ब्लड डोनेट करने के चार घंटे बाद युवक की मौत,अस्पताल की गंभीर लापरवाही

ब्लड डोनेट करने के चार घंटे बाद युवक की मौत,अस्पताल की गंभीर लापरवाही

Bhaskar Hindi
Update: 2018-05-05 08:03 GMT
ब्लड डोनेट करने के चार घंटे बाद युवक की मौत,अस्पताल की गंभीर लापरवाही

डिजिटल डेस्क जबलपुर। जिला अस्पताल विक्टोरिया में दोस्त के बीमार बच्चे को खून देने गए युवक की चार घंटे बाद हार्ट अटैक से मौत हो गई। हैरत की बात है कि इस दौरान वह युवक अस्पताल में ही रहा और लगातार घबराहट होने की बात करता रहा। युवक की इस तकलीफ को वहां कैजुअल्टी में मौजूद डॉक्टर समझ नहीं सके जिसके कारण उसकी हालत और बिगड़ती गई। जानकारों का कहना है कि जब युवक को हार्ट की परेशानी होने का अंदेशा था तो उसे कैजुअल्टी से पैदल वार्ड तक भेजने के बजाए आईसीयू में भर्ती क्यों नहीं किया गया? इस तरह की कुछ घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं जब दिल के मरीज को पैदल भेजने के कारण उसकी मौत हो गई। 

जानकारी के अनुसार नई बस्ती सुभाष नगर रांझी निवासी रवि महोबिया का एक वर्षीय बेटा बीमार होने के कारण विक्टोरिया अस्पताल के बच्चा वार्ड में भर्ती था। डॉक्टर ने उसे खून की कमी बताई तथा एक यूनिट ब्लड का इंतजाम करने कहा। अस्पताल के ब्लड बैंक में उसे डोनर लाने कहा गया। जानकारी के अनुसार रवि के पड़ोस में रहने वाला उसका मित्र केशव कुशवाहा उम्र 28 वर्ष रक्तदान के लिए राजी हुआ। 

बिगड़ती गई हालत   
बताया गया कि रात 9 बजे केशव ने रक्तदान किया, इसके बाद वह अस्पताल में ही मौजूद रहा। करीब एक घंटे बाद उसने घबराहट होने की बात कही तो उसका भाई अर्जुन उसे लेकर कैजुअल्टी में आए। कैजुअल्टी में ड्यूटी डॉक्टर ने उसकी जांच कर उसे कुछ टेबलेट लिखे साथ ही कोई गंभीर बात नहीं होने की जानकारी दी। दवा खाने के बाद केशव को कुछ आराम लगा, लेकिन करीब 12.30 बजे उसे तेज घबराहट हुई, एक बार फिर उसे कैजुअल्टी में ले जाया गया जहां मौजूद डॉक्टर ने उसे वार्ड में भर्ती होने भेज दिया। बताया गया कि कैजुअल्टी से पैदल वार्ड बिल्डिंग जाकर केशव लिफ्ट से ऊपर पहुंचा और उससे निकलते ही गिर गया। परिजनों ने डॉक्टर को बुलाया जिसने उन्हें मृत बताया। 

सडन कार्डिक अरेस्ट 
रात में कैजुअल्टी के डॉक्टर पंकज ग्रोवर का कहना था कि केशव का ब्लड प्रेशर नार्मल था, वह सामान्य तरीके से बातचीत कर रहा था। वह भर्ती नहीं होना चाहता था, लेकिन मैंने उसे इसके लिए फोर्स किया। बाद में वह राजी हुआ कि एक-दो बोतल ग्लूकोज चढ़वा कर चला जाएगा। अगर उसमें कोई भी हार्ट संबंधी लक्षण दिखते तो मैं उसे आईसीयू में भर्ती करता। उसे सडन कार्डिक अटैक आया जिसके कोई लक्षण नहीं दिखते, बाद में उसे बचाने की कोशिश की गई, लेकिन वापस नहीं ला सके। ब्लड डोनेट से इसका कोई संबंध नहीं है, बच्चे के लिए उससे 150 मिली रक्त ही लिया गया था। 

इनका कहना है 
ब्लड डोनेट के कारण युवक की मौत नहीं हुई, करीब चार घंटे बाद उसे हार्ट अटैक आया था। उसे बचाने की कोशिश की गई थी, लेकिन हम सफल नहीं हो सके। 
-डॉ. एके सिन्हा, सिविल सर्जन 

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