पिता का शव कर रह था इंतजार, कोहली लगा रहे थे चौके-छक्के

Dead body of father was at home and Virat kohli was playing the match
पिता का शव कर रह था इंतजार, कोहली लगा रहे थे चौके-छक्के
पिता का शव कर रह था इंतजार, कोहली लगा रहे थे चौके-छक्के

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इंडिया में क्रिकेट ही एक ऐसा खेल है, जिसने पूरे देश को एक-जुट करके रखा है। हर मामले में सबका नजरिया भले ही अलग-अलग हो, लेकिन बात जब क्रिकेट की आए तो सब एकसाथ ही बोलते हैं "इंडिया-इंडिया"। एक खेल को धर्म बनाने के लिए कई लोगों ने बहुत काम किया है, जैसे- सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, वीरेंद्र सहवाग, कपिल देव। ये सब ऐसे नाम हैं, जिनने चाहे जो मुसीबत आई हो, क्रिकेट जरूर खेला है। अब इसी लिस्ट में एक और नाम जुड़ गया है और वो नाम और कोई नहीं, बल्कि टीम इंडिया के कैप्टन विराट कोहली का है। विराट कोहली आज इंडियन क्रिकेट में बहुत बड़ा नाम है, लेकिन एक समय ऐसा था, जब उनके पास कुछ नहीं था। विराट जब क्रिकेट में आगे बढ़ रहे थे, तभी उनके पिता का निधन हो गया। उसके बावजूद विराट ने हार नहीं मानी और क्रिकेट खेलते रहे। विराट की उसी मेहनत और जिद का नतीजा है, कि आज वो इंडियन क्रिकेट टीम के कैप्टन हैं। अब उनकी लाइफ का एक ऐसा ही किस्सा राजदीप सरदेसाई ने अपनी किताब "डेमोक्रेसी 11" में किया है, जो आज तक अनजाना था।

पिता की लाश कर रही थी विराट का इंतजार

जर्नलिस्ट राजदीप सरदेसाई की किताब "डेमोक्रेसी 11" में विराट कोहली और उनके पिता प्रेम कोहली से जुडी एक बात का भी जिक्र किया गया है। इस किताब में लिखा गया है कि, "जिस वक्त विराट कोहली के पिता प्रेम कोहली (54) की ब्रेन स्ट्रोक से साल 2006 में मौत हुई थी। उस वक्त विराट सिर्फ 18 साल के थे और रणजी ट्रॉफी में दिल्ली टीम की तरफ से खेल रहे थे।" किताब में आगे लिखा है, "दिल्ली और कर्नाटक की टीम मैच खेल रही थी। पहले दिन कर्नाटक ने पहली पारी में 446 रन बनाए थे। ऐसे में दिल्ली की टीम काफी मुश्किल में थी। दिल्ली अपने 5 विकेट गंवा चुकी थी और दिन का खेल खत्म होने तक विराट कोहली 40 रन बनाकर नॉटआउट लौटे थे। वो दिन 19 दिसंबर था और उसी रात विराट के पिता दुनिया को अलविदा कह गए।"

पिता की मौत के बाद भी खेले विराट

डेमोक्रेसी 11 में आगे लिखा है कि, "विराट के पिता की मौत की खबर जब ड्रेसिंग रूम में पहुंची, तो टीम मैनेजमेंट और बाकी प्लेयर्स को भी यही लगा कि विराट अब आगे नहीं खेलेंगे। इसके लिए टीम के कोच ने एक दूसरे खिलाड़ी को बैटिंग पर उतारने के लिए भी कह दिया था, लेकिन लोग उस वक्त हैरान रह गए जब विराट कोहली मैदान पर बैटिंग करने उतरे और 90 रन की पारी खेलकर दिल्ली को फॉलोऑन से उबारा।" इसी दिन के बाद से लोगों को लगने लगा था कि विराट एक दिन बड़े खिलाड़ी जरूर बनेंगे। 

कोहली को मौका देने पर चली गई थी नौकरी: वेंगसरकर

इस किताब में विराट कोहली के सिलेक्शन को लेकर भी एक बहुत बड़ा खुलासा किया गया है। सरदेसाई कि "डेमोक्रेस 11" में BCCI के फॉर्मर चीफ सिलेक्टर दिलीप वेंगसरकर ने खुलासा किया है कि 2008 में विराट कोहली को टीम इंडिया में मौका देने के बाद उनको चीफ सिलेक्टर के पद से हटा दिया गया था। इस किताब के मुताबिक, "उस वक्त बोर्ड के ट्रेजरर एन. श्रीनिवासन, विराट कोहली की जगह तमिलनाडु के बल्लेबाज एस. बद्रीनाथ को टीम में शामिल करना चाहते थे।" इस किताब में दिलीप वेंगसरकर के हवाले से लिखा गया है, "साल 2008 में अंडर-19 वर्ल्ड कप जीतने के बाद विराट कोहली लाइमलाइट में आ गए थे। इसके बाद उन्हें एस बद्रीनाथ की जगह नेशनल टीम में मौका दिया गया। वेंगसरकर का ये फैसला एन श्रीनिवासन को पसंद नहीं आया। उस वक्त श्रीनिवासन बोर्ड के ट्रेजरर और तमिलनाडु क्रिकेट एसोसिएशन के चेयरमैन थे। जैसे ही श्रीनिवासन को एस बद्रीनाथ की जगह कोहली के शामिल होने का पता चला तो वो तुरंत बोर्ड के चेयरमैन शरद पवार के पास शिकायत करने चले गए। इसके अगले ही दिन मुझे सिलेक्शन कमेटी के चेयरमैन की पोस्ट से हटा दिया गया, लेकिन वो विराट कोहली को सिलेक्ट करने का मेरा फैसला बदल नहीं पाए।" 

Created On :   29 Oct 2017 3:08 PM IST

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