जोबट में कांग्रेस की मजबूत पकड़ को मात दे सकती हैं सुलोचना रावत!

Sulochana Rawat can beat Congresss strong hold in job
जोबट में कांग्रेस की मजबूत पकड़ को मात दे सकती हैं सुलोचना रावत!
मध्यप्रदेश उपचुनाव जोबट में कांग्रेस की मजबूत पकड़ को मात दे सकती हैं सुलोचना रावत!

डिजिटल डेस्क, अलीराजपुर। मध्य प्रदेश में एक लोकसभा व तीन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहा है। सीटों पर कब्जा जमाने के लिए कांग्रेस और बीजेपी पार्टी पूरा दमखम लगा रही हैं। हालांकि इन सीटों के नतीजों से प्रदेश की सियासत पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। जोबट विधानसभा को जीतने के लिए बीजेपी और कांग्रेस ने प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी है। कांग्रेस जयस के दम पर चुनाव में मजबूत पकड़ बनाए हुए है। आदिवासी इलाकों में एक महत्वपूर्ण मुद्दा धर्मांतरण और मतांतरण भी देखने को मिल रहा है।

जोबट सीट अलीराजपुर जिले में आती है। अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित इस सीट पर भिलाला जाति के वोटर्स का दबदबा रहा है। भिलाला वोटर ही इस सीट पर जीत में अहम भूमिका निभाते हैं, इसी कारण कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों ने भिलाला समुदाय के उम्मीदवार को इस उपचुनाव में टिकट दिया।

कांग्रेस ने दिग्गज नेता महेश पटेल को मैदान में उतारा
कांग्रेस ने पार्टी के कद्दावर नेता महेश पटेल को इस उपचुनाव में अपना प्रत्याशी बनाया है जिन्हें अलीराजपुर में कांग्रेस की प्राण वायु माना जाता हैं। आर्थिक रूप से मजबूत होने के साथ ही संगठन में मजबूत पकड़ रखते हैं। वह अलीराजपुर कांग्रेस जिला अध्यक्ष हैं, हालांकि महेश पटेल को भी स्थानीय नेता न होने का विरोध झेलना पड़ रहा है। महेश पटेल अलीराजपुर में रहते है जबकि जोबट से कांग्रेस ने उन्हें प्रत्याशी बनाया है। फिर भी सीधा मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस में देखने को मिल रहा है। 

सीट पर कांग्रेस की मजबूत पकड़
आदिवासी सुरक्षित जोबट विधानसभा सीट पर कांग्रेस की मजबूत पकड़ मानी जाती है। इलाके पर कांग्रेस नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री व विधायक कांतिलाल भूरिया का प्रभाव क्षेत्र है। 2018 में विधायक रहीं कलावती भूरिया के निधन से ही यह सीट खाली हुई है, जबकि 2008 में कांग्रेस के टिकट पर जीती सुलोचना रावत इस बार कांग्रेस छोड़ बीजेपी के बैनर पर चुनाव में उतरी हैं। दलबदलू को उम्मीदवार बना देने से भाजपा के भीतर काफी विरोध है। 

बीजेपी ने बागी तो कांग्रेस ने वंशवाद से हटकर दिया टिकिट 

जोबट विधानसभा सीट पर बीजेपी ने कांग्रेस छोड़कर आई सुलोचना रावत को अपना उम्मीदवार बनाया है। जिससे बीजेपी में जमीनी कार्यकर्ताओं की शुरू में नाराजगी देखने को मिल रही थी। प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा के नेतृत्व में बीजेपी इस नाराजगी को दूर करने में कामयाब हो सकी है। इस अनुसूचित जनजाति इलाके में जनता का शिवराज सरकार से नाराजगी के बावजूद मोदी और बीजेपी संगठन से ज्यादा प्रभावित नजर आ रही है। चूंकि इससे पहले सुलोचना रावत दिग्विजय सरकार में राज्यमंत्री भी रह चुकी है। इस लिहाज से बीजेपी इलाके में भूरिया की तोड़ के रूप में सुलोचना को मंत्री बनने तक के वायदे कर रही है। अभी शिवराज सरकार में 4 मंत्री पद खाली है।

                                                                                                                                                                                   

जोबट विधानसभा सीट का इतिहास 
मध्य प्रदेश राज्य बनने के बाद से ही जोबट विधानसभा सीट का हिस्सा है। 1951 में यहां पहली बार चुनाव हुए थे, उस समय सोशलिस्ट पार्टी के प्रेमसिंह ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी। 

कौन सी पार्टी का जोबट सीट पर दबदबा?
देश में पहली बार चुनाव 1951-52 में हुए, तब जोबट सीट
पर भी चुनाव हुए। लेकिन 1 नवंबर 1956 को मध्य प्रदेश गठन के बाद 1957 में यहां विधानसभा चुनाव हुए। 1957 से अब तक यहां 14 बार विधानसभा चुनाव हुए। तब से जोबट सीट पर कांग्रेस ने 11 बार जीत हासिल की है वहीं बीजेपी ने दो बार और सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार ने 1962 विधानसभा चुनाव में एक बार विजय प्राप्त की है। 
चुनाव के इन नतीजों को देख कर साफ है कि इस सीट पर कांग्रेस पार्टी का पलड़ा भारी रहा है लेकिन पिछले चार चुनावों के परिणामों पर गौर करे तो कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने दो-दो बार जीत हासिल की है। ऐसे में दोनों ही पार्टियों के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है।
 
क्यों हैं उपचुनाव?
जोबट सीट पर 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार कलावती भूरिया ने जीत दर्ज की थी। 15 अप्रैल 2021 को कोरोना से संक्रमित होने के बाद उन्हें इंदौर जिला अस्पताल में भर्ती किया गया। इलाज के बाद भी कोरोना महामारी में उनकी जान चली गई थी। उनके मरणोपरांत जोबट सीट पर उपचुनाव हो रहा है। 
दिवंगत विधायक पूर्व केंद्रीय मंत्री और दिग्गज कांग्रेस नेता कांतिलाल भूरिया की भतीजी थीं। 2018 में पहली बार विधायक बनने से पहले वह झाबुआ और अलीराजपुर जिले में विभिन्न समितियों की सदस्य रहीं। 1990 में सरपंच बनीं और 2000 से 2018 तक झाबुआ जिला पंचायत अध्यक्ष भी रहीं।

जमीन VS मंच के मुद्दे
कांग्रेस बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दों के साथ 15 महीनों की कांग्रेस सरकार की उपलब्धियों और बीजेपी की शिवराज सरकार की विफलताओं को लेकर जनता के बीच पहुंच रही है। रोजगार उपलब्ध न होने के चलते पलायन यहां का सबसे बड़ा मुद्दा है। यहां रोजगार के लिए पलायन करने वाले आदिवासियों के वोट भी काफी महत्वपूर्ण माने जा रहे है। हालांकि पलायन जमीन से ज्यादा मंच का मुद्दा अधिक नजर आता है। यहां की सड़कों की अलग ही कहानी है। कागजों के पन्नों में बनी सड़क जमीन पर दिखाई नहीं देती।  यहां सरकारी स्तर पर भ्रष्टाचार की फाइलें शासकीय दफ्तरों में बैठे अफसरों के आगे हवा हवाई होते दिखाई देती है।
 
विश्लेषक राय
जोबट विधानसभा के चुनावी माहौल, मुद्दों पर ज्यादा जानकारी के लिए भास्कर हिंदी संवाददाता आनंद जोनवार ने स्थानीय वरिष्ठ पत्रकार राजेश जैन से बातचीत की, उनका मानना है कि अभी कांग्रेस की अपेक्षा बीजेपी यहां अधिक मजबूत स्थिति में दिखाई पड़ रही है। बीजेपी की योजनाओं से जनता में नाराजगी देखने को नहीं मिल रही। दलबदलू को टिकिट बीजेपी के चुनावी माहौल पर सवाल बना हुआ है। बीजेपी भविष्य में कांतिलाल भूरिया के समानांतर नेताओं के स्तर पर सुलोचना रावत को प्रचार कर रही है। जिसका लाभ बीजेपी को मिलने की उम्मीद है। 
 

Created On :   27 Oct 2021 9:38 AM GMT

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