3 दिसंबर : ध्यान चंद की पुण्यतिथि, कोच आचरेकर की जयंती

3 December: Dhyan Chands death anniversary, coach Achrekars birth anniversary
3 दिसंबर : ध्यान चंद की पुण्यतिथि, कोच आचरेकर की जयंती
3 दिसंबर : ध्यान चंद की पुण्यतिथि, कोच आचरेकर की जयंती
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  • 3 दिसंबर : ध्यान चंद की पुण्यतिथि
  • कोच आचरेकर की जयंती

नई दिल्ली, 3 दिसंबर (आईएएनएस) भारतीय खेलों के इतिहास में तीन दिसंबर बहुत मायने रखता है। यह तारीख हॉकी के जादूगर और तीन बार के ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता ध्यान चंद की पुण्यतिथि और भारत के महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर के कोच रमाकांत आचरेकर की जयंती के रूप में याद किया जाता है।

ध्यान चंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को हुआ था, जबकि आचरेकर का पिछले साल 2 जनवरी को निधन हो गया था। हालांकि, यह पता नहीं है कि दोनों कभी मिले थे।

गुरुवार को देशभर के कई शहरों में ध्यान चंद की पुण्यतिथि मनाई गई। लेकिन अचरेकर के सबसे सफल विद्यार्थियों में से एक भारत के पूर्व टेस्ट बल्लेबाज भारतीय प्रवीण आमरे ने कहा कि उनके कोच की जयंती नहीं मनाई जाती है। केवल उनके उनके छात्र ही गुरु पूर्णिमा के दिन अपने शिक्षक को श्रद्धांजलि देते हैं।

पूर्व भारतीय कप्तान की 41वीं पुण्यतिथि के अवसर पर भारत के विभिन्न हिस्सों में रक्तदान और धार्मिक कार्यो के माध्यम से उन्हें याद किया गया।

ध्यान चंद के बेटे और पूर्व भारतीय हॉकी कप्तान अशोक कुमार ने आईएएनएस से कहा, सुबह से ही पूरे देश से मेरे मोबाइल पर मैसेज आ रहे हैं। लोगों ने अमरावती, भोपाल, बैतूल, अयोध्या और हमारे गृह नगर में झांसी में कार्यक्रम आयोजित किए हैं।

तीन दिसंबर 1979 को दिल्ली के एम्स में ध्यान चंद का निधन हो गया था। उनके निधन के बाद उनके पार्थिव शरीर को हेलीकॉप्टर से झांसी ले जाया गया था।

लेकिन हेलीकॉप्टर अशोक कुमार के कुछ चिंताजनक क्षणों के बाद ही आया, क्योंकि वह अस्पताल से एक वाहन की तलाश में निकले थे, जिसमें वह अपने शानदार पिता के पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए झांसी ले जा सकते थे।

उस समय सरकार को जनता के दबाव में ध्यान चंद का पार्थिव शरीर ले जाने के लिए हेलीकॉप्टर का इंतजाम करना पड़ा था। उसके बाद भी सरकारों ने भारत रत्न न देकर ध्यान चंद की अनदेखी की है।

दिलचस्प बात यह है कि आचरेकर के सबसे प्रसिद्ध शिष्य तेंदुलकर को 2014 में भारत रत्न मिला था। हालांकि, कई विशेषज्ञों का मानना है कि जब बल्लेबाज सचिन पुरस्कार के हकदार थे, तो सरकार को सबसे पहले ध्यान चंद को ये पुरस्कार देना चाहिए था।

उधर, भारत के लिए 1991 से 1994 तक 11 टेस्ट और 37 वनडे खेलने वाले आमरे ने कहा कि आचरेकर सर की 88वीं जयंती पर मुंबई में कोई कार्यक्रम नहीं किया गया।

आमरे ने आईएएनएस से कहा, आचरेकर सर का जन्मदिन या जयंती हम कभी नहीं मनाते। इसलिए मुंबई में आज भी कोई कार्यक्रम नहीं हुआ। हम केवल उन्हें गुरु पूर्णिमा के अवसर पर अपना सम्मान देते हैं। केवल एक बार छह-सात साल पहले हमने उनका जन्मदिन मुंबई के शिवाजी पार्क में बड़े पैमाने पर मनाया था।

ईजेडए/एसजीके

Created On :   3 Dec 2020 3:00 PM GMT

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