डकवर्थ लुईस मेथड से कैसे होता है हार-जीत का फैसला, जानें यहां

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डकवर्थ लुईस मेथड से कैसे होता है हार-जीत का फैसला, जानें यहां
डकवर्थ लुईस मेथड से कैसे होता है हार-जीत का फैसला, जानें यहां

डिजिटल डेस्क, भोपाल। यूं तो क्रिकेट मैच दो टीमों के बीच ही खेला जाता है और दोनों में से कोई एक ही उस मैच को जीतता है। लेकिन इस गेम में किसी का डर बना रहता है, तो वो है, "बारिश"। बारिश एक ऐसी मेहमान है, जो बिन बुलाए ही जाती है। जब मैच के बीच में बारिश होती है, तो उससे न केवल क्रिकेट खेलने वाली टीम को गुस्सा आता है, बल्कि लाखों-करोड़ों दर्शक भी निराश हो जाते हैं। हर कोई चाहता है कि मैच शुरू हुआ है, तो फिर अच्छे से खत्म भी हो और उसका रिजल्ट निकले। लेकिन ये बारिश उस सबमें खलल डाल देती है। जब से आपने होश संभाला है और मैच दिखना शुरू किया है, तो अक्सर मैच में बारिश होते हुए देखी ही होगी और फिर मैच का रिजल्ट "डकवर्थ लुईस" मेथड से निकलते हुए देखा होगा। लेकिन क्या आपने सोचा है, कि ये डकवर्थ लुईस मेथड क्या होती है और इससे कैसे मैच का रिजल्ट निकाला जाता है? अगर नहीं और आप इस बारे में जानना चाहते हैं, तो ये खबर आपके लिए है। 

किसने बनाया था इस मेथड को? 

डकवर्थ लुईस को फ्रेंक डकवर्थ और टोनी लुईस ने मिलकर बनाया था। इन्हीं दोनों के नाम पर इस मेथड का नाम "डकवर्थ लुईस" रखा गया। इन दोनों का मानना था कि इस मेथड को आसानी से समझा जा सकता है, लेकिन आमतौर पर ये नियम किसी को समझ नहीं आता। लोग इसी माथापच्ची में लगे रहते हैं, कि इस मेथड से कैसे मैच का रिजल्ट निकल सकता है? इस मेथड को ICC ने शामिल किया है और ये हमेशा से विवादों में ही रही है, लेकिन उसके बावजूद भी ये इंटरनेशनल क्रिकेट में मौजूद है। 

कैसे करता है ये काम? 

डकवर्थ लुईस मेथड के मुताबिक किसी भी टीम को मैच में ज्यादा से ज्यादा रन बनाने के लिए 2 रिसोर्स की जरुरत होती है, पहला- बचे हुए विकेट और दूसरा- बचे हुए ओवर। इन्हीं दोनों की मदद से कोई भी टीम ज्यादा से ज्यादा रन बना सकती है। अगर किसी के पास न ही विकेट बचे हैं और न ही ओवर, तो फिर वो टीम बड़ा स्कोर नहीं बना सकती। अब किस टीम के पास कितने पर्सेंट रिसोर्स बचे हैं, उसको कैलकुलेट करने के लिए एक रेफरेंस टेबल बनाई गई है, जिसकी मदद से ही कैलकुलेट किया जाता है। 

 

 बचे हुए ओवर                                                                             बाकी बचे हुए विकेट
  0 3 5 7 9
50 100 83.8 49.5 26.5 7.6
40 90.3 77.6 48.3 26.4 7.6
30 77.1 68.2 45.7 26.2 7.6
25 68.7 61.8 43.4 25.9 7.6
20 58.9 54.0 40.0 25.2 7.6
10 34.1 32.5 27.5 20.6 7.5
5 18.4 17.9 16.4 14.0 7.0

कैसे करते हैं कैलकुलेट? 

अगर मान लीजिए कि किसी मैच में बारिश हो गई और मैच को थोड़ी देर के लिए रोक दिया गया। तो उसके बाद मैच को पूरा करने के लिए डकवर्थ लुईस मेथड के जरिए छोटा किया जाता है, ताकि दोनों टीमों को रन बनाने के लिए बराबर मौका मिले। इसके लिए एक रेफरेंस टेबल बनी हुई है, जिससे टीम के बचे हुए रिसोर्स (विकेट और ओवर) को कैलकुलेट किया जाता है और फिर एक टारगेट डिसाइड किया जाता है। 

कैसे चलता है पता? 

अब ये पता करने के लिए कि किस टीम के पास कितने रिसोर्स बचे हैं और वो कितने का यूज कर चुकी है, इसके लिए रेफरेंस टेबल की मदद ली जाती है। रेफरेंस टेबल में कोई टीम कितने रिसोर्स का इस्तेमाल कर चुकी है और कितने रिसोर्स बचे हुए हैं, ये बताए गए हैं। जैसे इनिंग शुरू होते समय किसी भी टीम के पास 100% रिसोर्स होते हैं, लेकिन धीरे-धीरे वो अपने रिसोर्स का इस्तेमाल करती जाती है। जैसे-जैसे मैच आगे बढ़ता है, तो बैटिंग कर रही टीम के पास ओवर भी कम होते जाते हैं और वो विकेट भी खोती जाती है। 

कैसे होता है टारगेट डिसाइड? 

अब मान लीजिए कोई टीम दूसरी पारी में 20 ओवर खेल चुकी है और उसके 2 विकेट भी गिर चुके हैं और अब उसके पास 30 ओवर और 8 विकेट अभी भी बचे हुए हैं। लेकिन ऐसे वक्त में बारिश होने लगे, तो उसके पास अभी भी 30 ओवर और 2 विकेट बाकी हैं, तो ऐसी स्थिती में उस टीम के पास अभी भी रेफरेंस टेबल के मुताबिक 68.2% रिसोर्स बचे हुए हैं। अब मान लीजिए कि बारिश ज्यादा देर हुई और 10 ओवरों का मैच बर्बाद हो गया और टीम के पास अब 30 की बजाय सिर्फ 20 ओवर ही बचे। तो ऐसी सिचुएशन में रेफरेंस टेबल से उसके बाकी के रिसोर्सेस को कैलकुलेट किया जाएगा। अब उस टीम के पास 20 ओवर बाकी हैं और उसने 2 विकेट खोए हैं, तो इस सिचुएशन में उसके पास 54% रिसोर्स ही बचे हैं। यानी की बैटिंग करने वाली टीम को 68.2 - 54 = 14.2% रिसोर्स का नुकसान हुआ। 

फिर क्या होता है? 

अब किसी भी मैच में दोनों टीमों को ही 100% रिसोर्स मिलने चाहिए थे, लेकिन बारिश की वजह से दूसरी टीम को 14.2% का नुकसान हो गया। यानी टीम को मिले सिर्फ 100 - 14.2 = 85.8% रिसोर्स। तो ऐसी सिचुएशन में दोनों ही टीमों को बराबर रिसोर्स मिले, इसका पूरा ध्यान रखा जाता है। अगर बारिश की वजह से किसी टीम को रिसोर्स कम मिले हैं, तो उसका टारगेट भी कम किया जाता है। इसी तरह से पहले बैटिंग करने वाली टीम के वक्त बारिश होती है और सेकंड इनिंग में बारिश नहीं होती, तो इस वजह से दूसरी बैटिंग करने वाली टीम का टारगेट बढ़ा दिया जाता है। 

कैसे पता चलेगा कि कौन जीता? 

डकवर्थ लुईस मेथड के मुताबिक अगर बारिश दूसरी पारी में खेल रही टीम के बैटिंग के दौरान हुई और उसे 50 ओवर में 250 रन का टारगेट मिला है और दूसरी टीम 40 ओवर में 5 विकेट खोकर 199 रन बना चुकी है तो डकवर्थ लुईस मेथड के मुताबिक उस टीम के पास 27.5% रिसोर्स बाक़ी बचे थे और अगर आगे का खेल रद्द हो गया तो इसका मतलब दूसरी टीम को पूरे 27.5% रिसोर्सेस का नुकसान हो गया। यानी उसने 100 - 27.5 = 72.5 % रिसोर्स ही इस्तेमाल किए। यानी दूसरी टीम का टारगेट 72.5 / 100 घटाया जाएगा। यानी दूसरी टीम का टारगेट अब 250 x 72.5 / 100 = 181.25 होगा। यानी दूसरी टीम को 182 रन चाहिए। यानी बाद में बैटिंग करने वाली 18 रन से जीत गई।

Created On :   22 Sep 2017 8:38 AM GMT

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