झारखंड बचाकर अगले तीन चुनावों के लिए ताकत जुटाना चाहती है भाजपा

BJP wants to mobilize power for next three elections by saving Jharkhand
झारखंड बचाकर अगले तीन चुनावों के लिए ताकत जुटाना चाहती है भाजपा
झारखंड बचाकर अगले तीन चुनावों के लिए ताकत जुटाना चाहती है भाजपा

डिजिटल डेस्क, नवंबर। अगर झारखंड में पिछली बार से भाजपा का प्रदर्शन कमजोर हुआ तो आने वाले समय में दिल्ली, बिहार और पश्चिम बंगाल के चुनावों में भी गणित गड़बड़ा सकता है। इस बात को समझते हुए भाजपा ने अभी से चुनाव बाद के समीकरणों पर विचार करना शुरू कर दिया है। खुद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बयान इसके संकेत देते हैं। झारखंड में बीते दिनों एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में उन्होंने यह कहकर सियासी सरगर्मी बढ़ा दी कि चुनाव बाद भी झारखंड में आजसू के साथ गठबंधन जारी होगा।

अमित शाह के इस बयान के राजनीतिक निहितार्थ तलाशे जा रहे हैं। वजह यह है कि सीटों के बंटवारे पर फंसे पेच के कारण विधानसभा चुनाव में आजसू के साथ भाजपा का गठबंधन टूट चुका है। दोनों दल अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं।

भाजपा के एक नेता ने कहा कि सीटों पर भले बात न बनने के कारण आजसू और भाजपा अलग-अलग चुनाव लड़ रहीं हैं। मगर दोनों दलों के रिश्ते अब भी दुरुस्त हैं। यही वजह है कि अध्यक्ष अमित शाह ने आजसू के साथ गठबंधन बरकरार रखने की बात कही है।

सूत्रों का कहना है कि झारखंड में फिलहाल उभरकर आए समीकरण भाजपा के लिए बहुत ज्यादा उत्साहजनक नजर नहीं आते। ऐसे में पार्टी ने आजसू के साथ दोबारा गठबंधन के विकल्प खुले रखे हैं। भाजपा को लगता है कि आदिवासी मतदाताओं पर पकड़ रखने वाली आजसू अगर पहले चरण में अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए सुरक्षित कुछ सीटें निकाल ले गई तो बहुमत न मिलने की स्थिति में उसकी जरूरत पड़ सकती है। 2014 के विधानसभा चुनाव में आजसू को पांच सीटें मिलीं थीं।

सूत्र बताते हैं कि इस नाते भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने सोची-समझी रणनीति के तहत आजसू के साथ चुनाव बाद भी गठबंधन बरकरार रखने की बात कही है। उधर आजसू मुखिया सुदेश महतो ने एक बयान में कहा, मैं नहीं, दूसरे मुझे सरकार बनाने में सहयोग देंगे। सुदेश महतो ने इस बयान के जरिए संदेश दिया है कि चुनाव बाद उनकी मांग दूसरे दलों के बीच रहेगी।

दरअसल, हरियाणा में भाजपा की किसी तरह गठबंधन की सरकार बनी और महाराष्ट्र जैसा राज्य हाथ से फिसल गया। इसके चलते भाजपा को आशंका है कि लोकसभा चुनाव के बाद से पार्टी के पक्ष में बना माहौल धीरे-धीरे कमजोर पड़ने का संदेश न जनता में चला जाए। पार्टी का मानना है कि झारखंड में दमदार तरीके से वापसी ही पार्टी की लोकसभा चुनाव के बाद से खोई हुई लय वापस कर सकती है। ऐसे में पार्टी ने झारखंड को बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है।

माना जा रहा है कि झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे साल 2020 में दिल्ली, बिहार और 2021 में होने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव पर असर डाल सकते हैं।

Created On :   30 Nov 2019 5:27 PM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story