मुस्लिम महिला ने बंदर की याद में बनवाया राम-जानकी मंदिर, सम्पत्ति की बंदर के नाम
डिजिटल डेस्क। एक महिला जिसने लव मैरिज कर समाज में विरोध का सामना किया। अपनी कोई संतान नहीं हुई तो भी निराशा हाथ लगी मगर एक बंदर ने इस तरह महिला की किस्मत का सितारा चमकाया कि खुद करोड़ों की संपत्ति का मालिक बन गया और महिला को भी एक संतान मिल गई। दरअसल ये अनोखा मामला उत्तर प्रदेश के रायबरेली का है। यूं तो आपने जानवरों के प्रति प्यार के कई दिलचस्प किस्से सुने होंगे, लेकिन ये एक सच्ची कहानी रायबरेली में रहने वाली मुस्लिम महिला शबिस्ता और उसके बंदर चुनमुन की है। चुनमुन की वजह से सबिस्ता की जिंदगी में इतनी खुशियां आ गईं कि उसने सारी संपत्ति अपने पालतू बंदर के नाम कर दी।
बंदर के आने से बदली महिला की किस्मत
रायबरेली के शक्तिनगर में रहने वाली शबिस्ता को ये बंदर करीब 13 साल पहले मिला था। शबिस्ता मानती हैं कि चुनमुन के आने के बाद उनकी किस्मत का सितारा चमका और अचानक से उनकी पूरी जिंदगी बदल गई। बता दें कि शबिस्ता मुस्लिम हैं, इसके बावजूद भी उन्होंने अपने घर में मंदिर बनवाया। उन्होंने 1998 में ब्रजेश श्रीवास्तव से लव मैरिज की थी। दोनों की कोई संतान नहीं है।
मुश्किल के वक्त घर में मेहमान बनकर आया था बंदर
शबिस्ता ने बताया कि जब बृजेश से लव मैरिज की तो समाज में जीना काफी मुश्किल हो गया था। कामकाज ठप्प होने से हमारे ऊपर कर्ज भी बढ़ता चला गया। मन की शांति के लिए हिंदू धर्मग्रंथों को पढ़ना शुरू कर दिया था। साधु-संतों की शरण में भी जाने लगे थे। इसी बीच 1 जनवरी 2005 को चुनमुन हमारे घर का नन्हा मेहमान बनकर आया।
2010 में बंदर की शादी भी की
उन्होंने बताया कि जब हमने एक मदारी से चुनमुन को लिया था तब वो सिर्फ तीन महीने का था। चुनमुन हमारे लिए इतना भाग्यशाली साबित हुआ कि न सिर्फ हमारे सिर से कर्ज का बोझ उतर गया, बल्कि धन-दौलत सब कुछ मिल गया। शबिस्ता ने बंदर को ही अपना बेटा मान लिया और खूब अच्छी तरह से परवरिश की। घर के तीन कमरे उसके लिए विशेषतौर पर रखे गए थे। चुनमुन के कमरे में एसी और हीटर भी लगा हुआ था। 2010 में शहर के पास ही छजलापुर निवासी अशोक यादव के यहां पल रही बंदरिया से चुनमुन की शादी भी करा दी गई।
पिछले साल हुई चुनमुन की मौत, याद में बनवाया मंदिर
चुनमुन की पिछले साल मौत हो गई तब शबिस्ता ने चुनुमन की याद में घर के अंदर ही उसका मंदिर बनवा दिया। पिछले मंगलवार को मंदिर में राम-लक्ष्मण और सीता के साथ बंदर की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा की गई है। इस मौके पर भंडारा भी कराया गया। शबिस्ता ने अपने घर का नाम भी बंदर के नाम पर ही रखा है। इतना ही नहीं उन्होंने चुनमुन के नाम से एक संस्था बनाई और अपनी सारी संपत्ति उसके नाम कर दी।
Created On :   22 May 2018 12:56 PM IST