लोकसभा चुनाव 2024: कभी था कांग्रेस का किला, वर्षों तक रहा मांझियों का कब्जा, फिर भी नहीं जीत पाए जीतनराम, जानिए गया सीट का इतिहास

कभी था कांग्रेस का किला, वर्षों तक रहा मांझियों का कब्जा, फिर भी नहीं जीत पाए जीतनराम, जानिए गया सीट का इतिहास
  • गया सीट पर 19 अप्रैल को होगा चुनाव
  • 25 सालों तक रहा मांझी समाज का कब्जा
  • कभी था कांग्रेस का गढ़

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से गया सीट का इतिहास काफी रोचक है। आगामी लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद पहले चरण में बिहार की जिन चार सीटों में चुनाव होने वाले हैं, उनमें गया लोकसभा सीट का नाम भी शामिल है। राजनीतिक परिदृश्य की बात करें तो साल 1957 में यहां पहला चुनाव हुआ था। गया सीट में अब तक कुल 16 आम चुनाव हुए हैं। जिसमें 5 बार कांग्रेस, 4 बार बीजेपी और 3 बार जनता दल ने चुनाव जीता है। वहीं, 1-1 बार जनसंघ, भारतीय लोकदल, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने बाजी मारी है। शुरुआती चुनावों में गया सीट पर कांग्रेस पार्टी का दबदबा था। खास बात तो यह है कि यहां पिछले 25 सालों से मांझी समाज के प्रत्याशी को जीत मिली है। इसके बावजूद भी पिछले चुनाव में बिहार के पूर्व सीएम जीतनराम मांझी चुनाव जीतने में असफल रहे थे। वर्तमान में जनता दल यूनाइटेड के नेता विजय कुमार गया लोकसभा सीट से सांसद हैं। आज हम आपको गया सीट के चुनावी इतिहास के बारे में बताएंगे।

गया सीट का चुनावी इतिहास

आजादी के बाद साल 1957 में गया सीट में पहला आम चुनाव हुआ था। इस चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी ब्रजेश्वर प्रसाद ने जीत हासिल की और वे यहां से पहले सांसद चुने गए। कांग्रेस ने लगातार अगले दो चुनाव साल 1962 और 1967 में जीत हासिल की। इस दौरान ब्रजेश्वर प्रसाद और आर दास सांसद निर्वाचित हुए। साल 1971 में कांग्रेस को पहली बार इस सीट से हार का सामना करना पड़ा। इस बार जनसंघ ने बाजी मारी और ईश्वर चौधरी सांसद बने।

इमरजेंसी के बाद जीता लोकदल

इमरजेंसी हटने के बाद साल 1977 में लोकसभा चुनाव हुए। इस चुनाव में कांग्रेस और भारतीय लोकदल के बीच सीधी टक्कर थी। कांग्रेस पिछले चुनाव में ही गया सीट गंवा चुकी थी और इमरजेंसी के कारण कांग्रेस की स्थिति और भी कमजोर हो गई। चुनावी नतीजों में कांग्रेस को फिर एक बार हार का मुंह देखना पड़ा। तब पहली बार भारतीय लोकदल ने इस सीट से चुनाव जीता और ईश्वर चौधरी दोबारा सांसद निर्वाचित हुए।

कांग्रेस ने की वापसी

साल 1980 के आम चुनाव में कांग्रेस ने वापसी कर ली। इस चुनाव में कांग्रेस ने रामस्वरूप राम को चुनावी मैदान में उतारा था। वहीं, भारतीय लोकदल और जनसंघ के टिकट पर गया सीट से पिछले दो चुनाव जीतने वाले उम्मीदवार ईश्वर चौधरी जनता पार्टी से मैदान में थे। चुनावी नतीजों में ईश्वर चौधरी को हार मिली और रामस्वरूप राम कांग्रेस की वापसी कराने में सफल रहे। 1984 में भी कांग्रेस ने रामस्वरूप राम को गया से टिकट दिया और वे दोबारा चुनाव जीत गए।

जनता दल का राज

साल 1989 में गया सीट पर कम्यूनिस्ट पार्टी और जनता दल प्रमुख प्रतिद्वंदी के रूप में थे। इस चुनाव में जनता दल ने जनसंघ और लोकदल के टिकट पर दो बार निर्वाचित हो चुके ईश्वर चौधरी को चुनावी मैदान में उतारा। वहीं, कम्यूनिस्ट पार्टी ने उनके खिलाफ जानकी पासवान को अपने सांसद उम्मीदवार के रूप में चुना। चुनावी नतीजों में जनता दल उम्मीदवार ईश्वर चौधरी ने कम्यूनिस्ट पार्टी की उम्मीदवार जानकी पासवान को भारी मतों से हरा दिया। जनता दल ने लगातार अगले दो चुनाव साल 1991 और 1996 में जीत हासिल की। इस दौरान राजेश कुमार और भगवती देवी सांसद निर्वाचित हुईं। हालांकि, 1998 के आम चुनाव में जनता दल को बीजेपी से शिकस्त मिली और राजेश कुमार चौधरी सांसद बने।

पिछले 25 साल से मांझियों का दबदबा

गया संसदीय सीट पर पिछले 25 सालों से मांझी समाज के प्रत्याशी ही चुनाव जीतते आ रहे हैं। साल 1999 के आम चुनाव में बीजपी के टिकट से रामजी मांझी ने चुनाव जीता और सांसद निर्वाचित हुए। फिर 2004 में आरजेडी से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता राजेश मांझी ने यहां से चुनाव जीता और सांसद बने। इसके बाद 2009 ने बीजेपी ने वापसी की और हरि मांझी सांसद निर्वाचित हुए। हरि मांझी ने 2014 का चुनाव भी बीजेपी के टिकट पर लड़ा और जीत हासिल की।

क्या रहे पिछले चुनाव के नतीजे?

साल 2019 के आम चुनाव में गया सीट पर जनता दल यूनाइटेड(जेडीयू) और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) प्रमुख प्रतिद्वंदी के तौर पर खड़े थे। जेडीयू ने विजय कुमार को चुनावी मैदान में उतारा था। हम पार्टी से बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और विजय कुमार के सामने थे। चुनावी नतीजों में बीजेपी नेता विजय कुमार ने हम पार्टी के नेता जीतन राम मांझी को 1 लाख 52 हजार 426 वोट से हरा दिया। इस दौरान विजय कुमार को 4 लाख 67 हजार 7 वोट मिले। वहीं, जीतन राम मांझी को मात्र 3 लाख 14 हजार 581 वोट ही मिल सके। खास बात तो यह थी कि मांझी समाज के दबदबे वाली सीट होने के बाद भी जीतन राम मांझी को हार मिली थी।

इस बार यह नेता चुनावी मैदान में

आगामी लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है। आरजेडी ने कुमार सर्वजीत को गया सीट से चुनावी मैदान में उतारा है। वहीं, एनडीए ने हम पार्टी से जीतनराम मांझी को चुनावी मैदान में उतारा है। इनके अलावा 5 अन्य दलों के प्रत्याशी और 7 निर्दलीय प्रत्याशी भी मैदान में हैं।

Created On :   9 April 2024 2:09 PM GMT

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