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- A river in South Korea turned red with blood
दैनिक भास्कर हिंदी: साउथ कोरिया की एक नदी खून से हुई लाल, वजह जानकर होगी हैरानी

डिजिटल डेस्क। नॉर्थ और साउथ कोरिया की सीमा के नजदीक स्थित एक नदी का पानी खून की तरह लाल हो गया। इसकी वजह जानकर आप को हैरानी हो जाएगी। दरअसल, साउथ कोरियाई प्रशासन ने देश में अफ्रीकन स्वाइन फीवर फैलने का खतरा देखते हुए इसे रोकने के लिए 47000 सूअरों को मारने का आदेश जारी किया था। इस इलाके में हुई बारिश के चलते सीमा के पास स्थित बने डंपिंग ग्राउंड से खून बहकर नजदीक की छोटी नदी इमजिन में जा मिला। अफ्रीकन स्वाइन फीवर बेहद खतरनाक बीमारी है जो सूअरों के जरिए फैलती है। इसमें संक्रमित सूअर के बचने की कोई संभावना नहीं होती, हालांकि इंसानों को इससे खतरा नहीं होता।
हालांकि यहां पर मौजूद स्थानीय अधिकारियों ने इस बात से मना किया है कि बहते हुए खून से अन्य जानवरों के लिए भी इस बीमारी का खतरा पैदा हो सकता है। बीते कुछ दिनों पहले ही सूअरों को मारना शुरु किया गया था। लेकिन इनके अवशेषों को डंपिंग ग्राउंड के पास कई ट्रकों के अंदर ही छोड़ दिया गया था।
असल में सब इसलिए हुआ क्योंकि सुअरों को दफनाने के लिए प्लास्टिक कंटेनर बनाने में देरी हुई और इस वजह से मृत सूअरों को दफन नहीं किया जा सका। साउथ कोरिया में अफ्रीकन स्वाइन फीवर के संक्रमण का पता चलने के बाद से ही हड़कंप मच गया था।
जिस वजह से तैजी से अफवाह फैली कि उत्तर और साउथ कोरिया की सीमा के पास असैन्यकृत क्षेत्र की बाड़ों को पार कर आए सूअरों से देश में ये बीमारी फैली थी। ये संक्रमण साउथ कोरिया तक न पहुंचे इसके लिए सरकार ने लिए तुरंत उपाय किए।
जिसमें साउथ कोरिया की सेना को ये अनुमति भी दी गई है कि वो सीमा पर असैन्य क्षेत्र को पार करने वाले किसी भी जंगली जानवर को मार सकते है। लेकिन इसके बावजूद भी साउथ कोरिया में अफ्रीकन स्वाइन फीवर पहला मामला 17 सितंबर को सामने आया।
अब तक यहां इस बीमारी के दस से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। इस बीमारी के फैलने से चीन, वियतनाम और फिलीपीन्स समेत एशिया के कई और प्रमुख देश प्रभावित हुए हैं। एक रिपोर्ट की मुताबिक अकेले चीन में ही 12 लाख सूअरों को संक्रमण फैलने के डर से मार दिया गया।
भोपाल: स्कोप कॉलेज में विश्वस्तरीय प्रशिक्षण वर्कशाप की स्थापना
डिजिटल डेस्क, भोपाल। स्कोप कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग ने अपने छात्र -छात्राओं के भविष्य को संवारने के लिये भारत के आटोमोबाइल क्षेत्र में अग्रणी कम्पनी हीरो मोटोकार्प के साथ एक करार किया जिसमें ऑटोमोबाइल क्षेत्र में स्किल डेवलपमेंट के लिये एक विश्वस्तरीय प्रशिक्षण वर्कशाप की स्थापना संस्था के प्रांगण में की गई है। ये अपने आप में एक अद्वतीय पहल है तथा सभी अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है। इसमें सभी नवीनतम कम्प्यूटराइज्ड मशीन के द्वारा टू-व्हीलर ऑटोमोबाइल कार्यशाला प्रशिक्षण दिया जायेगा। इस वर्कशाप में उद्घाटन के अवसर पर कम्पनी के जनरल मैनेजर सर्विसेज श्री राकेश नागपाल, श्री मनीष मिश्रा जोनल सर्विस हेड - सेंट्रल जोन, श्री देवकुमार दास गुप्ता - डी जी एम सर्विस, एरिया मैनेजर श्री राम सभी उपस्थिति थे। साथ ही संस्था के वरिष्ठ अधिकारी डॉ. अजय भूषण, डॉ. देवेंद्र सिंह, डॉ. मोनिका सिंह, अभिषेक गुप्ता आदि उपस्थित थे। संस्था के सभी शिक्षकगण तथा छात्र-छात्रायें उपस्थित थे।
कार्यक्रम की शुरूआत सरस्वती वंदना से की गई , डॉ. मोनिका सिंह ने अतिथियों का संक्षिप्त परिचय दिया। डॉ. अजय भूषण ने सभी का स्वागत किया और बताया कि आने वाला समय कौशल विकास आधारित शिक्षा का है। कर्यक्रम में आईसेक्ट ग्रुप के कौशल विकास के नेशनल हेड अभिषेक गुप्ता ने ग्रुप के बारे मे विस्तार से बताया कि किस तरह हमेशा से आईसेक्ट ग्रुप ने कौशल विकास को हमेशा प्राथमिकता से लिया है। कार्यक्रम में एएसडीसी के सीईओ श्री अरिंदम लहिरी ऑनलाइन आकर सभी को बधाई दी तथा छात्र - छात्राओं को उनके उज्जवल भविष्य के लिये शुभाषीस भी दी।
कार्यक्रम में डॉ. देवेंद्र सिंह ने बताया कि कौशल विकास आधारित शिक्षा सनातन काल से भारतवर्ष में चली आ रही है मध्यकालीन समय में कौशल विकास पर ध्यान नही दिया गया परंतु आज के तेजी से बदलते हुए परिवेश में विश्व भर में इसकी आवश्यकता महसूस की जा रही है। इसी आवश्यकता को देखते हुये स्कोप कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में कुछ ही समय में विभिन्न क्षेत्रों के सात सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना की गई है जो की विभिन्न क्षेत्रों मे छात्र- छात्राओं के कौशाल विकास मे महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे।
भोपाल: सीआरपीएफ की 93 महिला पुलिसकर्मियों की बुलेट यात्रा का रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में हुआ आगमन
डिजिटल डेस्क, भोपाल। इंडिया गेट से जगदलपुर के लिए 1848 किमी की लंबी बुलेट यात्रा पर निकलीं सीआरपीएफ की 93 महिला पुलिसकर्मियों का रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई ने विश्वविद्यालय परिसर में आगमन पर भव्य स्वागत किया। लगभग 300 स्वयंसेवकों तथा स्टाफ सदस्यों ने गुलाब की पंखुड़ियों से पुष्प वर्षा करते हुए स्वागत किया। वहीं उनके स्वागत में एन एस एस की करतल ध्वनि से पूरा विश्वविद्यालय परिसर गुंजायमान हो उठा। इस ऐतिहासिक बाइक रैली में शामिल सभी सैन्यकर्मियों का स्वागत विश्वविद्यालय के डीन ऑफ एकेडमिक डॉ संजीव गुप्ता, डिप्टी रजिस्ट्रार श्री ऋत्विक चौबे, कार्यक्रम अधिकारी श्री गब्बर सिंह व डॉ रेखा गुप्ता तथा एएनओ श्री मनोज ने विश्वविद्यालय की तरफ से उपहार व स्मृतिचिन्ह भेंट कर किया। कार्यक्रम की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए डिप्टी कमांडेंट श्री रवीन्द्र धारीवाल व यात्रा प्रभारी श्री उमाकांत ने विश्वविद्यालय परिवार का आभार किया। इस अवसर पर लगभग 200 छात्र छात्राएं, स्वयंसेवक व एनसीसी कैडेट्स समस्त स्टाफ के साथ स्वागत में रहे मौजूद।
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