूषण को जांचने के लिए प्रयोगशाला में पहुंचे नमूनों को मुख्य दो प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की जांच के लिए नमूनों को 37 सेंटीग्रेड तापमान पर 48 घंटे रखा जाता है। वहीं थर्मो कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की जांच के लिए नमूनों को 44.5 सेंटीग्रेड तापमान पर 24 घंटे के लिए रखा जाता है। ट्रीटेड पानी में उक्त दोनों बैक्टीरिया पाए जाने पर इसे दूषित माना जाता है।

यदि नलों से लिए जा रहे पानी में उक्त बैक्टीरिया हों, तो उसे 100 सेंटीग्रेड तापमान पर 15 मिनट तक उबालकर ही पीना चाहिए। यदि दूषित पानी सेवन किया गया, तो अनेक प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। खासकर बारिश के दिनों में जुलाई, अगस्त एवं सितंबर माह में पेयजल प्रदूषण की समस्या बढ़ जाती है।

आप भी करवा सकते हैं जांच
यदि आपको अपने घर के नल से आने वाले पानी पर संदेह है और उसकी आप जांच कराना चाहते हैं, तो आपको मनपा प्रशासन के कर्मचारियों का इंतजार व अनुरोध करने की आवश्यकता नहीं है। स्टरलाइज बोतल में पेयजल लेकर आप सीधे प्रादेशिक सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशाला में जा सकते हैं। प्रति सैम्पल जैविक जांच के लिए 340 रुपए एवं रासायनिक जांच के लिए 600 रुपए इस सरकारी लैब को अदा करने होंगे। 

उपाय : उबालकर पिएं पानी
जैविक रूप से दूषित पानी मिलने की आशंका बारिश के दिनों में बढ़ जाती है। इसके सेवन से बचने के लिए 100 सेंटीग्रेड तापमान पर इसे 15 मिनट तक खूब उबाल लेना चाहिए। ठंडा होने के पश्चात इसे पिया जा सकता है। इन जीवाणुओं से बचने के लिए बाजार में अनेक प्रकार की प्रतिरोधी दवाएं उपलब्ध हैं। क्लोरिन जैसी दवाओं के 2 से 3 बूंद एक घड़े में डालकर उसे आधे घंटे तक छोड़ दें। तत्पश्चात वह पानी पी सकते हैं।
(चंद्रवर्धन परुलकर, प्रभारी अधिकारी, प्रादेशिक सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशाला)

प्रतिदिन 70 सैम्पल प्रयोगशाला को भेजना अनिवार्य

नागपुर शहर को पेंच, गोरेवाड़ा, कन्हान, अंबाझरी आदि स्थानों से फिल्टर प्लांट तक पानी पहुंचाने के बाद उसे शुद्ध कर शहर के 38 प्रभागों की सैंकड़ों बस्तियों में वितरित किया जाता है। हालांकि महानगर पालिका की ओर से शहर की पुरानी पाइप लाइनों को बदलने का काम चल रहा है, लेकिन साफ पेयजल दिलाने के कर्तव्य को मनपा बखूबी निभा नहीं पा रही है। जनसंख्या के हिसाब से प्रतिदिन 70 सैम्पल प्रयोगशाला को भेजना अनिवार्य है। जलापूर्ति विभाग, स्वास्थ्य विभाग व ओसीडब्ल्यू के माध्यम से लैब में इसे भेजा जाता है।

बीते वित्तीय वर्ष में 27,793 नमूने भेजे गए। इनमें से 2497 नमूने जीवित जीवाणुओं से दूषित पाए गए, जबकि बीते अप्रैल एवं मई माह में क्रमश: 248 व 314 नमूने दूषित मिले हैं। जलशुद्धिकरण केंद्र से निकला पानी नलों की टोटियों तक पहुंचते-पहुंचते दूषित होने लगा है। इसकी मुख्य वजह जर्जर पाइप लाइन व गटर के पानी का रिसाव बताया जाता है। पानी के नमूनों की जांच रिपोर्ट आने में औसतन 4 से 5 दिन लग जाते हैं, तब तक हजारों लोग दूषित पानी पी चुके होते हैं। ऐसे में उनके बीमार होने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।

क्या है कोलीफॉर्म बैक्टीरिया
कोलीफॉर्म जीवाणु सामान्यत: मनुष्य व पशुओं की आंत में पाया जाने वाला सूक्ष्म जीव है। जल में इसकी उपस्थिति जीवाणु प्रदूषण का सूचक है। यह जीवाणु रॉड के आकार के होते हैं। कोलीफॉर्म जीवाणुओं का एक समूह होता है, जो मिट्टी, खराब सब्जी, पशुओं के मल अथवा गंदे सतह से जल में प्रवेश कर जाता है। जिस व्यक्ति की शरीरिक प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है, उन पर यह ज्यादा असर करता है।
 

Created On :   9 July 2018 6:04 AM GMT

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