विकास से दूर गांव वालों ने ठानी, वादाखिलाफी का एक ही जवाब - चुनाव बहिष्कार

Maharashtra assembly polls 2019 villagers boycott election
विकास से दूर गांव वालों ने ठानी, वादाखिलाफी का एक ही जवाब - चुनाव बहिष्कार
विकास से दूर गांव वालों ने ठानी, वादाखिलाफी का एक ही जवाब - चुनाव बहिष्कार

डिजिटल डेस्क, खामगांव(बुलढाणा)। देश के चुनावों में राष्ट्रवाद को मुद्दा बनाने के पीछे छिपे कारणों की यदि तलाश की जाए तो शायद यह वट वृक्ष की जड़ों का रूप ले लेगा। किसी भी देश का चुनाव उस देश के आमजनों की भावनाओं का प्रगटीकरण ही तो है और यदि उन मूलभूत या आकांक्षाओं को विभिन्न दल नहीं समझ पा रहे हैं, तो यह उनके वैचारिक दारिद्र का प्रतीक है, अथवा समझ कर भी निहित स्वार्थवश उन मुद्दों के रूप में जनमानस के सामने लाने से बच रहे हैं। आजादी के 72 वर्षों बाद भी हम यदि देश के नागरिक मौलिक आवश्यकताओं से वंचित रहे और उन्हें  रोटी-कपड़ा और मकान के लिये संघर्ष करना पड़ रहा है तो यह निश्चय ही शासक वर्ग द्वारा जनसामान्य के प्रति किया गया अक्षम्य आपराधिक कृत्य है। 

मरीजों का ऊपर वाला ही मालिक

भिंगारा गांव के निवासी राधेश्याम खरात और भिंगारा के सरपंच सुरेश साडु मुजाल्दा ने लगभग 6 महीने पूर्व का एक किस्सा सुनाया। सुनकर और पुराने वीडियो तथा फोटो देखकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। राधेश्याम खरात के बड़े पिता रेहमा खजरा खरात (68 वर्ष) बीमार हो गए थे। उपचार हेतु  उन्हें जलगांव, जामोद ले जाने के लिए दो व्यक्ति अपने कंधों पर बांस के ऊपर चादरों का झूला बनाकर उसमें ले गए थे। आज भी बीमारों को इसी तरह ले जाना पड़ता है। भिंगारा गांव में स्वास्थ्य केंद्र की इमारत शासन द्वारा निर्मित की गई है, लेकिन बेकार पड़ी है। यहां न कोई डॉक्टर है और न ही कोई कर्मचारी। 

 हमारे संवाददाता इन गांवों की जानकारी लेने बड़ी मुश्किल से उपरोक्त तीनों गांवों में पहुंचे। बताया गया कि 22 अगस्त को सोमर सिंह रत्न सिंह बामणिया नामक 28 वर्षीय व्यक्ति दुर्घटना में घायल हो गया था। बारामती के मालिक संजय बाबूराव खालाटे ने अकोला में सोमर सिंह का इलाज कराकर गोमाल पहुंचाया। 3 अक्टूबर को पैर और हाथ का प्लास्टर खोलने के लिए सोमर सिंह को अकोला ले जाने के लिए गोमाल से भिंगारा तक चारपाई पर ले गए। सोमर सिंह को उसके मालिक ने अकोला में उसे डेढ़ महीना भर्ती रखा था और लगभग 2 लाख तक पूरा खर्च संजय बाबूराव खालाटे ने ही किया। शासकीय अस्पताल में लापरवाही बरती जा रही थी, इस कारण निजी अस्पताल में इलाज कराया गया।  

मुख्यधारा से दूर लगभग 6 हजार आबादी 

बुनियादी और आवागमन सुविधाओं से वंचित गांवों की फेहरिस्त में जलगांव जामोद तहसील के भिंगारा, चालीस टापरी, गोमाल जैसे गांव शामिल हैं। ग्रामवासियों की जिंदगी कठिनाइयों और मुसीबतों की पर्याय बन चुकी है। वर्षों से सड़क मार्ग के निर्माण की मांग हो रही है, लेकिन आज तक पूरी नहीं हो सकी है। जलगांव जामोद से लगभग 20 से 25 किमी. दूर  भिंगारा में आदिवासी, पावरा, भिलाला समाज के लोग रहते हैं। लगभग 300 परिवारों के इस गांव की आबादी तकरीबन 2490 है। भिंगारा से लगभग चार किलोमीटर के अंतर पर चालीस टापरी गांव है। यहां लगभग 140 परिवार रहते हैं और आबादी 1449 है। लगभग 225 परिवार वाले गोमाल की आबादी 1995 है। तीनों गांवों की कुल जनसंख्या 5934 है।  

जब तक नहीं विकास, चुनावों का करेंगे बहिष्कार

उपरोक्त तीनों गांवों के ग्रामवासियों ने यह निर्णय लिया है कि जिस प्रकार लोकसभा चुनाव 2019 में मतदान का बहिष्कार किया गया था, उसी प्रकार विधानसभा चुनाव का भी बहिष्कार किया जाएगा। सियासी लोग हमसे वोट तो जरूर लेते हैं, लेकिन किए गए वादे निभाते नहीं। इसीलिए जब तक हमारे गांव का विकास नहीं होता, तब तक चुनाव बहिष्कार करते रहेंगे। 
 

Created On :   11 Oct 2019 10:39 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story