यह कुंड मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले से करीब 70 किलोमीटर दूर स्थित बाजना गांव में मौजूद है। इस कुंड को दूर-दूर से लोग देखने आते हैं। बताया जाता है कि, इस कुंड का संबंध महाभारत काल से है। कहा जाता है इस कुंड की गहराई इतनी ज्यादा है कि इसे नापने के लिए लगाए गए तमाम यंत्र तक फेल हो चुके हैं, लेकिन इसटी सटीक जानकारी किसी को नहीं मिल सकी है।
- दिल्ली में 6 दिन का लॉकडाउन लागू, 26 अप्रैल सुबह 5 बजे तक रहेगा जारी
- कोरोनाः दिल्ली के अस्पतालों में हालत खराब, ICU के सिर्फ 42 बेड उपलब्ध
- दिल्ली: 22 अप्रैल से AIIMS में ओपीडी बंद रहेगी
- IPL 2021: CSK ने RR को दी करारी शिकस्त, अंक तालिका में दूसरे स्थान पर पहुंची
- रिपोर्ट: राष्ट्रीय स्तर पर एक महीने के ‘लॉकडाउन’ से जीडीपी में हो सकता है दो प्रतिशत नुकसान
अजब-गजब: महाभारत काल से जुड़ा है छतरपुर का यह रहस्यमयी कुंड, वैज्ञानिक आज तक नहीं नाप पाए इसकी गहराई

डिजिटल डेस्क। दुनिया कई ऐसे रहस्यों से भरी पड़ी हैं, जिन्हें आज तक कोई नहीं सुलझा पाया। ऐसा भी नहीं है कि, इन उलझी हुई गुत्थियों को सुलझाने की किसी ने कोशिश न की हो। दरअसल वैज्ञानिक या शोधकर्ता जितनी बार भी इन रहस्यों के पीछे का सच जानने की कोशिश करते हैं, वो उतना ही उलझ जाते। आज हम आपको ऐसी ही एक रहस्यमयी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं। दरअसल यह जगह एक कुंड है, जिसे भीम कुंड के नाम से जाना जाता है।


पौराणिक धर्मग्रंथों के अनुसार महाभारत काल में जब पांडव अज्ञातवास पर थे। तब वे पानी की तलाश में यहां पहुंचे थे, लेकिन यहां पानी का कोई स्त्रोत नहीं था। तब भीम ने अपनी गदा को जमीन पर मारकर यह कुंड बनाया था। तभी इस कुंड की आकृति बिल्कुल गदा की तरह है। इस कुंड से जुड़ी एक और मान्यता है कि, जब भी देश पर कोई प्राकृतिक आपदा या संकट आता है, उससे पहले ही यहां का पानी बढ़ने लगता है। लोग कुंड के बढ़ते पानी के स्तर को देख खतरे का अंदाजा लगाते हैं।

ये कुंड इतना रहस्यमयी है कि, वैज्ञानिक तक इसकी गहराई की गुत्थी को सुलझा नहीं सके हैं। बताया जाता है कि, डिस्कवरी चैनल ने इसकी गहराई नापने के लिए तमाम उपकरण लगाए थे। साथ ही वैज्ञानिकों की टीम ने भी इसकी जांच की थी, लेकिन सभी के हाथ निराशा ही लगी। एक बार विदेशी वैज्ञानिकों ने कुंड की गहराई पता करने के लिए 200 मीटर पानी के अंदर तक कैमरा भेजा था, लेकिन फिर भी गहराई पता नहीं चल सकी। इस कुंड के बारे में यह भी कहा जाता है कि इसका पानी गंगा की तरह बिल्कुल पवित्र है और यह कभी खराब नहीं होता है।