IPL में भ्रष्टाचार पर हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी, कहा- सट्टेबाजी और फिक्सिंग जैसे शब्द जुड़े

HC strict on corruption in IPL, said it introduce betting-fixing Words
IPL में भ्रष्टाचार पर हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी, कहा- सट्टेबाजी और फिक्सिंग जैसे शब्द जुड़े
IPL में भ्रष्टाचार पर हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी, कहा- सट्टेबाजी और फिक्सिंग जैसे शब्द जुड़े

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) ने लोगों को बेटिंग-फिक्सिंग जैसे शब्दों से परिचित कराया है। इसलिए अब समय आ गया है कि आयोजक व केंद्र सरकार इस बात को देखे की IPL टूर्नामेंट क्रिकेट जैसे खेल के हित में है या नहीं। इस बीच अदालत ने IPL के पूर्व आयुक्त ललित मोदी को गवाहों से जिरह की अनुमति दे दी है।

IPL के चलते सट्टेबाजी-फिक्सिंग जैसे शब्दों से परिचित हुए लोग
जस्टिस एससी धर्माधिकारी व जस्टिस भारती डागरे की बेंच ने पूर्व IPL कमीश्नर ललित मोदी की ओर से दायर याचिका पर आदेश देते समय यह तल्ख टिप्पणी की। प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कार्रवाई का सामना कर रहे मोदी ने याचिका में मांग की थी कि ED ने उनके खिलाफ जिन गवाहों के बयान दर्ज किए हैं, उनसे उन्हें जिरह करने की अनुमति प्रदान की जाए। मोदी के खिलाफ साल 2009 में दक्षिण अफ्रिका में आयोजित किए गए IPL के दौरान विदेशी मुद्रा विनिमय कानून (फेरा) के प्रावधानों के उल्लंघन को लेकर ED की कार्रवाई चल रही है।

मोदी को मिला गवाहों से जिरह का मौका
मोदी की याचिका को मंजूर करते हुए बेंच ने कहा कि मोदी अपने वकील के माध्यम से इस मामले के गवाहों से जिरह कर सकते है। इस दौरान बेंच ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि यदि IPL के आयोजन में इतने नियमों के उल्लंघन सामने आ रहे हैं तो आयोजक को इस बारे में सोचना होगा कि पिछले दस सालों में IPL के आयोजन से क्या हासिल हुआ है? खास तौर से नियमों के उल्लंघन के पहलू को देखते हुए IPL को क्या खेल अथवा प्रतियोगिता कहा जा सकता है? इस विषय में सोचने का समय आ गया है। IPL ने लोगों को बेटिंग व फिक्सिंग जैसे शब्दों से लोगों को परिचित कराया है। इसलिए केंद्र सरकार, रिजर्व बैंक आफ इंडिया व अायोजकों को इस बारे में विचार करना होगा कि क्या वाकय में IPL खेल के हित में है।

सरकार देखे कि यह खेल हित हैं या नहीं
अपने आदेश में बेंच ने कहा कि मोदी को गवाहों से जिरह का मौका न देना नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है। इसलिए ED मोदी के खिलाफ जिन गवाहों के बयान का इस्तेमाल कर रही है उनसे वह मोदी के वकील को जिरह करने का मौका प्रदान करे। बेंच ने कहा कि यह मामला काफी समय से प्रलंबित है। इसलिए ED इस मामले से जुड़ी कार्रवाई का 31 मई तक निपटारा करे। साल 2013 में ED ने मोदी व अन्य आरोपियों के खिलाफ फेमा कानून के तहत कार्रवाई की शुरुआत की थी।

Created On :   30 Jan 2018 1:51 PM GMT

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