ममता पर दिलीप घोष की टिप्पणी को लेकर उठा विवाद
डिजिटल डेस्क, कोलकाता। तृणमूल कांग्रेस के संसद के शीतकालीन सत्र से पहले कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा बुलाई गई विपक्षी पार्टियों की बैठक में शामिल न होने के फैसले के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर दिलीप घोष की टिप्पणी से विवाद खड़ा हो गया। घोष ने कहा, ममता बनर्जी नेता बनने की कोशिश कर रही हैं। सोनिया गांधी के दिन खत्म हो गए हैं। उन्होंने आगे कहा, उन्हें तय करने दें कि कौन किसके साथ रहेगा। बीजेपी को इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है। यह विपक्ष का नाटक है। घोष ने कहा, बैठक कौन बुलाएगा - कांग्रेस या तृणमूल कांग्रेस? मुख्य पार्टी कौन सी है - किसी भी निर्णय पर आने से पहले सत्र समाप्त हो जाएगा।
घोष की इस टिप्पणी को कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस दोनों की ओर से गंभीर आलोचना का सामना करना पड़ा। वरिष्ठ सांसद सौगत रॉय ने कहा, कोलकाता में हमारी एक महत्वपूर्ण बैठक थी और इसलिए हमें वापस आना पड़ा। हमें वहीं रहना होगा। दिलीप घोष के बयान पर कोई टिप्पणी करना महत्वहीन है। अनावश्यक चीजों पर समय बर्बाद किए बिना उन्हें विधानसभा चुनाव में अपनी हार के बारे में सोचने दें। कांग्रेस नेता प्रदीप भट्टाचार्य ने कहा, इन लोगों के साथ समस्या यह है कि वे भारतीय संसदीय राजनीति का इतिहास नहीं जानते। जब भाजपा विपक्ष में थी तो उन्होंने विपक्ष की बैठक भी बुलाई थी। अब कांग्रेस ने बुलाया है, यह संसदीय प्रोटोकॉल है। मगर वह इसे नजरअंदाज करने की कोशिश कर रहे हैं।
इस बीच लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने तृणमूल कांग्रेस का नाम लिए बिना कहा, कुछ विपक्षी दल हैं जो विपक्ष होने का ढोंग करते हैं, लेकिन वास्तव में वे सत्ताधारी पार्टी के साथ हैं। जब भी सरकार के साथ टकराव होता है तो वे पीछे हट जाते हैं। कांग्रेस कभी भी इस तरह का व्यवहार नहीं करती है। चौधरी पर पलटवार करते हुए डेरेक ओब्रायन ने अपने ट्वीट में लिखा, हां, संसद में विपक्षी एकता होगी। आम मुद्दे विपक्ष को एकजुट करेंगे। राजद, डीएमके, सीपीएम सभी कांग्रेस के चुनावी सहयोगी हैं। राकांपा, शिवसेना और झामुमो उनके साथ सरकार चलाती है। कांग्रेस हमारी चुनावी सहयोगी नहीं है और न ही हम उनके साथ सरकार चला रहे हैं। यही अंतर है।
(आईएएनएस)
Created On :   29 Nov 2021 8:00 PM IST