दुनिया के इन हिस्सों पर प्रकृति का कहर, अगर अब नहीं संभले तो हो सकती है देर

दुनिया के इन हिस्सों पर प्रकृति का कहर, अगर अब नहीं संभले तो हो सकती है देर


डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। मॉडर्न तकनीक के जरिए अपनी सुख सुविधाओं को और बढ़ाने के लिए इंसान ये भूल चूका है कि वो प्रकृति के साथ किस तरह से खेल रहा है। देखा जाए तो प्रकृति ने इंसान की जरूरत पूरी करने के लिए पहले से ही सब कुछ दुनिया में दे रखा है। बढ़ती इच्छा और अधिक पाने की लालसा ने मनुष्य को अंधा बना दिया है, इसी वजह से वो अपने ही पैरो पर कुल्हाड़ी मार रहा है। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव अब पूरी दुनिया में कई जगह देखने को मिल रहे हैं। आइये आपको बताते हैं कि बढ़ते पॉल्युशन और कटते पेड़ों का असर दुनिया के किस हिस्से पर हो रहा है।  

 

सिकुड़ रहा है डेड सी

डेड सी दुनिया का सबसे निचला बिंदु कहा जाने वाला सागर है। इसे खारे पानी की सबसे निचली झील भी कहा जाता है। इस समुद्र में ज्यादा खारापन होने के कारण यहां कोई मछली जिन्दा नहीं रह पाती, इसीलिए इस समुद्र को डेड सी कहा जाता है। देखा जाए तो पिछले 40 वर्षो में, ये झील एक तिहाई और 80 फीट से ज्यादा सिकुड़ गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि पड़ोसी देशों द्वारा समुद्र में जाने वाली नदी से पानी खींचने की वजह से 50 साल में डेड सी दुनिया के नक्शे से गायब हो जाएग। 

 

ये द्वीप है कुछ वक्त का मेहमान  

हनीमून डेस्टिनेशन के लिए मालदीव्स बहुत लोकप्रिय स्थल है। खूबसूरत नजारे, समन्दर की लहरें और समन्दर के बीच बने आलीशान रिसॉर्ट्स पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। लेकिन हिंद महासागर का ये द्वीप देश धीरे-धीरे जलवायु परिवर्तन के कारण डूब रहा है। वैज्ञानिकों के अनुसार आने वाले 100 वर्षो में ये द्वीप पूरी तरह जलमग्न हो जायेगा। 

 

सात अजूबों में से एक अजूबा हो सकता है गायब 

दुनिया के सात अजूबों में से एक है ग्रेट वाल ऑफ चाइना। जिसे चीन के विभिन्न शासकों के द्वारा उत्तरी हमलावरों से रक्षा के लिए पाँचवी शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर सोलहवी शताब्दी तक बनवाया गया था। 2000 साल पुरानी चीन की ऊंची दीवार की उम्र अब बहुत कम रह गई है। जी हां, हाल ही में ज्यादा  खेती की वजह से दीवार का लगभग दो-तिहाई हिस्सा पहले से ही क्षतिग्रस्त हो चुका है। दीवार को आने वाले 20 साल में खण्डहर बनते वक्त नहीं लगेगा। 

 

 

इस महाद्वीप की पिघलती हुई बर्फ ढा सकती है कहर 

पूरा अंटार्टिक महाद्वीप बर्फ की चादर ओढ़ा हुआ है। यहां का वातावरण बहुत ही ठंडा होता है, इसका मतलब ये नहीं कि ये इंसानो द्वारा अछूता है। इंसानों का निवास भले ही यहां न हो लेकिन प्रकृति का कहर इस महाद्वीप पर देखा जा रहा है। जी हां, मानव हस्तक्षेप के कारण यहां की कुछ अंटार्टिक प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर है। 

 

दुनिया की सबसे विशाल ग्रेट बैरियर रीफ  

दुनिया की  सबसे बड़ी ग्रेट बैरियर रीफ ऑस्ट्रेलिया में पाई जाती है। पिछले 30 वर्षों में बढ़ते तापमान के कारण दुनिया की ये सबसे बड़ी प्रवाल की चट्टान, ऑस्ट्रेलिया की ग्रेट बैरियर रीफ, आधे से भी ज्यादा कम हो चुकी है। बढ़ता प्रदूषण इसके कम होने का अहम कारण है। वैज्ञानिको का कहना है, अगर यूं ही प्रदूषण बढ़ते गया तो साल 2030 तक ये रीफ पूरी तरह गायब हो जाएगी।  
 

Created On :   15 March 2018 7:39 AM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story