सस्ता तेल पाने भारत-चीन के बीच ऑयल बायर्स क्लब बनाने पर हुई चर्चा

India has discussed with China about  make Oil Buyers Club OPEC
सस्ता तेल पाने भारत-चीन के बीच ऑयल बायर्स क्लब बनाने पर हुई चर्चा
सस्ता तेल पाने भारत-चीन के बीच ऑयल बायर्स क्लब बनाने पर हुई चर्चा
हाईलाइट
  • तेल उपभोक्ता देशों को एक साथ लाने की भारत की यह तीसरी कोशिश है।
  • पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा मंच की बैठक में ग्रुप बनाने पर विचार रखा था।
  • भारत-चीन के बीच ‘तेल खरीदारों का क्लब’ ओपेक जैसा ग्रुप बनाने पर चर्चा।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत ने तेल की कीमतों पर मोलभाव करने के लिए ‘तेल खरीदारों का क्लब’ ओपेक जैसा ग्रुप बनाने के विषय में चीन के साथ चर्चा की है। भारत चाहता है कि बाजार में उत्पादकों के दबदबे के मुकाबले आयातकों का भी एक मजबूत समूह होना चाहिए, जो उनसे बेहतर मोल-भाव कर सके। जिससे अधिक मात्रा में अमेरिकी कच्चे तेल की आपूर्ति प्राप्त की जा सके। 

 

अमेरिकी क्रूड के ज्यादा आयात पर दिया बल

पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा मंच (आईईएफ) की बैठक में इसका विचार रखा था। जिसके बाद इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के चेयरमैन संजीव सिंह ने चाइना नेशनल पेट्रोलियम कॉर्प (सीएनपीसी) के चेयरमैन वांग यिलिन से चर्चा के लिए बीजिंग का दौरा किया। इस बैठक के दौरान एशिया में अधिक अमेरिकी क्रूड की आपूर्ति के लिए संरचना पर चर्चा हुई। चर्चा में करीब 60 प्रतिशत कच्चा तेल की आपूर्ति करने वाले ओपेक देशों का दबदबा कम किया जा सके, इस पर गंभीरता से बात की गई। 

 

तेल खपत में भारत-चीन की हिस्सेदारी 17 फीसदी

चेयरमैन संजीव सिंह ने कहा कि तेल के संयुक्त आयात तथा एशियाई प्रीमियम को कम करने के लिए मोलभाव की संभावनाओं पर चर्चा जरूरी थी। जापान और दक्षिण कोरिया को भी इसी तरह की पेशकश की जाएगी। बता दें कि सीएनपीसी और उसकी सहयोगी कंपनियां तीसरे देशों में अपने तेल क्षेत्र से उत्पादित कच्चा तेल विदेशी मार्केट में सेल करती हैं। भारत ने चीनी कंपनियों से सीधे कच्चा तेल खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है। दोनों देश मिलकर दुनिया के तेल खपत में करीब 17 फीसदी हिस्सेदारी रखते हैं। 

 

अगले 5 साल में वैश्विक तेल मांग बढ़ेगी

ऐसा ही एक सुझाव साल 2005 में तत्कालीन पेट्रोलियम मंत्री मणिशंकर अय्यर ने दिया था। उनके प्रताव के तहत भारत-चीन को एक साझा मोर्चा बनाकर मोलभाव करना चाहिए, ताकि वाजिब कीमत पर कच्चा तेल मिल सके। साल 2006 में इसके लिए दोनों देशों के बीच एमओयू हुआ, लेकिन द्विपक्षीय बातचीत की तमाम जटिलताओं की वजह से ऐसा संभव नहीं हो सका। हाल ही में वैश्विक मार्केट में तेल की आपूर्ति जरूरत से ज्यादा हो गई है। इसकी बिक्री का केंद्र भी एशिया हो गया है, ऐसे में इस तरह की संभावना पर बातचीत जरूरी है। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी को लगता है कि अगले पांच साल दुनिया की वैश्विक तेल मांग का करीब 50 फीसदी हिस्सा भारत-चीन में जाएगा। तेल उपभोक्ता देशों को एक साथ लाने की भारत की यह तीसरी कोशिश है। 


 

Created On :   14 Jun 2018 12:58 PM GMT

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