कमलनाथ बने MP कांग्रेस के अध्यक्ष, सिंधिया को चुनाव प्रचार की कमान

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कमलनाथ बने MP कांग्रेस के अध्यक्ष, सिंधिया को चुनाव प्रचार की कमान
कमलनाथ बने MP कांग्रेस के अध्यक्ष, सिंधिया को चुनाव प्रचार की कमान
हाईलाइट
  • 4 कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए हैं। जिनमें बाला बच्चन
  • रामनिवास रावत
  • जीतू पटवारी और सुरेंद्र चौधरी शामिल हैं।
  • ज्योतिरादित्य सिंधिया चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष बनाए गए हैं।
  • वरिष्‍ठ नेता और 9 बार के सांसद कमलनाथ मध्य प्रदेश कांग्रेस के नए अध्यक्ष नियुक्त किए गए हैं।

डिजिटल डेस्क, भोपाल। वरिष्‍ठ नेता और 9 बार के सांसद कमलनाथ मध्य प्रदेश कांग्रेस के नए अध्यक्ष नियुक्त किए गए हैं। वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष बनाए गए हैं। इसके अलावा 4 कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए हैं। जिनमें बाला बच्चन, रामनिवास रावत, जीतू पटवारी और सुरेंद्र चौधरी शामिल हैं। 

 

बीते लंबे समय से कमलनाथ को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने की खबरें सियासी गलियारों में सरगर्म थीं, जिन पर गुरुवार को मुहर लग गई। पार्टी महासचिव अशोक गहलोत ने नई नियुक्तियों का लेटर जारी किया। 

 

 

 

 

कमलनाथ को किन चुनौतियों से जूझना होगा ?

-  कमलनाथ को ऐसे वक्त में PCC की जिम्मेदारी मिली है, जब कांग्रेस प्रदेश में 15 वर्षों से सत्ता से बाहर है।

- लगातार हार से निराश जमीनी कार्यकर्ताओं को फिर सक्रिय करना होगा, ताकि चुनावी समर में वो पार्टी के लिए काम करें।

- महाकौशल से निकलकर प्रदेशभर में अपनी टीम तैयार करने के लिए बेहद कम वक्त।

- साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होना है, लिहाजा क्षत्रपों को एकजुट रखना बड़ा काम।

- बीजेपी के बूथ मैनेजमेंट के मुकाबिल कांग्रेस का संगठन तैयार करना होगा।

- बीजेपी इलेक्शन मोड में आ चुकी है, बिना वक्त गंवाए चुनावी रणनीति तैयार करनी होगी।

 

जिम्मेदारी मिलने पर क्या बोले कमलनाथ

 

 

 

सीएम शिवराज ने भी दी बधाई

 

 

 

 

गांधी परिवार के बेहद करीबी हैं नाथ

कमल नाथ का जन्म 18 नवम्बर 1946 को उत्तर प्रदेश के औद्योगिक शहर कानपुर में हुआ था। देहरादून के दून स्कूल से पढ़ाई करने के बाद श्री कमलनाथ ने कोलकाता के सेंट जेवियर कॉलेज से उच्च शिक्षा हासिल की। वो 34 साल की उम्र में वो छिंदवाड़ा से जीत कर पहली बार लोकसभा पहुंचे थे। कमलनाथ संजय गांधी के खास दोस्त भी थे। उनकी गांधी परिवार से काफी नजदीकियां हैं। खास बात यह है कि उन पर आज तक कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं हुआ है। हालांकि हवाला केस में नाम आने के कारण मई 1996 के आम चुनाव में कमलनाथ चुनाव नहीं लड़ पाए थे। एक साल बाद उन्होंने फिर से चुनाव लड़ा और भाजपा के सुंदरलाल पटवा से हार गए। कमलनाथ 1984 के सिख विरोधी दंगों में कथित भूमिका संबंधी विवाद को लेकर भी विवादों में आए थे। 

 

छिंदवाड़ा से शुरू हुआ था सफर

1980 में छिंदवाड़ा की जनता ने कमलनाथ को 7वीं लोकसभा में भेजा। मूल रूप से छिंदवाड़ा एक आदिवासी इलाका माना जाता है। कमलनाथ ने यहां लोगों को रोजगार दिया और आदिवासियों के उत्थान के लिए कई काम किए। कांग्रेस के कार्यकाल में वे उद्योग मंत्रालय, कपड़ा मंत्रालय, वन और पर्यावरण मंत्रालय, सड़क और परिवहन मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। उन्हें 2012 में संसदीय कार्य मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया। कमलनाथ अकेले ऐसे नेता हैं जिनका विरोधी राजनीतिक दल भी सम्मान करते हैं। 

 

इसलिए भी जाने जाते हैं कमलनाथ

कमलनाथ बिजनेस टायकून भी माने जाते हैं। उनके पास कुल 23 दिग्गज कंपनियां हैं। जिन्हें वे अपने दोनों बेटों के साथ संचालित करते हैं। कमलनाथ को 2006 में जबलपुर के रानी दुर्गावती यूनिवर्सिटी ने डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया था। 2007 में एक प्रतिष्ठित मैगज़ीन और फाइनेंशियल टाइम्स बिजनेस ने उन्हें पर्सनैलिटी ऑफ द ईयर से पुरस्कृत किया। साल 2012 में एशियन बिजनेस लीडरशिप फ़ोरम अवॉर्ड, और स्टेटसमैन अवॉर्ड दिया गया। 2008 में उन्हें इकोनॉमिक टाइम्स ने बिजनेस रिफॉर्मर ऑफ द ईयर के सम्मान से नवाजा था। कमलनाथ इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्नॉलॉजी के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष भी हैं। 

किंगमेकर की छवि रही है कमलनाथ की

मध्य प्रदेश की सियासत में कमलनाथ का कद किसी से छिपा नहीं है। 9 बार सांसद बनकर भले ही वो केंद्र की सियासत में मसरूफ रहे हों, लेकिन प्रदेश की राजनीति में उनका भरपूर दखल रहा है। महाकौशल में गहरी पैठ रखने वाले कमलनाथ की टीम पूरे प्रदेश में सक्रिय है। 

 

Created On :   26 April 2018 7:05 AM GMT

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