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अजब-गजब: ये है दुनिया का सबसे महंगा कबूतर, 14 करोड़ रुपए में हुआ है निलाम

डिजिटल डेस्क। उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन अपने कारनामों के वजह से हमेशा चर्चा में बने रहते हैं, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे किम के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने अपनी एक खबर से दुनियाभर के लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लिया है। दरअसल, किम दो साल की एक मादा रेसिंग कबूतर है, जिसे हाल ही में दुनिया का सबसे महंगा कबूतर होने का तमगा हासिल हुआ है।
बता दें कि एक ऑनलाइन निलामी के दौरान इस रेसिंग कबूतर को 19 लाख डॉलर यानी 14 करोड़ रुपये में बेचा गया है। इस नीलामी के साथ ही किम ने दुनिया के सबसे महंगे कबूतर होने का तमगा भी हासिल कर लिया है। पहले इसे 237 डॉलर पर नीलामी के लिए रखा गया था, लेकिन चीन के एक व्यक्ति ने इसे 19 लाख डॉलर में खरीद लिया। पैराडाइज के मुताबिक, पिछले साल नर आर्मंडो कबूतर के लिए 1.25 मिलियन यूरो का भुगतान किया गया था। अरमांडो नाम के रेसिंग चैंपियन कबूतर को कबूतरों का लुईस हैमिल्टन भी कहा जाता था। उसके रिटायर होने के बाद 2019 में उसे बेचा गया। लेकिन न्यू किम ने आर्मंडो को भी पीछे छोड़ते हुए एक नया विश्व रिकॉर्ड बना लिया है। रेसिंग कबूतर किम को पालने वाले कुर्त वाउवर और उनका परिवार निलामी की रकम सुनकर हैरत में पड़ गए।
पिछले कुछ सालों में चीन में कबूतरों की रेस काफी लोकप्रिय हो रही है। रेसिंग कबूतरों से बच्चा पैदा कराने के लिए लोग एक से बढ़कर एक बोलियां लगाकर कबूतर खरीद रहे हैं। साल 2018 में किम ने कई प्रतियोगिताओं में जीत हासिल की, जिसमें नेशनल मिडल डिस्टेंस रेस भी शामिल है। उसके बाद से न्यू किम भी रिटायर हो गई है। ऐसे में उम्मीद इस बात की है कि किम के नए मालिक भी उसका इस्तेमाल प्रजनन के लिए करेंगे। नीलामी संस्था पीपा के सीईओ निकोलास ने रॉयटर्स को बताया, 'ये रिकॉर्ड कीमत अविश्वसनीय है। क्योंकि ये एक मादा कबूतर है। अक्सर, नर कबूतर की कीमत अधिक होती है, क्योंकि वो ज्यादा बच्चे पैदा कर सकता है।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।