बहन भाई से न मांग ले कोई महंगा गिफ्ट, इसलिए यहां नहीं मनाया जाता रक्षाबंधन

the festival of raskshabandhan is not celebrated in this village
बहन भाई से न मांग ले कोई महंगा गिफ्ट, इसलिए यहां नहीं मनाया जाता रक्षाबंधन
बहन भाई से न मांग ले कोई महंगा गिफ्ट, इसलिए यहां नहीं मनाया जाता रक्षाबंधन

डिजिटल डेस्क, उत्तरप्रदेश।  सोमवार को पूरे देश में रक्षाबंधन का त्यौहार धूमधाम से मनाया जाएगा। रक्षाबंधन एक ऐसा त्यौहार है जो साल में भले ही एक बार के लिए मनाया जाता है लेकिन इसका साथ जन्मों तक का रहता है। लेकिन भारत के उत्तरप्रदेश में एक ऐसा गांव भी है जहां कभी रक्षाबंधन नहीं मनाया जाता। इस दिन पूरे गांव में सन्नाटा पसरा रहता है और बहनें भी अपने भाईयों को राखी नहीं बांधती। दरअसल, इसके पीछे का कारण है कि राखी बांधने के बाद कहीं बहन कोई कीमती गिफ्ट न मांगले। इस गांव का नाम है-बेनीपुर चक। इस गांव में सालों से रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं मनाया जा रहा है। 

क्या है कारण? 

यूपी के संभल जिले के इस गांव में सालों से रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं मनाया जाता। इस दिन न ही गांव में कोई हलचल रहती है और न ही कोई शोर-शराबा। इस दिन पूरे गांव में मातम की तरह सन्नाटा पसरा रहता है। दरअसल, इसके पीछे जो वजह है वो चौंकाने वाली है। रक्षाबंधन के दिन भाई अपनी बहन से इसलिए राखी नहीं बंधवाते क्योंकि उन्हें डर है कि कहीं उनकी बहन उनसे कोई ऐसा गिफ्ट न मांगले जिससे उन्हें अपनी घर-बार छोड़ना पड़ जाए। सालों पुरानी इस मान्यता के खिलाफ कई बार आवाज उठाई गई लेकिन इससे किसी को कोई फर्क नहीं पड़ा। 

क्या है मान्यता? 

गांव के बड़े-बुजुर्गों का कहना है कि बहुत सालों पहले वो लोग अलीगढ़ के सेमराई गांव में रहा करते थे। ये गांव पूरी तरह से ठाकुरों का था, जबकि वो लोग यादव थे। इसके बाद भी ठाकुर और यादवों के बीच कभी किसी तरह का विवाद नहीं रहा। उस गांव की पूरी जमींदारी यादवों के पास थी। कई सालों से ठाकुर में कोई बेटा नहीं जन्मा, जिससे यहां की लड़कियों ने यादवों के लड़कों को राखी बांधनी शुरु की। दोनों ही वर्ग मिलजुलकर रहते थे। एक बार के रक्षाबंधन में ठाकुर की बेटी ने यादव भाई को राखी बांधी तो उसने उपहार के रुप में यादवों की पूरी जमीन मांगली और यादवों ने ठाकुरों को पूरी जमींदारी देकर उस गांव को छोड़कर बेनीपुर चक गांव में आकर बस गए। उसके बाद से यादव परिवारों ने राखी नहीं बंधवाने का फैसला लिया क्योंकि उन्हें डर है कि फिर कोई बहन ऐसा कोई गिफ्ट न मांगले। तब से ये परंपरा इस गांव में चली आ रही है और उसके बाद से इस गांव में कभी रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं मनाया गया। 

गांववाले नहीं चाहते परंपरा को तोड़ना

कई बार इस परंपरा का काफी विरोध भी हुआ है लेकिन हर बार की तरह ही एक ही फैसला होता था कि यहां पर राखी का त्यौहार नहीं मनाया जाएगा। गांव के बुजुर्ग इस परंपरा को तोड़ने के सख्त खिलाफ थे। गांव में इस परंपरा के कारण यहां की नई पीढ़ी भी कोई विवाद नहीं चाहते। उनका मानना है कि सिर्फ राखी ही तो नहीं बांधते लेकिन भाई-बहन के बीच प्यार तो रहता ही है।  

Created On :   7 Aug 2017 4:25 AM GMT

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