MP चुनाव 2023: चुनाव प्रचार थमा, बस एक दिन के फासले पर चुनाव, जानिए किस अंचल में बीजेपी को मिल रही है चुनौती, कहां कांग्रेस के लिए 'खेला' मुश्किल?

चुनाव प्रचार थमा, बस एक दिन के फासले पर चुनाव, जानिए किस अंचल में बीजेपी को मिल रही है चुनौती, कहां कांग्रेस के लिए खेला मुश्किल?
  • बुधवार को थम गया मध्य प्रदेश में चुनावी प्रचार
  • 17 नवंबर को मध्य प्रदेश में वोटिंग
  • 3 दिसंबर को आएंगे नतीजे

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में बुधवार शाम 6 बजे विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार प्रसार थम गया। 17 नवंबर को प्रदेश की जनता उम्मीदवारों का भाग्य तय करेगी। बीते एक महीने से लगातार बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं ने पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत करने का काम किया है। जिन इलाकों में कांग्रेस लीड करती हुई नजर आ रही थी, अब उन इलाकों में भी बीजेपी मुकाबले में आ गई है। साथ ही, जिन इलाकों में बीजेपी आगे थी अब वहां पर कांग्रेस टक्कर देती हुई दिखाई देने लगी है।

मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंदौर और गृहमंत्री अमित शाह जबलपुर में रोड शो के साथ मध्य प्रदेश में अपने चुनावी अभियान को समाप्त किया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने भी सूबे में एक के बाद एक कई रैली और जनसभाएं करके पार्टी को बेहतर स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है। राहुल ने चुनाव प्रचार खत्म होने से ठीक दो दिन पहले राजधानी भोपाल में रोड शो करके पार्टी के दमखम को पूरे प्रदेश में दिखाने की कोशिश की। इधर, बसपा सुप्रिमो मायावती और समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव ने सूबे में कई रैली और जनसभाओं को संबोधित करके पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने का काम किया है। ऐसे में राज्य में चल रही सियासी बयार को समझने की कोशिश करें तो वह कुछ इस आधार पर होगा।

ग्वालियर चंबल इलाका

ग्वालियर चंबल के इस रीजन में प्रदेश की 34 सीटें आती हैं। इनमें पिछली बार कांग्रेस के हाथों में 27 तो बीजेपी के पास पांच और दो सीटें अन्य के खाते में गई थी। 2018 के चुनाव में बीजेपी की सरकार नहीं बनने के पीछे का सबसे कारण यही इलाका बना था। राजनीतिक जानकार गिरिजाशंकर के मुताबिक, राज्य में जब बीजेपी ने इस इलाकों में दम भरने को कोशिश की थी तब उसे पूरा भरोसा था कि कांग्रेस से बीजेपी में आए नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया यहां पर पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने में काम करेंगे। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी इसी इलाके के दिमनी विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं। लेकिन इन सभी बड़े नेताओं के बावजूद भी इलाके में सियासी स्थिति में ज्यादा बदलाव देखने को नहीं मिला है। इसके पीछे जातीय समीकरण बड़ी वजह बनी हुई है। इस इलाकों में बीजेपी और कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर कई नेता बसपा का दामन थामे हैं। जिसके चलते बसपा को एक बार फिर इस रीजन में एक से दो सीट जीतने की स्थिति में आ गई है।

बुंदेलखंड बघेलखंड

उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे इस इलाके की 56 सीटों पर पिछली बार बीजेपी ने बढ़त बनायी थी और विंध्य से कांग्रेस का सफाया हो गया था। तब बीजेपी ने यहां पर 38 और कांग्रेस के हाथों में 16 सीटें आई थी। लेकिन इस बार के चुनावी माहौल को देखते हुए सभी राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस ने अपनी स्थिति बुंदेलखंड बघेलखंड में बेहतर की है। कांग्रेस नेता कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने लगातार विंध्य इलाके में दौरे किया है। विश्लेषकों का मानना है कि पार्टी विंध्य में अपनी स्थिति को मजबूत करके सीटों की संख्या बेहतर करेगी। नवदुनिया के संपादक संजय मिश्रा ने कहा कि बसपा की मौजूदगी ने इस इलाकों में त्रिकोणीय मुकाबला बना दिया है। संजय मिश्रा का मानना है कि बसपा यहां पर कई पार्टियों के खेल को प्रभावित करेगी।

महाकौशल

मध्य प्रदेश के महाकौशल रीजन में बीजेपी और कांग्रेस की दावेदारी बराबर की रही है। भले ही पिछले चुनाव में कांग्रेस का स्ट्राइक रेट इस इलाके में बेहतर रहा था। पिछली बार इस रीजन में कुल 38 सीटों में से कांग्रेस ने 24 और बीजेपी ने 13 सीटें जीती थी। लेकिन इस बार बीजेपी ने महाकौशल में अपनी जीत को सुनिश्चित करने के लिए जबलपुर पश्चिम से सांसद राकेश सिंह और नरसिंहपुर विधानसभा सीट से केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल को टिकट दिया है। वहीं, गाडरवारा विस सीट से होशंगाबाद के सांसद उदय प्रताप सिंह चुनावी मैदान में बीजेपी के लिए ताल ठोक रहे हैं। पार्टी ने केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को निवास विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है। बीजेपी आलाकमान ने इस इलाके में अपनी स्थिति को बेहतर करने के लिए केंद्रीय मंत्री को टिकट दिया है। जिसके चलते महाकौशल इलाके में कांग्रेस के लिए चुनौती बढ़ी हुई है। राजनीतिक विश्लेषक गिरिजाशंकर ने बताया कि बीजेपी सासंदों को टिकट देकर अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश की है। इस इलाके में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने भी लगातार चुनावी अभियान के जरिए सियासी समीकरण को प्रभावित करने की कोशिश की है।

मध्य भारत

मध्य भारत की बात करें तो यह बीजेपी का गढ़ माना जाता है। जिस हिसाब से बीजेपी भोपाल के आस पास के इलाकों में प्रदर्शन की है। इस इलाके में 36 सीटें आती हैं। पिछले चुनाव में बीजेपी ने यहां पर 23 और कांग्रेस ने 13 सीटें जीती थीं। ओपिनियन पोल भी बीजेपी को इस इलाके में बढ़त में दिखा रही है। यहां बीजेपी और कांग्रेस के नेता लगातार चुनावी अभियान के दौरान अपने राजनीतिक अनुभव को इस्तेमाल कर स्थिति को बेहतर करने में लगे हुए हैं।

मालवा निमाड़

सूबे की सियासत की चाबी मालवा निमाड़ के हाथों में रही है। लेकिन इस बार देखना होगा कि यहां की जनता अपना हाथ किससे साथ देती है। इलाकों में बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं। साथ ही, इस रीजन में बड़ी संख्या में आदिवासी सीटें आती हैं। जो कि कांग्रेस की परंपरागत सीट के तौर पर देखा जाता है। पिछली बार यहां की कुल 66 सीटों में से 35 कांग्रेस 28 सीटें बीजेपी ने जीती थीं। जिसके चलते बीजेपी को सत्ता की चाबी मिलने में दिक्कत हुई है। पिछले साल कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा इसी क्षेत्र से होकर गुजरी थी। तब बड़ा जनसौलाब कांग्रेस के लिए सड़कों पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ दिखाई दिया था। हालांकि, वे इस भीड़ से कितनी सीट बटोर पाने में सझम रहते हैं। यह 3 दिसंबर के चुनावी नतीजे बताएंगे।

Created On :   15 Nov 2023 1:03 PM GMT

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