बॉडी क्लॉक, गर्मी और आद्रता से लड़कर मैराथन विश्व चैम्पियन बनीं चिपन्गेटिच

Chipngetich became marathon world champion by fighting body clock, heat and humidity
बॉडी क्लॉक, गर्मी और आद्रता से लड़कर मैराथन विश्व चैम्पियन बनीं चिपन्गेटिच
बॉडी क्लॉक, गर्मी और आद्रता से लड़कर मैराथन विश्व चैम्पियन बनीं चिपन्गेटिच

दोहा, 28 सितम्बर (आईएएनएस)। कतर की राजधानी में जारी विश्व एथलेटिक्स चैम्पियनशिप के पहले दिन शनिवार को पहली बार मध्यरात्रि में महिला मैराथन का आयोजन हुआ। केन्या की रूथ चिपन्गेटिच ने 2.32.43 घंटे समय के साथ इसमें बाजी मारी। हालांकि रूथ का कहना है कि बॉडी क्लॉक, गर्मी और आद्रता से लड़ते हुए अपने करियर का पहला विश्व खिताब जीतना उन के लिए कतई आसान नहीं रहा।

मध्य पूर्व में पहली बार आयोजित विश्व एथलेटिक्स चैम्पियनशिप के लिए आयोजकों तथा खिलाड़ियों ने खास तैयारी की है। गर्मी और आद्रता से बचने के लिए इवेंट्स का आयोजन शामिल में किया जा रहा है और चूंकी मैराथन एक बेहद डिमांडिंग इवेंट है, लिहाजा आयोजकों ने इसे मध्यरात्रि में कराने का फैसला किया।

आयोजकों का यह फैसला एथलीटों के लिए थोड़ा राहत देने वाला था क्योंकि रात में भी दोहा में तापमान लगभग 33 डिग्री सेल्सियस और आद्रता लगभग 75 फीसदी के करीब रही। इन सबसे जूझने के अलावा एथलीटों को बॉडी क्लॉक से भी जूझना था क्योंकि कोई भी एथलीट आमतौर पर सुबह या शाम को अभ्यास करता है और दुनिया भर में कहीं भी मैराथन का आयोजन सुबह के सत्र में होता लेकिन दोहा में इसका आयोजन मध्यरात्रि में किया गया।

रूथ ने भी इन दिक्कतों का सामना किया लेकिन तमाम मुश्किलों के बावजूद वह इस साल विश्व चैम्पियनशिप का अपना पहला खिताब जीतने में सफल रहीं। यह अलग बात है कि गर्मी और आद्रता के कारण वह अच्छा समय नहीं निकाल सकीं। जनवरी में दुबई मैराथन में रूथ ने 2.17.08 घंटे का समय निकाला था लेकिन तमाम दुश्वारियों के बीच हो रही इस रेस में वह इस समय के करीब भी नहीं पहुंच सकीं।

इन सबके बावजूद रूथ ने टोक्यो में 2020 में होने वाले ओलंपिक खेलों के लिए क्वालीफाई कर लिया। रूथ ने रेस के बाद कहा, यह बॉडी क्लॉक से लड़ने का मामला था। हमने इससे काफी संघर्ष किया। मैं काफी पहले कतर आ गई थी। मेरा मकसद खुद को बदले हुए माहौल में ढालना था। यहां दिन में 37-38 डिग्री जबकि मेरे देश में इस समय 31-32 डिग्री तापमान होता है। साथ ही यहां की आद्रता काफी परेशान करने वाली है। दिन और रात के तापमान में अधिक अंतर नहीं होता। मैं रात में अभ्यास करती थी।

रूथ ने आगे कहा, तमाम प्रयासों के बावजूद मैं अपना श्रेष्ठ समय नहीं निकाल सकी। यह एथलीटों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण मैराथन था। मैं अच्छा महसूस कर रही हूं। मैं इस जीत के लिए ईश्वर का धन्यवाद करना चाहती हूं। अब मेरा ध्यान टोक्यो ओलंपिक पर है और मैं वहां श्रेष्ठ प्रदर्शन करना चाहती हूं।

दोहा में शनिवार को हुए मैराथन में हालात इतने चुनौतीपूर्ण थे कि 15 नवम्बर को 40 साल पूरे करने जा रहीं केन्या की 2011 और 2013 की विश्व चैम्पियन एडना किपलागाट 2.35.36 घंटे समय के साथ चौथे स्थान पर रहीं। हालांकि वह भी टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने में सफल रहीं।

यही नहीं, मौजूदा यूरोपीयन चैम्पियन बेलारूस की वोल्हा माजूरोनाक इस रेस में 2.36.21 घंटे समय के साथ पांचवें स्थान पर रहीं। माजूरोनाक ने इस साल चोट से जूझते हुए बर्लिन मैराथन जीता था लेकिन यहां वह मेडल के करीब भी नहीं पहुंच सकीं।

Created On :   28 Sept 2019 6:00 PM IST

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