विज्ञान/प्रौद्योगिकी: अनुकूल कृषि उत्पादन और महंगाई में कमी से वित्त वर्ष 2026 में ग्रामीण उपभोग को समर्थन मिलेगा रिपोर्ट

अनुकूल कृषि उत्पादन और महंगाई में कमी से वित्त वर्ष 2026 में ग्रामीण उपभोग को समर्थन मिलेगा  रिपोर्ट
आयकर के बोझ में हालिया कमी, मुद्रास्फीति में नरमी, कम ब्याज दरें और कृषि उत्पादन के लिए अनुकूल परिदृश्य से भारत में ग्रामीण आय और समग्र उपभोग को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। यह जानकारी एक लेटेस्ट रिपोर्ट में दी गई।

नई दिल्ली, 12 जुलाई (आईएएनएस)। आयकर के बोझ में हालिया कमी, मुद्रास्फीति में नरमी, कम ब्याज दरें और कृषि उत्पादन के लिए अनुकूल परिदृश्य से भारत में ग्रामीण आय और समग्र उपभोग को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। यह जानकारी एक लेटेस्ट रिपोर्ट में दी गई।

निजी अंतिम उपभोग व्यय भारत के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 60 प्रतिशत है, इसलिए इसका भारत के समग्र विकास परिदृश्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

निजी क्षेत्र के पूंजीगत व्यय में वृद्धि के लिए उपभोग में निरंतर सुधार भी महत्वपूर्ण है।

केयरएज रेटिंग्स की रिपोर्ट में कहा गया है, "हमें वित्त वर्ष 2026 में निजी उपभोग में 6.2 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद है, जबकि पिछले तीन वर्षों में यह औसतन 6.7 प्रतिशत रही है। दीर्घावधि में, निजी उपभोग में स्वस्थ वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए घरेलू आय को प्रभावित करने वाले कारकों पर नजर रखना महत्वपूर्ण होगा।"

हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में समग्र उपभोग वृद्धि स्वस्थ रही है, लेकिन हाल के संकेतक शहरी मांग में उभरते दबावों का संकेत देते हैं, जबकि ग्रामीण मांग स्थिर बनी हुई है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि वित्त वर्ष 26 में अनुकूल कृषि उत्पादन और मुद्रास्फीति में कमी से ग्रामीण उपभोग को समर्थन मिलने की उम्मीद है।

आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में कटौती, करों के बोझ में कमी और मुद्रास्फीति के दबाव में कमी के रूप में हालिया नीतिगत समर्थन से निकट भविष्य में शहरी उपभोग को कुछ राहत और समर्थन मिलने की उम्मीद है।

इसके अलावा, रिपोर्ट में बताया गया है कि इस वर्ष अच्छे मानसून की संभावना से ग्रामीण उपभोग को बढ़ावा मिल सकता है।

ऐसे समय में जब आय वृद्धि कमजोर रही है, हाउसहोल्ड लेवरेज में वृद्धि देखी गई है। वित्त वर्ष 2024 तक, घरेलू ऋण सकल घरेलू उत्पाद का 41 प्रतिशत और शुद्ध घरेलू प्रयोज्य आय का 55 प्रतिशत था। हालांकि, भारतीय परिवार कुछ उभरती अर्थव्यवस्थाओं, जैसे थाईलैंड (जीडीपी का 87 प्रतिशत), मलेशिया (67 प्रतिशत) और चीन (62 प्रतिशत) की तुलना में कम ऋणग्रस्त हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि घरेलू देनदारियों के असुरक्षित खंड पर कड़ी नजर रखना जरूरी है, जिसमें महामारी के बाद के वर्षों में वृद्धि हुई है।

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Created On :   12 July 2025 3:12 PM IST

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