निर्भया कांड : हत्यारे राष्ट्रपति के यहां दया याचिका भेजें, वरना फांसी पर लटकने की तैयारी करें

Nirbhaya scandal: Send mercy petition to the assassin president, else prepare to hang
निर्भया कांड : हत्यारे राष्ट्रपति के यहां दया याचिका भेजें, वरना फांसी पर लटकने की तैयारी करें
निर्भया कांड : हत्यारे राष्ट्रपति के यहां दया याचिका भेजें, वरना फांसी पर लटकने की तैयारी करें

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। निर्भया कांड के आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट से मिली सजा-ए-मौत कभी भी अमल में लाई जा सकती है। अगर उन्होंने सात दिन के अंदर राष्ट्रपति के यहां दया याचिका दाखिल नहीं की। इस बाबत तिहाड़ जेल प्रशासन ने बाकायदा चारों आरोपियों को लिखित में नोटिस थमा कर चेतावनी दे दी है।

गुरुवार को आईएएनएस से खास बातचीत में तिहाड़ जेल के महानिदेशक संदीप गोयल ने कहा, चार में से तीन आरोपी तिहाड़ जेल में और एक आरोपी मंडोली स्थित जेल नंबर- 14 में बंद है। चारों आरोपियों को ट्रायल कोर्ट से मिली सजा-ए-मौत पर हाईकोर्ट और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट में भी मुहर लगाई जा चुकी है।

उल्लेखनीय है कि चारों आरोपियों को ट्रायल कोर्ट से मिली फांसी की सजा के खिलाफ याचिका डालने का अधिकार था। उसके बाद रिव्यू-पिटिशन (पुनर्विचार याचिका) भी मुजरिम डाल सकते थे। चारों ने मगर इन दो में से किसी भी कदम पर अमल नहीं किया। आरोपी सजा-ए-मौत के खिलाफ राष्ट्रपति के यहां भी इस अनुरोध के साथ याचिका दाखिल कर सकते थे कि उनकी सजा-ए-मौत घटाकर उम्रकैद में बदल दी जाए।

तिहाड़ जेल के महानिदेशक संदीप गोयल ने कहा, जेल में बंद चारों ही मुजरिमों ने खुद की सजा कम करने के लिए किसी भी कानूनी लाभ लेने संबंधी कोई कदम नहीं उठाया गया है। ऐसे में जेल की जिम्मेदारी बनती थी कि उन्हें दो टूक आगाह कर दिया जाये। सूत्रों के मुताबिक, 28 अक्टूबर को यानि दिवाली से एक दिन बाद ही तिहाड़ जेल और मंडोली जेल (जहां चारों मुजरिम बंद हैं) में बंद हत्यारोपियों को संबंधित जेल के अधीक्षकों द्वारा उन्हें नोटिस दे दिए गए। नोटिस में साफ साफ कहा गया है कि अगर वे ट्रायल कोर्ट से मिली सजा-ए-मौत में कोई रियायत चाहते हैं तो नोटिस मिलने के सात दिन के भीतर राष्ट्रपति के यहां दया याचिका दाखिल करें।

अचानक जेल अधीक्षकों से मिले इस नोटिस के बाद से तिहाड़ और मंडोली जेल में बंद निर्भया के हत्यारों की नींद उड़ गई है। चारो मुजरिमों में बेचैनी इस बात को लेकर भी है कि वक्त सिर्फ सात दिन का है। वरना उन्हें कभी भी फांसी के फंदे पर लटका दिया जायेगा।

तिहाड़ जेल महानिदेशक संदीप गोयल ने आगे कहा, दरअसल इस मामले में तिहाड़ जेल प्रशासन को उस ट्रायल कोर्ट में जबाब भी दाखिल करना था, जिसने इन चारों को फांसी की सजा सुनाई है। जेल प्रशासन काफी समय से इस उम्मीद में था कि चारों मुजरिम वक्त और सुविधा के अनुसार सजा ए मौत के खिलाफ शायद राष्ट्रपति के यहां दया याचिका दाखिल कर देंगे। मगर चारों मुजरिमों में से अभी तक किसी ने यह कदम नहीं उठाया है। लिहाजा तिहाड़ जेल प्रशासन ने चारों को बता दिया है कि वे सात दिन के भीतर दया याचिका अगर राष्ट्रपति के सामने पेश करना चाहते हैं तो करें वरना सात दिन बाद आगे की जो भी कानूनी कार्यवाही बनती है वो अमल में लाई जाएगी।

कानून के जानकारों के मुताबिक, चारों मुजरिमों ने अगर तय समय यानि सात दिन के अंदर महामहिम के यहां दया याचिका दाखिल नहीं की तो अगले कदम के रुप में तिहाड़ जेल प्रशासन यह तथ्य सजा सुनाने वाली ट्रायल कोर्ट के पटल पर रख देगा। उसके बाद ट्रायल कोर्ट कानूनन कभी भी मुजरिमों का डैथ-वारंट जारी कर सकता है। डैथ-वारंट जारी होने का मतलब मुजरिमों का फांसी के फंदे पर लटकना तय है।

 

Created On :   31 Oct 2019 6:00 AM GMT

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