मिलिए महिला क्रिकेट की धाकड़ गर्ल्स से, जो हारकर भी जीत गईं इंडिया का दिल

Meet The 11 Indian Cricketers Playing The Womens World Cup Final 2017 Against England
मिलिए महिला क्रिकेट की धाकड़ गर्ल्स से, जो हारकर भी जीत गईं इंडिया का दिल
मिलिए महिला क्रिकेट की धाकड़ गर्ल्स से, जो हारकर भी जीत गईं इंडिया का दिल

डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। रविवार को हुए ICC Woman worldcup के फाइनल मुकाबले में भारत इंग्लैंड से 9 रनों से हार गया। धीमी शुरुआत के बावजूद भी टीम इंडिया लड़खड़ाई नहीं और मैच को एक रोमांचक मोड़ पर लेकर आ गई। आखिरी के 5 ओवरों से पहले भारत अपनी जीत के काफी नजदीक खड़ी थी। लेकिन पूनम राउत और वेदा कृष्णमूर्ति के आउट होने के बाद वर्ल्ड कप एक बार फिर भारत से दूर हो गया। लेकिन कल भारत की सिर्फ 11 बेटियां ही इंग्लैंड से नहीं लड़ रही थी बल्कि पूरे भारत का प्यार,दुलार और विश्वास भी उनके साथ इस लड़ाई में उनके साथ खड़ा था है। कल उनके साथ वो ही लोग खड़े थे जो कभी महिलाओं का क्रिकेट खेलना पसंद नहीं किया करते थे और न ही उन्हें वो सम्मान देते थे जो मेन्स टीम को मिलता है। इसके बावजूद भी कल भारतीय महिलाओं ने जो प्रदर्शन किया, उसने सबका दिल जीत लिया। भारत की हार पर लोगों की आंखों में आंसू तो थे लेकिन वो आंसू हार के कारण नहीं बल्कि उन महिलाओं की जीत के लिए थे। जो तमाम दिक्कतों के बावजूद भी जमकर लड़ी और टूर्नामेंट की शुरुआत में 7वें नंबर की टीम को फाइनल में लाकर खड़ा कर दिया। आज हम उन्हीं महिलाओं के जज़्बे और संघर्ष के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसको जानकर आपको टीम की हर प्लेयर पर गर्व होगा।

1. मिताली राज

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मिताली दोरई राज ने अपने वनडे क्रिकेट कैरियर की शुरुआत 1999 में की थी। उस समय वो 16 साल की थी। अपने डेब्यू मैच में ही मिताली ने आयरलैंड के खिलाफ 114 रन बनाकर टीम इंडिया को शानदार जीत दिलाई थी। इसके दो साल बाद मिताली ने टेस्ट मैच में 214 रन बनाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था। वो पहली महिला थी, जिसने वुमेन्स टेस्ट क्रिकेट में डबल सेंचुरी लगाई थी। हालांकि 2004 में पाकिस्तान की किरन बालोच ने 242 रन बनाकर मिताली का ये रिकॉर्ड तोड़ दिया था। मिताली ने 10 साल की उम्र से ही क्रिकेट खेलना शुरु कर दिया था। उन्होंने अपने भाई के साथ हैदराबाद के सेंट जोन्स स्कूल से क्रिकेट की कोचिंग स्टार्ट की। वहां पर मिताली लड़कों के साथ नेट पर प्रेक्टिस किया करती थी। क्रिकेटर के साथ-साथ उन्होंने भरतनाट्यम डांस भी सीखा है, लेकिन क्रिकेट के शौक के कारण उन्होंने डांसर बनने का सपना छोड़ दिया। अपनी शानदार बल्लेबाजी के कारण मिताली को वुमेन्स क्रिकेट का 'सचिन तेंदुलकर' कहा जाता है और मात्र 21 साल की उम्र में ही उन्हें टीम इंडिया का कैप्टन बनाया गया। मिताली भारत की पहली कप्तान है, जिसने टीम इंडिया को 2 बार फाइनल में एंट्री दिलाई है। 2005 के वर्ल्ड कप फाइनल में इंडिया ऑस्ट्रेलिया से हार गई और 2017 में इंग्लैंड से हार का सामना करना पड़ा। इसके अलावा मिताली के पास 2 एशिया कप की ट्राफी भी अपने नाम करने का रिकॉर्ड है। मिताली को 2003 में अर्जुन अवॉर्ड और 2015 में पद्मश्री अवॉर्ड से नवाजा गया है।

2. स्मृति मंधाना

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21 साल की स्मृति ने अपने पिता और भाई को क्रिकेट खेलते देख क्रिकेट में कैरियर बनाने का सपना देखा। 9 साल की उम्र में ही स्मृति महाराष्ट्र की अंडर-15 टीम के लिए चुनी गई और 2 साल बाद अंडर-19 टीम में उनका सिलेक्शन किया गया। स्मृति पहली भारत की ऐसी महिला है, जिसने 17 साल की उम्र में ही महाराष्ट्र और गुजरात के बीच खेले गए वनडे मैच में डबल सेंचुरी (224 रन) लगाई है। इसके साथ ही स्मृति हरमनप्रीत के बाद दूसरी ऐसी महिला है, जिनका सिलेक्शन ऑस्ट्रेलिया की 'बिग बैश लीग' के लिए हुआ है।

3. पूनम राउत

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पूनम राउत मुंबई के बहुत गरीब परिवार से हैं। उनके पिता एक कैब ड्राइवर थे और उन्होंने पूनम को क्रिकेट खिलाने के लिए कर्ज लिया था। आज पूनम टीम इंडिया की तरफ से ओपनिंग करती है। इसके साथ ही इसी साल पूनम और दीप्ती शर्मा ने मिलकर वनडे क्रिकेट में 320 रन की पार्टनरशिप करके इतिहास रचा था। जब पूनम 6 साल की थी, तभी से उन्होंने क्रिकेट खेलना शुरु कर दिया था और आज बेस्ट प्लेयर में उनका नाम शामिल है। टीम इंडिया की ओपनर होने के साथ-साथ वो वेस्टर्न रेलवे में भी काम करती हैं।

4. हरमनप्रीत कौर 

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वर्ल्ड कप 2017 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 171 रनों की पारी खेलने वाली हरमनप्रीत ने 2009 से अपने क्रिकेट कैरियर की शुरुआत की थी। हरमनप्रीत दुनिया के बेस्ट ऑलराउंडर में से एक है। जिस तरह से वो अपनी बैटिंग से सबको हैरान कर देती हैं उसी तरह से उनकी बॉलिंग भी सबको हैरान कर देती है। 2012 में जब मिताली और झूलन इंजरी के कारण एशिया कप में नहीं खेल पाई थी। उस समय हरमनप्रीत ने टीम की कमान संभाली पाकिस्तान के साथ खेले गए फाइनल मुकाबले में टीम को शानदार जीत दिलाई। एक बार भारत-बांग्लादेश के साथ खेली गई सीरीज़ में हरमनप्रीत ने 19 रनों की बेहतरीन पारी खेली गई थी। इसके आलावा 2015 में साउथ अफ्रिका के साथ खेले गए टेस्ट मैच में हरमनप्रीत ने 9 विकेट लेकर अपनी बॉलिंग से अफ्रीकन बल्लेबाजों के छक्के छुड़ा दिए थे। इसके साथ ही टी-20 मैच में भी हरमनप्रीत अपनी शानदार बल्लेबाजी का प्रदर्शन देते हुए टीम इंडिया को कई बार जीत दिला चुकी है। हरमनप्रीत भारत की पहली महिला है, जिनको 2016 में ऑस्ट्रलिया की बिग बैश लीग के लिए साइन किया गया था। इस लीग में हरमनप्रीत सिडनी थंडर टीम की तरफ से खेली थी, अपने पहले ही मैच में उन्होंने 3 छक्के और 2 चौके जड़कर सबको हैरान कर दिया था। इसके अलावा हरमनप्रीत इस साल इंग्लैंड की केआईए में भी सिलेक्ट की गई है, इस लीग में सिलेक्ट में होने वाली वो पहली भारतीय महिला क्रिकेटर हैं।

5. दीप्ती शर्मा

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सिर्फ 19 साल की उम्र में ही दीप्ती ने इंडियन वुमेन्स क्रिकेट में बड़ी पहचान बना ली है। दीप्ती भी एक बेहरीन ऑलराउंडर हैं। वो लेफ्ट हैंड से बैटिंग करती हैं और राइट आर्म ऑफ स्पिनर हैं। टीम इंडिया की तरफ से भी ओपनिंग भी कर चुकी हैं। दीप्ती शर्मा ने 9 साल की उम्र से ही अपने भाई के साथ आगरा के एकलव्य क्रिकेट स्टेडियम में प्रैक्टिस करना शुरु किया था। उस दौरान क्रिकेटर हेमलता कला जो अभी बीसीसीआई की वुमेन्स टीम सिलेक्शन पैनल की मेंबर हैं। उन्होंने दीप्ती शर्मा को बॉलिंग करते हुए देखा था और उसके बाद उन्होंने दीप्ती के भाई से कहा था कि इसको रोज प्रैक्टिस पर लेकर आना। उन्हें पता था कि दीप्ती एक दिन इंडिया टीम की तरफ से खेलेंगी। दीप्ती शर्मा कई बड़े मैचों में खुदको साबित कर चुकी हैं। दीप्ती को देखकर अदाजा लगाया जा सकता है कि इंडियन वुमेन्स टीम का फ्यूचर कितना शानदार है।

6. वेदा कृष्णमूर्ति

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 वेदा ने क्रिकेट खेलने की शुरुआत तब की जब 2005 में इंडिया वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंची और वहां पर ऑस्ट्रेलिया से हार गई। उस समय वेदा की उम्र 12 साल थी। वेदा इंडियन कैप्टन मिताली राज को अपना आइडल मानती हैं और उनकी बहुत बड़ी फैन हैं। वेदा कर्नाटक की एक छोटे सी फैमिली से आती हैं और न ही उनकी फैमिली में कोई क्रिकेट खेलता था। आज वेदा टीम इंडिया की भरोसेमंद खिलाड़ियों में से एक है। बचपन में वो मिताली से मिलना चाहती थी। 15 साल की उम्र में उन्होंने मिताली राज के साथ नेट प्रैक्टिस करनी शुरु की और 2011 में उन्होंने अपने वनडे क्रिकेट कैरियर की शुरुआत की। एक अच्छी क्रिकेटर के साथ-साथ वेदा कराटे में ब्लैक बेल्ट भी हैं।

7. सुषमा वर्मा

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 सुषमा ने विकेटकीपर के तौर पर 2014 में अपने क्रिकेट कैरियर की शुरुआत की थी। सुषमा इंडियन अंडर-19 टीम की कैप्टन भी रह चुकी है। इसी के साथ वो हिमाचल प्रदेश की पहली महिला है जिन्होंने एक क्रिकेटर के रुप में टीम इंडिया की तरफ से खेला है। क्रिकेट खेलने से पहले सुषमा वॉलीबॉल और हॉकी भी खेला करती थी, लेकिन उन्होंने क्रिकेट को अपने कैरियर के लिए चुना।

8. झूलन गोस्वामी

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वेस्ट बंगाल की रहने वाली झूलन गोस्वामी 34 साल की हैं और नए खिलाड़ियों के लिए एक इंस्पिरेशन हैं। वो पिछले 15 सालों से बंगाल की तरफ से क्रिकेट खेल रही हैं। इस साल झूलन का नाम सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाजों में टॉप पर है। इसके साथ ही वो एक बार आईसीसी के प्लेयर ऑफ द ईयर का खिताब भी हासिल कर चुकी हैं। अपनी फास्ट बॉलिंग से वो सामने वाली टीम को घुटने टेकने पर मजबूर कर देती हैं। और इसके लिए उन्हें इंडियन वुमेन्स टीम का कैप्टन भी बनाया जा चुका है। झूलन को भी अर्जुन अवॉर्ड और पद्मश्री अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है।

9. शिखा पांडे

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शिखा क्रिकेट खेलने से पहले एक इंजीनियर थी। गोवा में पली-बढ़ी शिखा लड़कों के साथ क्रिकेट खेला करती थी। कॉलेज के सेकंड ईयर से उन्होंने गोवा क्रिकेट एसोसिएशन की तरफ से क्रिकेट खेलना शुरु किया और जैसे ही उनकी पढ़ाई कम्प्लीट हुई उन्होंने क्रिकेट को अपने कैरियर के रुप में चुना। क्रिकेटर होने के साथ-साथ शिखा इंडियन एयरफोर्स में एयर ट्रेफिक कंट्रोलर भी हैं।

10. एकता बिष्ट

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एकता उत्तराखंड की पहली महिला क्रिकेटर हैं जो इंडियन वुमेन्स टीम में सिलेक्ट की गई हैं। उन्होंने अपने क्रिकेट कैरियर की शुरआत 2006 में की थी। इस दौरान वो उत्तराखंड क्रिकेट टीम की कैप्टन थी। इसके बाद वो 2007 से लेकर 2010 तक उत्तरप्रदेश की तरफ से भी खेल चुकी हैं। एकता को 2011 में इंडियन वुमेन्स टीम में जगह मिली और इसी साल ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए मैच से एकता ने वनडे क्रिकेट में डेब्यू किया। एकता के नाम 2 बार पाकिस्तान के खिलाफ 5 विकेट लेने का रिकॉर्ड भी है। वुमेन्स वर्ल्ड कप में उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ 5 विकेट लेकर टीम को बड़ी जीत दिलाई थी।

11. पूनम यादव

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पूनम यादव इंडिया टीम की बेहतरीन गेंदबाजों में से एक है। उन्होंने अपने इंटरनेशनल क्रिकेट की शुरुआत 2013 से की थी। इसी साल बांग्लादेश के खिलाफ खेले गए टी-20 मैच से उन्होंने डेब्यू किया था। इसके बाद से पूनम लगाता अपनी बॉलिंग से विरोधी टीम के छक्के छुड़ाती रहीं हैं। इसके अलावा वो रेलवे की तरफ से भी क्रिकेट खेल चुकी हैं।

Created On :   24 July 2017 10:28 AM IST

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