51 साल में भी नहीं बदली किताब की रंगत, प्यारे से नोट के साथ पहुंची लाइब्रेरी तो गुस्से की जगह मुस्कान से खिल गए सबके चेहरे

The book returned after 51 years, dearly apologized for the note delay
51 साल में भी नहीं बदली किताब की रंगत, प्यारे से नोट के साथ पहुंची लाइब्रेरी तो गुस्से की जगह मुस्कान से खिल गए सबके चेहरे
अजब -गजब 51 साल में भी नहीं बदली किताब की रंगत, प्यारे से नोट के साथ पहुंची लाइब्रेरी तो गुस्से की जगह मुस्कान से खिल गए सबके चेहरे

डिजिटल डेस्क, भोपाल। आप सभी को अपनी लाइफ में कई ऐसे लोग मिले होंगे जब उन्होंने आप से कुछ लिया हो और लौटाना भूल गए हों। कई बार आप भी कुछ लौटाना भूल जाते हैं मगर जिसका सामान है वो उसे याद रखता है। बार -बार उस सामान के बारे में सोचता रहता है और सामने वाले का सामान लौटाने की राह देखता रहता है। लेकिन लोग अपने संबंध के चलते बार-बार याद दिलाने में झिझकते हैं। लेकिन गलती सुधारने के लिए जब याद आ जाए तो लिया हुआ सामान वापस ज़रूर कर देना चाहिए। एकदम उसी तरह जैसे की एक शख्ष ने 51 साल बाद लाइब्रैरी की एक किताब वापस लौटा दी। 

कोलंबिया की एक लाइब्रैरी में 51 साल बाद एक बुक को वापस लौटाया गया है। इस बुक को अप्रैल 1971 को लाइब्रैरी से निकाला गया था। किताब लौटाने वाले ने उसमें एक छोटा सा और प्यारा सा एक नोट लिखकर देरी के लिए माफीनामा भी दिया है। इस नोट को इतने प्यार से लिखा गया था कि किताब वापस लेने वाले व्यक्ति का गुस्सा हवा हो गया। 


51 साल बाद लौटाई लाइब्रैरी की किताब
जब कई सालों बाद आप की चीज आप को कोई लौटा दे तो समझ लेना चाहिए की उसकी नियत में खोट नहीं था। जरुर ही उस की कोई परेशानी रही होगी जिसके चलते वो समय पर किताब जैसी चीज नहीं लौटा पाया। अब आप सभी सोच रहे होंगे  कि इस किताब पर कितना फाइन लगा होगा। ये फाइन  51 सालों में कहां से कहां पहुंच गया होगा। पर हम आप को बता दें कि हाल ही में लाइब्रैरी ने खुद को फाइन मुक्त कर दिया था। इसी वजह से उस शख्स को एक भी रुपए जमा नहीं करने पड़े। 

ब्रिटिश कोलंबिया की एक लाइब्रैरी के एक संरक्षक ने बताया कि 51 साल एक किताब लौटाई गई है। उस किताब में एक प्यारा सा माफी नामा भी हैं। वैंकूवर पब्लिक लाइब्रेरी ने अपने एक इंस्टाग्राम पोस्ट के ज़रिए बताया की ‘हैरी एडवर्ड नील’ की किताब, द टेलिस्कोप, हाल ही में एक स्टिकी नोट के साथ लौटा दी गई है। साथ ही यह भी बताया गया की किताब अब भी बिल्कुल अच्छी स्थिति में है। 

Created On :   16 Jun 2022 8:23 AM GMT

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