बैतूल के अस्पताल में पूर्व विधायक कवरेती ने लीं अंतिम सांसें

बैतूल के अस्पताल में पूर्व विधायक कवरेती ने लीं अंतिम सांसें

Bhaskar Hindi
Update: 2021-04-21 13:12 GMT
बैतूल के अस्पताल में पूर्व विधायक कवरेती ने लीं अंतिम सांसें

इलाज के लिए आठ दिनों तक भटकते रहे, डायलिसिस के बाद कम होते चला गया आक्सीजन लेवल
डिजिटल डेस्क छिन्दवाड़ा/पांढुर्ना।
सन् 2008 के विधानसभा चुनाव में पूरे महाकौशल क्षेत्र से सर्वाधिक वोटों से निर्वाचित हुए पूर्व विधायक रामराव कवरेती उर्फ काका ने बुधवार की अलसुबह बैतूल के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांसें लीं। वें बीते आठ दिनों से कोरोना संक्रमित थे, इसके अलावा इन्हीं दिनों में उनकी किडनी संबंधी बीमारियां भी बढ़ गई थी। इसके पहले वें इलाज के लिए चार दिनों तक भटकते रहे। छिंदवाड़ा के जिला अस्पताल में उन्हें ऑक्सीजन और इलाज मिलना तो दूर बेड भी नसीब नही हुआ। पूर्व विधायक रामराव कवरेती को मंगलवार की शाम सघन उपचार के लिए उनके परिजन बैतूल के राठी अस्पताल ले गए थे। जहां रात दो बजे तक उनका डायलिसिस चलता रहा। चालक राकेश यादव के अनुसार डायलिसिस के बाद उनका ऑक्सीजन लेवल एकदम गिरने लगा और सुबह 4.30 बजे उन्होंने अंतिम सांसें लीं। बुधवार की सुबह उनके गृहग्राम मांडवी में कोरोना प्रोटोकाल के तहत उनका अंतिम संस्कार किया गया। जहां उनके दो भाईयों सहित कुछ अत्यंत करीबी लोग शामिल रहे। इलाज को लेकर उठे सवाल: भले ही पूर्व विधायक को कोरोना के अलावा कुछ अन्य बीमारियां थी, परंतु एक सप्ताह में अच्छे खासे चलते-फिरते व्यक्ति का चले जाना किसी को भी रास नही आ रहा। उनके कोरोना रिपोर्ट में लेवल केवल 6 पॉइंट था, जबकि आठ पॉइंट वालों को भी प्रशासन होम क्वारेंटाईन रख स्वस्थ करने का दावा करता है। पूर्व विधायक रामराव कवरेती के चालक के अनुसार उन्होंने बीते आठ दिनों में उनके सभी वरिष्ठ  साथियों, भाजपा के पदाधिकारियों, यहां तक की भोपाल के कुछ मंत्रियों से भी चर्चा कीं, सभी ने बारह घंटे के भीतर उचित स्वास्थ्य सेवाएं दिलवाने का वादा किया। परंतु अंतिम सांसों तक उन्हें विधानसभा या सत्तारूढ़ दल की ओर से कोई उल्लेखनीय मदद नही मिलीं। छिंदवाड़ा में तो पूर्व विधायक को एक नर्स ने ही चलता कर दिया।
पांढुर्ना से रेफर होने के बाद जिला अस्पताल में नही मिली थी जगह
 पूर्व विधायक रामराव कवरेती को गत 14 अप्रैल की सुबह स्थानीय कोविड केयर सेंटर लाया गया। जहां वें पांच दिनों तक भर्ती रहे। इस दौरान उनका ऑक्सीजन लेवल और कोरोना का संक्रमण भी स्थिर और काबू में रहा। परंतु पांढुर्ना अस्पताल से 60 साल से अधिक मरीजों को छिंदवाड़ा भेजने के प्रोटोकॉल के कारण उन्हें जबरन छिंदवाड़ा रेफर किया गया। इस दौरान स्थानीय सभी अधिकारियों और डॉक्टरों ने उन्हें आश्वस्त किया कि उनके लिए छिंदवाड़ा में ऑक्सीजनयुक्त बेड उपलब्ध है। जाते ही उन्हें सघन उपचार मिलना शुरू हो जाएगा। परंतु छिंदवाड़ा पहुंचते ही उनकी सांसें और उखडऩे लगी। पांढुर्ना की एंबुलेंस उन्हें गेट पर ही छोड़कर आ गई। उनके चालक सिस्टर और अन्य स्टाफ से गुहार लगाते रहे कि हमारी बात हो गई, उन्हें बेड उपलब्ध करा दिजीए, पर उन्हें बेड तो दूर ऑक्सीजन नही मिला। रविवार की शाम को मजबूरी में उन्हें एक निजी एंबुलेंस से ग्राम मांडवी स्थित उनके खेत में लाकर छोड़ा गया। मंगलवार को एक बार फिर उन्हें स्थानीय कोविड केयर सेंटर में भर्ती कराया गया था।
 

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