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दैनिक भास्कर हिंदी: भूलकर भी न जाएं इन देशों में, हो सकता है मौत से सामना
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इंसानी फितरत है खूबसूरत जगहों को एक्सप्लोर करना और कुदरत के नजारों का लुत्फ उठाना। हम साल भर खूब सारा और टूटकर काम करने के बाद कुछ दिनों का आराम चाहते हैं। इसके लिए घर से दूर अलग-अलग जगहों पर जाकर हम अपनी थकान मिटाते हैं और प्रकृति से अपना रिश्ता कायम करते हैं। कुछ लोगों को कुदरती नजारों के बीच शांति मिलती है तो कुछ को ऐतिहासिक इमारतों के पास जाकर सुकून मिलता है। लोग इतिहास को करीब से जानने के लिए कई बार दूसरे देशों की सैर भी करना पसंद करते हैं।
आज हम आपको भी ऐसे ही देशों के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए तो दुनियाभर में जाने जाते हैं, लेकिन आज-कल यहां जाना जान जोखिम में डालने जैसा है। ये देश लंबे समय से आतंकवाद से जूझ रहे हैं और इसी वजह से इन्हें पर्यटकों के लिए खतरनाक माना जाता है।
1. सोमालिया
आपने कई हॉलीवुड फिल्मों में सोमालिया के बदतर हालात देखे होंगे। ये देश लंबे समय तक गृहयुद्ध का शिकार रहा है और युद्ध की वजह से इसके आर्थिक हालात बेहद खराब हैं। यहां पर भूखमरी और बेरोजगारी का तांडव है और लोग कम उम्र से ही अपराधी बन जाते हैं। सोमालिया के समुद्री लुटेरे अपहरण और फिरौती के लिए दुनिया भर में बदनाम हैं। यहां हीरों की अवैध खानें भी हैं जिसे हथियाने के लिए यहां शक्तिशाली लोगों के बीच वर्चस्व की लड़ाई चलती रहती है। अव्यवस्थित सरकार और असफल प्रशासन इस अफ्रीकी देश की सबसे बड़ी समस्या है। इस देश में किसी बाहरी शख्स का जाना किसी बुरे सपने से कम नहीं।
2. इराक
ऐतिहासिक मस्जिदों और मीनारों वाले इराक के साथ भारत का सदियों पुराना रिश्ता है। खानपान से लेकर संगीत और संस्कृति तक पर दोनों देशों ने एक-दूसरे पर प्रभाव डाला है। अफसोस, एक बेहतरीन ट्रैवल डेस्टिनेशन होने के बाद भी इराक के नाम से पर्यटक कांप जाते हैं। वजह है कि यहां अक्सर मस्जिदों, बाजारों और सरकारी दफ्तरों में आत्मघाती हमले होते रहते हैं। खाड़ी देशो में मौजूद 'इराक' एक मुस्लिम देश है। जिसकी राजधानी बगदाद है। इस वक्त इराक को दुनिया के सबसे खतरनाक देशों में गिना जाता है। यहां लंबे समय से शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच वर्चस्व की जंग चल रही है। दूसरी तरफ कुर्दों समेत कई और समुदायों का जीवन तबाह हो चुका है। इराक इस समय बहुत बुरे दौर से गुजर रहा है। यहां पर ISIS जैसे आतंकी संगठन समानांतर सत्ता चलाते हैं और हर तरफ जैसे हिंसा का बोलबाला है। औरतों और बच्चों के लिए ये देश किसी नर्क से कम नहीं है। औरतों को यहां जिस्मफरोशी के दलदल में धकेल दिया जाता है और बच्चों को कम उम्र में ही अपराध की दुनिया में शामिल कर लिया जाता है।
3. दक्षिण सूडान
कई अन्य अफ्रीकी देशों की तरह ही दक्षिणी सूडान में भी गृहयुद्ध का लंबा इतिहास रहा है। यहां दशकों तक मची मारकाट ने जैसे इस देश की सभ्यता को ही आदिम बना दिया है। यूएन के मुताबिक यहां हजारों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। यहां अपराध चरम पर है और लूट-मार, चोरी-डकैती बेहद आम बात है। यहां बच्चों और महिलाओं पर लगातार अत्याचार किया जाता रहा है। बच्चे आम जिंदगी से कोसों दूर हैं और सैंकड़ों औरतों को बलात्कार का शिकार होना पड़ा है।
4. अफगानिस्तान
अफगानिस्तान ऐतिहासिक तौर पर काफी समृद्ध देश रहा है, लेकिन तालिबानी शासन के दौरान यहां की महान विरासत को खासा नुकसान पहुंचा है। रोजाना होने वाले आतंकी हमलों की वजह से ये अंतर्राष्ट्रीय खबरों में बना रहता है। लंबे समय तक चले गृहयुद्थ ने इसकी कमर तोड़कर रख दी है। कई छोटी--मोटी चीजों के लिए भी ये देश दूसरे देशों पर निर्भर है। कुदरती तौर पर बेहद अलहदा होने के बावजूद यहां पर्यटक नहीं जाते और इसकी वजह यहां पर मौजूद आतंक का खतरा है। यहां आम नागरिक तो छोड़िये दूसरे देशों दूतावास और मंत्री भी खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करते।
5. सीरिया
सीरिया भी लंबे समय से आतंकवाद की चपेट में है। दुनिया के सबसे खतरनाक देशों की लिस्ट में 'सीरिया' दो सालों से पहले नंबर पर है। ये दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकी संगठन आईएसआईएस (ISIS) का गढ़ है जो सीरिया की सेना के साथ लगातार जंग में उलझा हुआ है। यहां की हर एक गली, हर एक शहर पर आतंकवाद के भयानक निशान देखे जा सकते हैं। यहां ISIS ही समस्या नहीं है बल्कि सरकार के विरोधी भी लगातार परेशानी खड़े करते रहते हैं। फिलहाल इसे धरती का नर्क कहा जाए तो इसमें कुछ भी गलत नहीं होगा।
गणतंत्र दिवस : स्कोप ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन में मनाया गया गणतंत्र दिवस समारोह
डिजिटल डेस्क, भोपाल। स्कोप ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस में 74वां गणतंत्र दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. डी.एस. राघव निदेशक, स्कोप ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन उपस्थित थे। गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में डॉ. सत्येंद्र खरे, सेक्ट कॉलेज ऑफ प्रोफेशनल एजुकेशन के प्रिंसिपल, डॉ. नीलम सिंह, सेक्ट कॉलेज ऑफ बीएड की प्रिंसिपल और डॉ. प्रकृति चतुर्वेदी, स्कोप पब्लिक हायर सेकेंडरी स्कूल की प्रिंसिपल विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुएl कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. डी.एस.राघव ने झन्डा फंहराया गया तथा विद्यालय के छात्र छात्राओं ने अनुशासन एवं कौशल का परिचय देते हुए आकर्षक परेड की प्रस्तुति दीl विद्यालय के बच्चों द्वारा शारीरिक व्यायाम के महत्व को प्रकट करते हुए मनमोहक पीटी प्रस्तुत की गई l
स्कोप इंजीनियरिंग कॉलेज, बी.एड कॉलेज, स्कोप प्रोफेशनल कॉलेज तथा स्कोप स्कूल के विद्यार्थियों ने राष्ट्रीय एकता अखंडता एवं देश प्रेम से ओतप्रोत प्रस्तुतियां दीl कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण उरी हमले पर आधारित नृत्य नाटिका तथा रानी लक्ष्मीबाई के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को चित्रित करता हुआ नृत्य गीत था। मुख्य अतिथि डॉ डीएस राघव ने अपने संबोधन में कहा कि हम अपने कर्तव्यों का निर्वाहन ईमानदारी एवं पूर्ण निष्ठा के साथ करते हैं तो यही आज के समय में हमारी सच्ची देश सेवा है। कार्यक्रम के अंत में विद्यालय की प्राचार्या डॉ. प्रकृति चतुर्वेदी ने सभी को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कार्यक्रम की आयोजन समिति के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हम अपने उद्देश्य के प्रति ईमानदार रहेंगे और उसके प्रति पूर्ण कर्तव्यनिष्ठा से कार्य करेंगेl
वनमाली सृजनपीठ: बाल कलाकारों द्वारा राम भजन की मनमोहक प्रस्तुति
डिजिटल डेस्क, भोपाल। विश्वरंग के अन्तर्गत बाल प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने वनमाली सृजनपीठ में रामभजन माला का आयोजन किया गया, जिसमें राम के भजनों की सुन्दर प्रस्तुति बच्चों के द्वारा दी गयी। कार्यक्रम का आरम्भ मालविका राव चतुर्वेदी के भजन- 'श्रीरामचन्द्र कृपालु भज मन' से हुआ। इसी कड़ी में स्वरा वत्स ने राम के विभिन्न रूपों का वर्णन करते हुए 'राम-राम दशरथ नन्दन राम' भजन से सबको मन्त्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए मोही और जयगी ने 'राम-राम सब नाम जपो', रेखा ने राग ख्याल में छोटे 'ख्याल' और कियारा ने 'राम भजो आराम तजो', निवेदिता सोनी ने 'श्याम का गुणगान करिये ' गाकर माहौल को राममय कर दिया।
कार्यक्रम के अगले चरण में मालविका द्वारा मीराबाई का प्रसिद्ध भजन 'पायो जी मैंने राम रतन धन पायो' और स्वरा ने श्याम कन्हाई गाकर राम के साथ कृष्ण भक्ति से भी परिचय कराया। बच्चों को प्रोत्साहित करते हुए आईसेक्ट लिमिटेड के निदेशक डॉ. सिद्धार्थ चतुर्वेदी ने 'राम भक्त ले चला राम की निशानी' और अन्य भजन गाकर बच्चों का हौसला बढ़ाया। इसके बाद सभी बच्चों की संगीत गुरु श्यामा ने अपना स्वचरित भजन 'राम नाम सुखदायक' की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में विश्वरंग के निदेशक संतोष चौबे, वनमाली सृजनपीठ भोपाल के अध्यक्ष मुकेश वर्मा, आईसेक्ट लिमिटेड के निदेशक डॉ. सिद्धार्थ चतुर्वेदी, गेटसेट पेरेंट की निदेशक पल्लवी राव चतुर्वेदी, विश्वरंग की सहनिदेशक डॉ. अदिति चतुर्वेदी वत्स, नितिन वत्स, इलेक्ट्रॉनिकी आपके लिए की सम्पादक डॉ. विनीता चौबे, प्रभा वर्मा, वनमाली सृजनपीठ की राष्ट्रीय संयोजक ज्योति रघुवंशी, टैगोर विश्वकला केन्द्र के निदेशक विनय उपाध्याय सहित बच्चों के अभिभावक और नाना-नानी, दादा-दादी भी उपस्थित रहे।
मनोरंजन: हरेक रीज़नल इंडस्ट्री की प्रतिभाओं को एक सशक्त मंच उपलब्ध कराने की कोशिश में जुटा हुआ है 'क्रिएटिव वाइब': संतोष खेर
डिजिटल डेस्क, मुंबई। एस. एस. राजामौली की फ़िल्म 'RRR' के मशहूर गाने 'नातू नातू' ने गोल्डन ग्लोब्स जीतकर एक बार फिर से यह साबित कर दिया है क्षेत्रीय सिनेमा भी विश्वभर में अपनी छाप छोड़ने का दमखम रखता है. पिछले साल क्षेत्रीय सिनेमा और ओटीटी ने ऐसे दमदार कंटेट से दर्शकों को रूबरू कराया दर्शकों की उम्मीदें आसमान छूने लगी हैं. सिनेमा को नई ऊंचाई पर ले जानेवालों में कई लोग मशक़्क़त कर रहे हैं और इनमें से एक अहम नाम है प्रोडक्शन हाउस 'क्रिएटिव वाइब' का. उल्लेखनीय है भाषाओं से परे यह प्रोडक्शन हाउस देशभर में मौजूद नायाब तरह के कंटेट की संभावनाओं को खंगाल रहा है और नई-नई प्रतिभाओं को आगे आने का मौका दे रहा है।
'क्रिएटिव वाइब' के संस्थापक संतोष खेर कहते हैं कि लोग ना सिर्फ़ गुणवत्तापूर्ण कंटेट देखना चाहते हैं, बल्कि वे चाहते हैं कि विभिन्न रीजनल इंडस्ट्रीज़ से जुड़े तमाम प्रतिभाशाली लोगों को काम करने के लिए उचित मंच भी उपलब्ध कराया जाए. वे कहते हैं, "हमारे देश में ऐसे प्रतिभाशाली लोगों की कोई कमी नहीं है जो गुमनाम हैं और ऐसे लोगों के बारे में आम दर्शकों को ज़्यादा कुछ पता भी नहीं होता है. हम सृजनकर्ताओं व पेशवर लोगों को आम दर्शकों के सामने लाएंगे जिसके चलते हम दुनियाभर के सिनेमा से मुक़ाबला करने में पूरी तरह से सक्षम साबित होंगे।"
'क्रिएटिव वाइब' के लिए साल 2022 एक उल्लेखनीय साल रहा है. इस दौरान प्रोडक्शन हाउस की ओर से 'अथंग" नामक एक चर्चित मराठी हॉरर वेब सीरीज़ का निर्माण किया गया. प्रोडक्शन हाउस ने 'चंद्रमुखी' नामक भव्य मराठी फ़िल्म बनाकर लोगों को चकित किया. इसके अलावा भी कई उल्लेखनीय कंटेट का निर्माण प्रोडक्शन हाउस की ओर से किया गया है. ऐसे में अब 'क्रिएटिव वाइब' साल 2023 में हिंदी, मराठी और गुजराती भाषा में कंटेट निर्माण में ज़ोर-शोर से जुट गया है. वेब द्वारा उपलब्ध कराये जानेवाले मौकों से अच्छी तरह से परिचित संतोष खेर कहते हैं, 'वेब शोज़ की दुनिया क्षेत्रीय भाषाओं में कंटेट बनानेवाले मेकर्स के लिए एक बड़ी राहत बनकर आई है जिसके चलते विविध तरह के टैलेंट को अपने अद्भुत कार्यों को सामने लाने और अपनी क्षमताओं का भरपूर प्रदर्शन करने का मौका मिल रहा है. हम वेब कंटेट के माध्यम से ही नहीं, बल्कि विभिन्न भाषाओं में बननेवाली फ़िल्मों को भी एक बड़े दर्शक वर्ग तक पहुंचाना चाहते हैं।"
संतोष खेर इस इंडस्ट्री से जुड़े पेशेवर लोगों के साथ काम करने और उन्हें मौका देने में यकीन करते हैं. इसे लेकर वे कहते हैं, "जब कभी हम क्षेत्रीय स्तर की प्रतिभाओं की बात करते हैं तो हम महज़ कलाकारों के बारे में ही सोचते हैं. लेकिन हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए किसी भी फ़िल्म/कंटेट के निर्माण में बड़े पैमाने पर अन्य लोग भी शामिल होते हैं. इनमें टेक्नीशियनों, कॉस्ट्यूम तैयार करनेवालों, लेखकों से लेकर अन्य तरह के कई और भी विभाग शामिल होते हैं जो किसी भॊ फ़िल्म को सफल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं. ग़ौरतलब है कि कैमरा के पीछे काम करनेवालों के नाम मुख्यधारा के सिनेमा द्वारा भी आसानी से भुला दिया जाता है. ऐसे में हमारा प्रोडक्शन हाउस इस स्थिति को बदलने, नये नये नामों को सामने लाने और पर्दे के पीछे काम करनेवाले लोगों को स्थापित करने के लिए प्रयत्नशील है ताकि ऐसे गुमनाम लोगों की भी अपनी एक अलग पहचान बन सके।"
लेकिन क्या प्रोफ़ेशनल लोगों को अपनी-अपनी इंडस्ट्री तक ही सीमित कर दिया जाएगा? इस सवाल पर संतोष खेर कहते हैं, "हमें ऐसी प्रतिभाओं को तैयार करने की ज़रूत है जो विभिन्न तरह की क्षेत्रीय इंडस्ट्रीज़ में काम कर सकें. अगर हम एक इंडस्ट्री से ताल्लुक रखनेवाली प्रतिभाओं को दूसरी इंडस्ट्री में काम करने का मौका मुहैया कराएंगे तभी जाकर हम सही मायनों में पैन इंडिया फ़िल्मों का निर्माण कर पाएंगे. हमने बड़े सुपरस्टार्स के साथ ऐसा होते हुए देखा है मगर ज़रूरत इस बात की है कि सभी भाषाओं की इंडस्ट्री से संबंध रखनेवाले कास्ट और क्रू के अन्य सदस्यों को भी इसी तरह के मौके दिये जाएं।"
प्रतिभाओं को परिष्कृत करने की सोच और पैन इंडिया सिनेमा के निर्माण का आइडिया सिनेमा के भविष्य के लिए अच्छा है, लेकिन अगर अन्य लोग भी सतोष खेर की तरह सोचने लग जाएं तो निश्चित ही वो दिन दूर नहीं है, जब सिनेमा की दुनिया जल्द ही आसमान की नई उंचाइयों को छूने लगेगी।
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