ये है सबसे कठिन दिन, जानें 4 दिवसीय छठ पर्व में हर एक दिन महत्व
डिजिटल डेस्क, पटना। चार दिवसीय महापर्व छठ की शुरूआत आज मंगलवार से हो गई। नहाय खाय के साथ छठी मैया के पूजन के लिए महिलाएं परिवार सहित घाटों पर पहुंची। पटना, बिहार में उत्सव के अवसर पर लाखों की संख्यामें लोग एकत्रित हुए हैं। ये बिहार का मुख्य त्योहार माना जाता है, किंतु जो लोग अपने घर नहीं जा पाए या कहीं और बस गए उन्होंने भी पवित्र नदियों के घाटों पर जाकर छठ पर्व का प्रारंभ किया। वहीं कल 25 अक्टूबर को खरना मनाया जाएगा। इसके पश्चात 26 व 27 अक्टूबर को उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का समापन किया जाएगा। यहां हम आपको छठ पर्व के प्रत्येक दिन के महत्व के बारे में बताने जा रहे हैं...
पहला दिन, नहाय खाय
महापर्व छठ का पहला दिन नहाय खाय से शुरू होता है। इस दिन महिलाएं घाट पर जाकर स्नान करती हैं। विभिन्न वस्तुओं के नहाय खाय की विधि को पूर्ण किया जाता है। आसपास साफ-सफाई की जाती है। पवित्र नदी के जल से घर शुद्ध किया जाता है और व्रत से पूर्व लोग परिवार सहित शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण करते हैं।
दूसरा दिन, खरना
छठ पूजा का दूसरा और महत्वपूर्ण दिन होता है खरना। पूरे दिन का उपवास कर व्रती इस दिन जल की एक बूंद भी ग्रहण नही करता। शाम के वक्त गुड़ की खीर बनाकर या गन्ने का जूस प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।
तीसरा दिन, सूर्य को शाम का अर्घ्य
इस दिन सूर्य को शाम को अर्घ्य दिया जाता है। यह सूर्य षष्ठी का दिन होता है और छठ पूजा का तीसरा। इसके पश्चात सभी एकत्रित होकर छठ माता के गीत गाते हैं और व्रत से संबंधित कथा सुनी जाती है। ये दिन लगभग रात्रि जागरण का होता है।
चाैथा दिन, उगते सूर्य को अर्घ्य
चाैथे दिन का इस व्रत में सर्वाधिक महत्व है। ये चार दिनों के तप पूजन के लिए वरदान मांगने का दिन होता है। इस दिन सूर्य के उगने से पहले ही नदी घाटों पर पहुंचना होता है। व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं और छठी माता से संतान व परिवार की रक्षा का वरदान मांगते हैं। इसके बाद पूजन में अर्पित किया गया प्रसाद बांटकर व्रती स्वयं भी अपना व्रत खोलते हैं।
Created On :   24 Oct 2017 3:06 AM GMT