बिहार जाति जनगणना रिपोर्ट: जातिगत जनगणना के बाद नीतीश कुमार पर भारी पड़ेंगे तेजस्वी यादव, जानिए कैसे लालू परिवार का वोट बैंक बनेगा ताकत!

जातिगत जनगणना के बाद नीतीश कुमार पर भारी पड़ेंगे तेजस्वी यादव, जानिए कैसे लालू परिवार का वोट बैंक बनेगा ताकत!
  • जातिगत जनगणना के बाद नीतीश कुमार पर भारी पड़ेंगे तेजस्वी यादव
  • MY समीकरण की चर्चा बिहार की सियासत में जोरों-शोरों से
  • बिहार सरकार ने जारी किया जाति जनगणना का रिपोर्ट

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बिहार में आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने जाति आधारित जनगणना की रिपोर्ट जारी कर दी है। इस साल के शुरुआत से ही जातिगत जनगणना को लेकर बिहार की सियासत में बवाल मचा हुआ था। लेकिन आज बिहार सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए जातीय जनगणना को सार्वजनिक कर दिया है। इसी के साथ राजद (आरजेडी) की सियासत के इर्द-गिर्द घूमने वाली 'MY' फैक्टर भी सभी लोगों के सामने आ गई है। जिसे लेकर अब सियासी गलियारों में खूब चर्चा हो रही है। बिहार विधानसभा चुनाव और राजद की राजनीतिक करियर की जब भी बात उठती है, तो MY समीकरण की खूब चर्चा होती है। जिसमें M का मतलब होता है 'मुस्लिम' और Y का मतलब 'यादव' वोट बैंक।

बिहार जातीय जनगणना के मुताबिक, इस वक्त राज्य की कुल आबादी 13 करोड़ 7 लाख 25 हजार हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदेश में 17.70 फीसदी मुसलमान हैं। जिसे संख्या के हिसाब से देखे तो यह आंकड़ा 2 करोड़ 31 लाख 49 हजार 925 है। वहीं, राज्य में यादवों की आबादी 14 फीसदी है। ऐसे में 'MY' समीकरण को मिला दें तो ये आंकड़ा 31.70 फीसदी पहुंच जाता है। लालू परिवार ने इसी वोटबैंक के दम पर बिहार की सियासत में अपना लोहा मनवाया है। करीब 15 सालों तक बिहार की सियासत में लालू यादव ने पिछड़ा वर्ग की राजनीति की है। राजनीतिक जानकार भी लालू यादव के बिहार की सियासत में टिके रहने का कारण 'MY' समीकरण बताते हैं। जानकारों का मानना है कि चुनावी माहौल किसी भी पार्टी की तरफ क्यों न हो, लेकिन राजद का यह कोर वोट बैंक लालू परिवार के साथ जाता है।

हालांकि, राजद के नेता और बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव MY समीकरण को नया रूप देने में लगे हुए हैं। उनका कहना है कि अब MY का मतलब केवल मुस्लिम और यादव नहीं रह गया है, बल्कि अब MY समीकरण में प्रदेश की महिलाएं और यूथ (युवावर्ग) भी तेजी से शामिल हो रहे हैं।

इधर, नीतीश कुमार की पार्टी (जदयू) के वोट बैंक कोइरी, कुर्मी, मल्लाह और मुसहर माने जाते हैं। जोकि, बिहार की ताजा जाति जनगणना की आबादी के हिसाब से 12.68 फीसदी हैं। हालांकि, इनमें कोइरी और कुर्मी जाति ही नीतीश कुमार की पार्टी के कोर वोट बैंक हैं। इसके अलावा अन्य जाति बीजेपी को वोट करते हैं।

जाति के हिसाब से बिहार की आबादी

रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार में 14.26 फीसदी यादव, 5.2 फीसदी रविदास, 4.2 फीसदी कोइरी, 3.65 फीसदी ब्राह्मण, 3.45 फीसदी राजपूत, 3.08 फीसदी मुसहर, 2.86 फीसदी भूमिहार, 2.8 फीसदी कुर्मी, 2.60 फीसदी मल्लाह, 2.31 फीसदी बनिया, पासी (पासवान) 0.98 प्रतिशत और 0.60 फीसदी कायस्थ जाति के हैं।

जानें बिहार में किस वर्ग की कितनी आबादी

प्रेस कॉन्फ्रेंस में बिहार सरकार के अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने बताया, बिहार में पिछड़ा वर्ग 27.13 फीसदी, अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36.01%, सामान्य वर्ग 15.52%, अनुसूचित जाति 19.65 फीसदी और अनुसूचित जनजाति 1.68 फीसदी हैं। साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि, बिहार की मौजूदा आबादी 13 करोड़ से अधिक है। इसके अलावा मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने कहा कि एक जून 2022 को सर्वदलीय बैठक में बिहार में जाति आधारित गणना कराने के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित किया गया था। इसके बाद दो जून 2022 को राज्य मंत्री परिषद द्वारा दिए गए निर्णय के आधार पर राज्य में जाति आधारित गणना को दो चरणों में फरवरी 2023 तक संपन्न करने का निर्णय लिया गया था।


Created On :   2 Oct 2023 12:49 PM GMT

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