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MP में 200 करोड़ का घोटाला: LNCT ग्रुप के चौकसे परिवार पर 224 करोड़ की हेराफेरी का आरोप, EOW ने दर्ज किया केस

- LNCT ग्रुप के अध्यक्ष जय नारायण चौकसे सहित 7 लोगों पर EOW ने दर्ज किया केस।
- फीस, हॉस्टल, लोन और स्कॉलरशिप राशि निजी कंपनियों व परिवार के खातों में ट्रांसफर।
- फर्जी निर्माण, नकद निकासी, फर्जी कंपनियों को भुगतान और PF-ESI में गंभीर गड़बड़ी।
भोपाल/इंदौर। मध्यप्रदेश के नामी शैक्षणिक संस्थान एलएनसीटी (Lakshmi Narain College of Technology) ग्रुप के संचालकों पर अब तक का सबसे बड़ा घोटाला सामने आया है। भोपाल और इंदौर के एलएनसीटी समूह (LNCT Group) से जुड़े चौकसे परिवार पर आस्था फाउंडेशन फॉर एजुकेशन सोसायटी के नाम पर 200 करोड़ से अधिक की हेराफेरी का आरोप लगा है।
आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) ने सुप्रीम कोर्ट की एडहॉक कमेटी की फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट और संस्था के पूर्व प्रेसीडेंट अनिल संघवी की शिकायत के आधार पर जय नारायण चौकसे, अनुपम चौकसे, धर्मेंद्र गुप्ता, श्वेता चौकसे, पूनम चौकसे, पूजा चौकसे, आशीष जायसवाल समेत कई लोगों पर बीएनएस की धारा 61, 316, 318, 338 और 336(3) के तहत मामला दर्ज किया है।
यह मामला सामने आने के बाद भोपाल और इंदौर के शैक्षणिक जगत में हड़कंप मच गया है। जो संस्था शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर भविष्य गढ़ने का दावा करती थी, वही छात्रों की फीस, छात्रवृत्ति, आयुष्मान योजना की राशि और बैंक लोन का दुरुपयोग कर निजी ट्रस्ट और कंपनियों में फंड डायवर्ट करती रही।
किन-किन पर दर्ज हुआ मामला?
EOW ने गंभीर धाराओं के तहत इन लोगों पर केस दर्ज किया है:
- जय नारायण चौकसे (चेयरमैन, LNCT ग्रुप)
- अनुपम चौकसे (सचिव)
- पूजा श्री चौकसे
- पूनम चौकसे
- श्वेता चौकसे
- धर्मेंद्र गुप्ता
- आशीष जायसवाल (बिलासपुर निवासी)
कैसे सामने आया घोटाला?
संस्था के पूर्व चेयरमैन अनिल संघवी ने अपने कार्यकाल में संस्था का फॉरेंसिक ऑडिट कराया था। यह जांच सुप्रीम कोर्ट की एडहॉक समिति (दो पूर्व जजों की निगरानी में) की देखरेख में हुई। रिपोर्ट में सामने आया कि 2021 से 2025 तक संस्था के पैसों को निजी ट्रस्ट और कंपनियों में डायवर्ट किया गया।
घोटाले का पूरा ब्योरा
1. बैंक लोन का दुरुपयोग
- 21 दिन में 21.90 करोड़ का लोन लेकर सीधे एचके कल्चुरी एजुकेशन ट्रस्ट (चौकसे परिवार का निजी ट्रस्ट) का पुराना कर्ज चुकाया।
- एसबीआई से 12.15 करोड़ का टर्म लोन LNCT मेडिकल कॉलेज के नाम पर लिया गया, लेकिन यह भी निजी ट्रस्ट को ट्रांसफर कर दिया।
- 20.17 करोड़ का लोन LNCT यूनिवर्सिटी के नाम पर दिखाया गया, लेकिन खर्च मात्र 2.5 करोड़ दिखाया गया।
- मई 2025 में सिर्फ एक महीने में 35 करोड़ रुपए नकद कोटक महिंद्रा बैंक से निकाले गए।
2. छात्रों की फीस और स्कॉलरशिप का घोटाला
- 8.22 करोड़ रुपए छात्रों से वसूली गई बस और हॉस्टल फीस सोसायटी के खाते में जमा करने के बजाय चौकसे परिवार की कंपनी कल्चुरी कॉन्ट्रैक्टर्स लिमिटेड में डाल दी गई।
- 49.74 लाख रुपए की छात्रवृत्ति राशि कल्चुरी कंस्ट्रक्शन कंपनी के खाते में डायवर्ट कर दी गई।
- आयुष्मान योजना से मिली 36.73 लाख की राशि का भी फर्जी उपयोग दिखाया गया।
3. फर्जी भुगतान और संदिग्ध ट्रांजैक्शन
- 50.67 करोड़ का भुगतान LNCT यूनिवर्सिटी को दिखाया, जबकि वापसी में सिर्फ 14.56 करोड़ दर्ज।
- 85.67 लाख रुपए की फर्जी जनरल एंट्री दर्ज की गई।
- 2.25 करोड़ वर्धमान LNCT को, 2 करोड़ पार्थ सूर्यवंशी को और 1 करोड़ विजय सूर्यवंशी को फर्जी भुगतान।
- 3.18 करोड़ रुपए जमीन खरीदी के नाम पर अहिला ग्रुप को दिए गए, लेकिन संपत्ति अस्तित्व में नहीं।
- 33.46 करोड़ लक्की कंस्ट्रक्शन और 8.75 करोड़ स्विफ्ट कंस्ट्रक्शन को अधूरे वाउचर और बिना दस्तावेज के भुगतान।
4. पीएफ और ईएसआई में गड़बड़ी
- संस्था में लगभग 600 कर्मचारी काम करते हैं, लेकिन PF और ESI में सिर्फ 4 कर्मचारियों का ही पंजीयन कराया गया।
- बाकी कर्मचारियों के नाम पर करोड़ों की हेराफेरी की गई।
5. निजी कंपनियों को फायदा
- 1.68 करोड़ की दवाएं चौकसे परिवार की कंपनी अंजन्य फार्मा से खरीदी गईं।
- 38.42 लाख रुपए की किताबें अंजन्य बुक सेलर्स से खरीदी गईं।
- स्टेशनरी और अन्य सामान भी इन्हीं कंपनियों से खरीदा गया।
शिक्षा संस्थानों पर असर
इस सोसायटी के तहत LNCT मेडिकल कॉलेज, सेफ इंस्टिट्यूट ऑफ नर्सिंग, LNCT स्कूल ऑफ फार्मेसी, LN पैरामेडिकल कॉलेज, LNCT विद्यापीठ यूनिवर्सिटी, सेवाकुंज हॉस्पिटल और स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर जैसे संस्थान संचालित होते हैं। इतने बड़े घोटाले के खुलासे ने छात्रों और अभिभावकों में भारी आक्रोश पैदा कर दिया है।
शिक्षा जगत में मचा हड़कंप
LNCT ग्रुप लंबे समय से मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा शैक्षणिक और स्वास्थ्य संस्थान माना जाता है। लेकिन अब सामने आया है कि संस्था ने छात्रों की फीस, सरकारी योजनाओं की राशि और लोन को निजी लाभ के लिए इस्तेमाल किया।
छात्रों और अभिभावकों के बीच यह सवाल गूंज रहा है – “जो संस्था भविष्य गढ़ने का दावा करती थी, उसने शिक्षा और स्वास्थ्य के नाम पर जनता का पैसा क्यों लूटा?”
इस घोटाले में अब तक 224 करोड़ रुपए की हेराफेरी सामने आ चुकी है और EOW ने सात बड़े संचालकों पर धोखाधड़ी का केस दर्ज कर लिया है। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, रकम और भी ज्यादा निकलने की आशंका है।
Created On :   13 Sept 2025 12:36 PM IST